परिक्रमा नार्वे निवेदन

वसन्त आगमन से पहले


—डा सुरेश चंद्र शुक्ला 'शरद आलोक' 

गायिका कविता सेठ लेखक को अपने कैसेट भेंट करते हुए

मैने पिछले वर्ष एक कविता लिखी थी जिसकी कुछ पंक्तियाँ हैं:

“आओ रूको यहाँ कुछ देर बन्धु!
समय ने बाँधे कुछ सेतु बन्धु!
आकुल वसन्त अपने गाँव बन्धु!
मिलेगी यहाँ सबको छाँव बन्धु!

नार्वे में मई का महीना। वसन्त का मौसम अपनी सुषमा बिखेरेगा इसी प्रतीक्षा मे आकुल जन मन 30 अप्रैल की बरखा को विदाई देने के लिए तैयार, पर मानो बरखा जाने का नाम ही नहीं ले रही थी जैसे कहारों की प्रतीक्षा में दुलहन। डोली बिना दुलहन हो कैसे विदा। 

अन्तर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस पहली मई

पहली मई 2003 की सुबह। भोर को रिमझिम फौहारों से स्नान कराती बरखा। मुझे एक कार्यक्रम में जाना था। पहली मई को सामूहिक नाश्ते के कार्यक्रम में मुझे अपनी कवितायें पढ़नी थी। नाश्ते के लिए सार्वजनिक आमन्त्रित लोग। परन्तु सभी को अपना–अपना नाश्ता साथ लाना था, यह सूचना आमन्त्रण पत्र में प्रकाशित हुई थी और समाचारपत्र में भी। हम भी अपने खाने का सामान साथ ले गये।

बर्मिंगम यू.के से आये वहाँ 15 मकानों के मालिक सत्तरवर्षीय डा . शारंगधर प्रसाद अपनी पत्नी के संग सनातन मन्दिर में ठहरे थे। शारंगधर प्रसाद ने मुझसे मिलने की ईच्छा व्यक्त की थी। मैने सोचा कि वे लोग भी नार्वे में पहली मई देख लें। मै प्रात: साढ़े सात बजे उन्हें लेने कार से निकल पड़ा। वापस कार्यक्रम स्थल पर साढ़े नौ बजे पहुँच गया था।

कार्यक्रम के आरम्भ में सामूहिक गान गाये गये जो यहाँ के जन कवियों ने लिखे थे। एक नार्वेजीय कलाकार ने गिटार पर अपनी सात वर्षीय बालिका के साथ संयुक्तगान प्रस्तुत किया। ईरानी मूल की एक  22 वर्षीया उदीयमान राजनीतिज्ञ सादेफ ने वक्तव्य दिया। मैने अपनी कवितायें “इराकी बच्चों की पुकार” और “ओस्लो एक सांस्कृतिक नगर” और “तुम भी कुछ करो बन्धु” पढ़ींं। सोफुस उरके ने कार्यक्रम का व्यंग्यात्मक संचालन किया था।

उसके बाद हम नगर के मध्य में यंग्स थोरवे के ऐतिहासिक स्थल पर गये। सादेफ और प्रसाद दम्पति को भी कार में अपने साथ ले गये। दूर कार पार्क करके पैदल सभास्थल तक गये। मूल बिहार प्रान्त के डा .प्रसाद ने बताया कि हर वर्ष जुलाई महीने में पूरे यू .के . से बिहार प्रान्त के चिकित्सकों का एक सम्मेलन होता है जिसमें वे सपत्नीक सम्मिलित होते हैं। चिकित्सकों के इस विशाल कार्यक्रम में, जिसकी नीव डा . प्रसाद ने तीस बरस पहले रखी थी, चार–पाँच सौ चिकित्सक एकत्र होते हैं । रास्ते में पति–पत्नी की नोकझोंक होती रही फिर भी आपस में बहुत प्यार— नार्वे जहाँ मियाँ बीबी का तलाग एक बिल्ली और कुत्तों को पालने के कारण भी हो जाता है, यह दम्पति एक मिसाल थे।

थोरवे में मौसम अच्छा न होने के बावजूद हजारों की तादाद में छोटे बड़े सभी लोग उपस्थित थे। कोई हाथों में नारे लिखी तख्ती लिए, तो कोई बैनर लिए कोई नार्वेजीय राष्ट्रीय ध्वजों को हाथों में लिए खड़े अपने प्रिय नेताओं को सुन रहे थे। मानो कोई मेला हो। कुछ लोग नार्वे के स्थानीय परम्परागत परिधान में थे।

तीन मई को शाम और भी रंगीन हो गयी जब दो संस्कृतियों के दो युवा शादी के बन्धन में बँध गये। जापानी कन्या और भारतीय दूल्हे राजा। उजागर सिंह के पुत्र ने सुन्दर जापानी लड़की से विवाह किया। गीत संगीत के साथ सम्पन्न विवाहोत्सव में विभिन्न संस्कृतियों के लोग उपस्थित हुए। भारत से आमन्त्रित गायिका कविता सेठ ने सुन्दर गीत गाये और प्रीति सिंह की पुत्री ने सुन्दर नृत्य प्रस्तुत किया। पार्टी हो और भांगड़ा नृत्य न हो यह कैसे हो सकता है। 

