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१ जनवरी २००२

गौरव गाथा में
इंशा अल्ला कृत
रानी केतकी की कहानी

मिट्टी के बासन को इतनी सकत कहा जो अपने कुम्हार के करतब कुछ ताड़ सके। सच है  जो बनाया हुआ हो  सो अपने बनाने वालो को क्या सराहे और क्या कहे। यों जिसका जी चाहे  पड़ा बके। सिर से लगा पा  तक जितने रोंगटे हैं  जो सबके सब बोल उठें और सराहा करें और उतने बरसों उसी ध्यान में रहें जितनी सारी नदियों में रेत और फूल फलिया खेत में हैं  तो भी कुछ न हो सके  कराहा करैं।
 

कहानियों में
मालती जोशी की कहानी
 पिछले अंक से  स्नेह बंधन

"मां ये है मीतू   मैत्रेयी।" ध्रुव ने परिचय करवाया तो देखती ही रह गई। कटे बाल के नीचे एक छोटा सा चेहरा वह भी आधा गॉगल्स से ढंका हुआ। नेवी ब्ल्यू रंग की जीन्स के ऊपर चटख पीले रंग का पुलोवर। उस पर बने हुए केबल्स इतने प्यारे कि कोई और होता तो पास बिठाकर पहले डिजाइन उतार लेती   बाकी बातें बाद में होतीं। पर ये मीतू थी मैत्रेयी। अपनी सारी प्रतिक्रिया मन ही में समेटकर मैंने सहज स्वर में कहा  "ड्राइंगरूम में चलकर बैठो तुम लोग  मैं पापा को बुला लाऊँ

नव वर्ष के अवसर पर



 प्रकृति में
शरद ऋतु की मनभावन झांकी डा भगवतीशरण मिश्र की कलम से
वर्षा विगत शरद ऋतु आयी
 

फुलवारी में
चित्रा रामास्वामी की प्रेरणाप्रद कहानी ईमानदारी
और शंभुदयाल सक्सेना की कविता
नाव
 

घर परिवार में 
बधाई पत्रों के बारे में खोजपूर्ण सामग्री
बधाई हो बधाई
 

कला दीर्घा में 
मध्यप्रदेश की लोककला
गोंड कलाकृतियों
के विषय में
 

प्रेरक प्रसंग में
सुधा की कलम से
सही चुनाव
 

उपहार में
नयी कविता जावा आलेख के साथ
नया साल मंगलमय हो
 

संस्मरण में
कथाकार व उपन्यासकार शिवानी की कलम से अविस्मरणीय संस्मरण
अरूंधती

अनुभूति में

पिछले अंक से-

दो पल में
अश्विन गांधी के कैमरे से प्राकृतिक दृश्यों के साथ
कुदरत की करामात

 

हास्य व्यंग्य में
जवाहर चौधरी का व्यंग्य
कानून का पेट ख़ाली है

 

पर्यटन में
पर्यटक के साथ लंदन की सैर
आधुनिकता के दौर में संस्कृति का
महापौर लंदन
  

साहित्य संगम में
गीता केसरी की नेपाली कहानी
खेल

 
साहित्यिक निबंध में
महावीर प्रसाद द्विवेदी का आलेख
माघ का प्रभात वर्णन

 साहित्य समाचार

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना   परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन  कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
सहयोग : दीपिका जोशी
  तकनीकी सहयोग : प्रबुद्ध कालिया

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