अनुभूति

 9. 8. 2004

आज सिरहानेआभारउपन्यासउपहारकहानियांकला दीर्घाकविताएंगौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा
घर–परिवारदो पलपरिक्रमापर्व–परिचयप्रकृतिपर्यटनप्रेरक प्रसंगफुलवारीरसोईलेखकलेखकों सेविज्ञान वार्ता
विशेषांकशिक्षा–सूत्रसाहित्य संगमसंस्मरणसाहित्य समाचारसाहित्यिक निबंधस्वास्थ्यसंदर्भसंपर्कहास्य व्यंग्य

 

पिछले सप्ताह

नगरनामा में
त्रिवेन्द्रम से रति सक्सेना का नगर वृतांत
डायरी अंदाज़ में आसमान की ओर
बाहें उठाए
सागरी झीलों का शहर

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स्वास्थ्य संदर्भ में
स्वाद और स्वास्थ्य के अंतर्गत, देखने में सुंदर और स्वास्थ्य से भरपूर
सुगंधित पत्तियों का संसार
दीपिका जोशी की कलम से

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मंच मचान में
अशोक चक्रधर
के मंच संस्मरण
धूमिल ने पूछा भूख क्या होती है

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फुलवारी में
जंगल के पशु श्रृखला के अंतर्गत
भेड़िये के विषय में जानकारी
कविता भेड़िया और
रंगने लिए चित्र

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गौरव गाथा में
शेखर जोशी की बहुचर्चित कहानी
कोसी का घटवार

सर पर क्रास खुखरी के क्रेस्ट वाली, काली, किश्तीनुमा टोपी को तिरछा रखकर, फौजी वर्दी वह पहली बार एनुअल–लीव पर घर आया, तो चीड़ वन की आग की तरह खबर इधर–उधर फैल गई थी। बच्चे–बूढ़े, सभी उससे मिलने आए थे। चाचा का गोठ एकदम भर गया था, ठसाठस्स। बिस्तर की नई, एकदम साफ, जगमग, लाल–नीली धारियोंवाली दरी आंगन में बिछानी पड़ी थी लोगों को बिठाने के लिए। खूब याद है, आंगन का गोबर दरी में लग गया था। बच्चे–बूढ़े, सभी आए थे। सिर्फ चना–गुड़ या हल्द्वानी के तंबाकू का लोभ ही नहीं था, कल के शर्मीले गुसांईं को इस नए रूप में देखने का कौतूहल भी था। पर गुसांईं की आंखें उस भीड़ में जिसे खोज रही थीं, वह वहां नहीं थी।

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!इस सप्ताह

कहानियों में
भारत से देवेन्द्र सिंह की कहानी
मौखिकी

कैलाश सिंह के पिता बाबू बमशंकर सिंह की बहुत इच्छा थी कि उनका बेटा अंग्रेजी बोलने वाला ठेकेदार बने, क्योंकि वह स्वयं ठीक से हिंदी भी नहीं बोल सकते थे और यही कारण है कि उन्होंने अपनी मातृभाषा अंगिका को ही अंगिया लिया था। यह दीगर बात है कि इससे उनको लाभ ही हो गया था। वह जब ऑफिसों–अफसरों से खांटी, मुहावरेदार तथा गालियों से अलंकृत अंगिका में 'डील' करते थे तो काम दनादन–दनादन निकलता जाता था। मगर यह तो उपरली बात है। भीतरली बात यह है कि उनको अंग्रेजी बोलने वाले ठेकेदार अधिक भाते थे और इसीलिए वे कैलाश सिंह को बचपन से ही वैसी शिक्षा दिलाने के लिए सचेष्ट थे।

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सामयिकी में
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर
दो विशेष लेख

डा सी पी त्रिवेदी की कलम से
सांस्कृतिक विरासत का अंग
अशोक स्तंभ

तथा
सुनील मिश्र की कलम से
महेन्द्र कपूर : देशराग के अनूठे गायक

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उपहार में
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाओं के साथ
नया जावा आलेख
सारे जहां से अच्छा
हिन्दोस्तां हमारा

और
पुराने अंक से
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा

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वैदिक कहानियों में
डा रति सक्सेना बता रहीं हैं
उषा और मरूत
के विषय में
1

!सप्ताह का विचार!
देश–प्रेम के दो शब्दों के सामंजस्य में वशीकरण मंत्र है, जादू का सम्मिश्रण है। यह वह कसौटी है जिसपर देश भक्तों
की परख होती है।
—बलभद्र प्रसाद गुप्त 'रसिक'

 

अनुभूति में

रति सक्सेना
अंतरा करवड़े, शलभ श्रीवास्तव और अमित अग्रवाल की
17 नई रचनाएं

° पिछले अंकों से°

कहानियों में
अनोखी रात–विद्याभूषण धर
एक और कुआनोसंतोष गोयल
सलाखों वाली खिड़कीविनीता अग्रवाल
कनुप्रिया–शैल अग्रवाल
दफ्तर(उपन्यास अंश)–विभूति नारायण राय
राजा निरबंसियाकमलेश्वर

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विज्ञान वार्ता में
मोबाइल और माइक्रोेवेव अॅवन के
बारे में डा गुरूदयाल प्रदीप की चेतावनी
सावधान! खतरों की भी है संभावना
°

प्रौद्योगिकी में
विश्वजाल पर हिंदी चिठ्ठों के
विषय में रविशंकर श्रीवास्तव का आलेख
अभिव्यक्ति का नया माध्यम : ब्लॉग

°

महानगर की कहानियों में
डा सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक'
की लघुकथा
दोहरा दान
°

परिक्रमा में
लंदन पाती के अंतर्गत यूके की साहित्यिक गतिविधियों पर शैल अग्रवाल
सुर सावन

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साक्षात्कार में
वरिष्ठ पत्रकार व लेखक
पुष्पा भारती से मधुलता अरोरा की बातचीत
मुझे मुंबई में सारे रिश्ते मिल गए
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प्रकृति और पर्यावरण में
डॉ• कृपाशंकर तिवारी का आलेख
मुसीबत बनता प्लास्टिक कचरा

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आज सिरहाने में
मनोज भावुक के भोजपुरी 
ग़ज़ल संग्रह
तस्वीर जिन्दगी के का
परिचय माहेश्वर तिवारी द्वारा
° हास्य व्यंग्य में
महेशचंद्र द्विवेदी का चुवावी व्यंग्य
वोटर लिस्ट में नाम न होने का सुख

 

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों  अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना   परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन    
     सहयोग : दीपिका जोशी
तकनीकी सहयोग :प्रबुद्ध कालिया  साहित्य संयोजन :बृजेश कुमार शुक्ला