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पिछले सप्ताह

हास्य व्यंग्य में
अभिरंजन कुमार का आलेख
जब मैने आदमी नाम का कुता पाला

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विज्ञान वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप की पड़ताल
लड़कियां लड़कों सी नहीं होतीं

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प्रौद्योगिकी में
रविशंकर श्रीवास्तव के साथ अंतरजाल पर
हिंदी के बढ़ते कदम

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साहित्य समाचार में
असगर वजाहत एवं गोविंद शर्मा को
कथा यू.के. सम्मान 2006

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कहानियों में
भारत से ऋषि कुमार शर्मा की कहानी
ठूंठ

हमेशा की तरह आज भी शर्मा जी के घर से
उनके टेप रिकार्डर पर बज रही गायत्री मंत्र की मधुर धुन तथा ऊंचे स्वरों में हरे कृष्ण का जाप शर्मा जी द्वारा बदस्तूर जारी था। यह परिचायक था कि भोर का आगमन हो चुका है। शर्मा जी भी पूरी तरह लैस होकर हाथ में छ़डी ले तैयार थे सुबह की सैर के लिए। नन्हा राहुल भी अपने चिरपरिचित अंदाज़ में अपने बाबा के साथ तैयार था। यद्यपि सुबह की सैर से उसका कोई लेना-देना नहीं था, वह तो जाता था, दाऊ जी हलवाई की गरमा-गरम कचौ़डी के लिए। आगे-आगे राहुल और पीछे उसके बाबा। आज फिर शर्मा जी उस ठूंठ के सामने जाकर रूके और अपनी छड़ी को उसके साथ टिकाकर व्यायाम करने लगे।

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इस सप्ताह

कहानियों में
भारत से गिरीश पंकज की कहानी
भाई साहब

बात करते–करते गेटविक एयरपोर्ट आ पहुंचे। चेक इन किया और डयूटी फ्री शॉप के सामने पहुंच कर खड़े हो गए। कॉफी पीते–पीते मैंने ग़ौर से देखा, सुनीता कहीं से भी वेस्ट इंडियन नहीं लग रही थी। लगती भी कैसे? है तो भारतीय मूल की। थोड़ी–सी सांवली है। लेकिन नाक–नक्श आकर्षित करने वाले हैं। सुनीता मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी। फिर बोली, "क्या देख रहे हैं? शायद सोच रहे होंगे कि किस ब्लैक–गर्ल से पाला पड़ गया। यहां चारों तरफ़ गोरे–गोरे चेहरे नज़र आ रहे हैं।" मैंने कहा, "आप ब्लैक गर्ल नहीं, ब्लैक ब्यूटी हैं। हमारे यहां आप जैसी कोई लड़की दिख जाए तो लोग पागल हो जाएं।"

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हास्य व्यंग्य में
रविशंकर श्रीवास्तव का दुःस्वप्न
आरक्षित भारत सन–2010

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प्रकृति और पर्यावरण में
ऑस्ट्रलिया से सूरज जोशी की प्रस्तुति
ऑस्ट्रेलिया के कंगारू

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पर्यटन में
चंदन सेन के साथ देखते हैं
बूंदों में खिलता बूंदी का रूप

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फुलवारी में
ललित कुमार से जानकारी की बातें
मिस्र, द .अफ्रीका, नाइजीरिया

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 सप्ताह का विचार
जो मनुष्य एक पाठशाला खोलता है वह एक जेलखाना बंद करता है। 
—अज्ञात

 

इस माह के कवि में सजीवन मयंक
साथ ही
दिशांतर और कविताओं में
अनेक कवियों की
नयी रचनाएं

–° पिछले अंकों से °–

कहानियों में
मां आकाश है–गिरिराज किशोर
बुधवार का दिन–गुरमीत बेदी
धूप के मुसाफ़िर – मुशर्रफ़ आलम ज़ौक़ी
सेल – इला प्रसाद
अब कहां जाओगे – ए असफल
जेबकतरे – भूपेन्द्र कुमार दवे
°

हास्य व्यंग्य में
तोहफ़ा टमाटरों का–मनोहर पुरी
फैशन शो में . . .–शास्त्री नित्यगोपाल कटार
हमारे पतलू भाई–नीरज त्रिपाठी
इतने पदक कैसेƖगुरमीत बेदी
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1
सामयिकी में
रोचक तथ्यों के साथ अर्बुदा ओहरी का
एक दिन मां के लिए
°
1
संस्मरण में
प्रख्यात लेखिका चंद्रकांता की स्मृतियां
देखना, जानना और होना
°
1
महानगर की कहानियों में
राजेन्द्र मोहन त्रिवेदी 'बंधु' की लघुकथा
मां…! मां…ё
°
1
कला दीर्घा में
भारतीय कलाकारों की तूलिका से
मां के विभिन्न रूप
°
1
मंच मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में
खेल एलपीएम–सीपीएम का
°
1
नाटक में
मिलिंद तिखे के नाटक का अंतिम भाग
फिर दीप जलेगा
°
1

चिठ्ठापत्री में
चिठ्ठापंडित की पैनी नज़र
अप्रैल महीने के चिठ्ठों पर

 

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना  परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
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