नई दिल्ली की कविता सेठ एक अच्छी गायिका और कवियित्री हैं। कविता सेठ द्वारा गाये गए गीतों के दो आडियो कैसेट 1–वह एक लम्हा, 2–लाइव एट आगरा और टी सीरीज से एक सी डी 'हाँ यही प्यार है' निकल चुकी है। 

हमारे घर के पीछे बने बगीचे में कागज के फूल, छतरी फूल, ट्यूलिप और गुलाब के पुष्पों को देखकर ऐसा नहीं लगता था कि 30 अप्रैल को भयंकर बरफबारी हुई थी। कविता सेठ ने बताया कि मैने पहले ऐसी बरफ गिरते पहले कभी नहीं देखी थी।

पारामारिबो सूरीनाम में सातवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन

विश्व के सभी हिन्दी प्रेमियों के लिए खुशी का विषय है कि 5 जून से 9 जून तक दक्षिण अमरीका द्वीप के उत्तर में बसे गुयाना के पड़ोस मे बसे देश सूरीनाम की राजधानी पारामारिबो में सातवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। जो लोग इस सम्मेलन में जाना चाहें या सूचना प्राप्त करना चाहें वह निम्न पते से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

सूरीनाम में—
फैक्स: 00–579–491 800
ई मेल
:suhoc@sr.net

भारत में—
दूरभाष: 91 11 23 38 70 12
फैक्स:91 11 23 38 69 53

ई मेल: vishwahindi@nic.in 
 
जालघर:  www.vishwahindisammelan.nic.in

विश्व पुस्तक दिवस

भारतीय–नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम के तत्वाधान में 23 अप्रैल 2003 को ओस्लो में विश्व पुस्तक दिवस पर गोष्ठी सम्पन्न हुई। गोष्ठी में शाहिदा बेगम ने अफगानी शरणार्थी पर एक कहानी पढ़ी और सुरेशचन्द्र शुक्ल "शरद आलोक" ने प्रवासी भारतीय पर आधारित एक कहानी “वापसी”सुनायी।
ब्रित बेक्केदाल, इंगेर मारिये लिल्लेएंगेन, माया भारती, वासुदेव भरत और सुरेशचन्द्र शुक्ल "शरद आलोक" ने स्वरचित कवितायें सुनाई। नार्वे में विश्व पुस्तक दिवस आठवीं बार मनाया गया। बासदेव भरत ने सभी आगन्तुकों का स्वागत किया।

बैसाखी मेला

11 मई 2003 को रोमन स्कूल ओस्लो, नार्वे में बैसाखी मेला धूमधाम से मनाया गया। मौसम अच्छा था। स्कूल के बाहर प्रांगण में अनेक स्टाल लगे थे जिसमें तरह–तरह की खाने की वस्तुओं के अतिरिक्त संगीत की कैसटें, पत्रिकायें बिक्री के लिए उपलब्ध थीं। बच्चों के लिए विशेष आकर्षण था। 
बायें से आयोजक समिति के दो सदस्य, नार्वे के न्याय मन्त्री आइनार दोरूम,स्पाइल–दर्पण के सम्पादक सुरेशचन्द्र शुक्ल "शरद आलोक", स्थानीय संस्कृतिकर्मी लार्स ग्रासमू

इंडियन कल्चरल एशोसिएशन द्वारा आयोजित बैसाखी मेला में अनेक भारतीय समुदायों की सांस्कृतिक संस्थाओं व समूहों ने कार्यक्रम प्रस्तुत किये जिसमें एकता, हिन्दी भाषा और सांस्कृतिक केन्द्र, दामिनी, बीट्स, पंजाबी स्कूल नार्वे आदि ने अपने कार्यक्रम प्रस्तुत किये। भांगड़ा और गिददा प्रमुख आकर्षण रहे। मुख्य अतिथि, नार्वे के न्यायमन्त्री आइनार दोरूम ने अपने वक्तव्य में भारतीय समुदाय की सांस्कृतिक गतिविधियों की सराहना करते हुए कहा कि भारतीय मूल के प्रवासियों का योगदान सराहनीय है। उन्होंने आगे कहा कि केवल गुरूद्वारे में झगड़े के समाचार मिलते हैं जो मीडिया द्वारा पता चलता है जैसे (झगड़े) नार्वेवासियों ने सैकड़ो वर्ष पूर्व किये थे, बल्कि  भारतीय समाज की शालीनता और सांस्कृतिक योगदान बहुत प्रंससनीय है। 

एकता ग्रुप ने एक नाटक प्रस्तुत किया। नाटक की कहानी नार्वे में बसे एक सिख जाट परिवार पर आधारित थी जो स्वदेश से अपनी बहू पसन्द करके लाये थे ताकि वह उनकी हाँ में हाँ मे मिलाये। पर हुआ उलट–पलट। बहू आधुनिक विचारों वाली थी।नाटक मनोरंजक था पर माइक और निर्देशन बेहतर हो सकता था।

कार्यक्रम में स्पाइल के सम्पादक सुरेशचन्द्र शुक्ल ने इस कार्यक्रम को एक सार्थक और सफल प्रयास बताया। लार्स ग्रौनमू ने इस कार्यक्रम को सामूहिक, संगठित कार्यक्रम बताया तो पंजाबी स्कूल नार्वे की बलविन्दर परागपुरी ने इस कार्यक्रम को बहुत जरूरी बताया।