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सृजन-सम्मान द्वारा रायपुर में अंतरराष्ट्रीय लघुकथा सम्मेलन


रायपुर १६-१७ फ़रवरी, सृजन-सम्मान द्वारा आयोजित छठे अखिल भारतीय साहित्य महोत्सव एवं प्रथम अंतरराष्ट्रीय लघुकथा सम्मेलन के अवसर दो दिवसीय भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें देश-विदेश के अनेक हिंदी प्रेमियों तथा लघुकथा विशेषज्ञों ने भाग लिया।

अंतर्राष्ट्रीय आयोजन के पहले दिन लघुकथा की विषय वस्तु और शिल्प की सिद्धि विषय पर आयोजित कार्यशाला में लघुकथा को लेकर महत्वपूर्ण मुद्दे साहित्यकारों ने उठाए। जिनमें लघु और कथा, लघुकथा जीवन की आलोचना है, लघुकथा वाद नहीं संवाद आमंत्रित करता है, लघुकथा एक नया पाठकीय आस्वाद देता है, लघुकथा लेखक-विहीन विधा है, लेखक अदृश्य है, लघुकथाकारों को अपना रास्ता स्वयं बनाना चाहिए, लघुकथाकारों को अपना आलोचक स्वयं होना चाहिए और अनंत विषय शामिल थे। देश-विदेश से आए नामचीन साहित्यकारों ने बीज व्यक्तव्य में डॉ. जयप्रकाश मानस द्वारा उठाए गए इन मुद्दों पर सविस्तर चर्चा की।

कार्यक्रम के दूसरे दिन १७ फ़रवरी को इंटरनेट पर हिंदी लेखन पर विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें प्रसिद्ध टेक्नोक्रेट रवि रतलामी ने अपना उद्बोधन दिया। विमर्श तीन में सुबह ११ बजे से लघुकथा के भविष्य और भविष्य की लघुकथा पर चर्चा हुई। इसी दिन छठे अखिल भारतीय अलंकरण समारोह का आयोजन दोपहर दो से शाम चार बजे तक किया गया जिसमें पं. राजेंद्र प्रसाद शुक्ल समग्र कृतित्व पुरस्कार इलाहाबाद के वरिष्ठ लेखक एवं उत्तर प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष पं. केशरीनाथ त्रिपाठी को, पद्मभूषण पं. झाबरमल शर्मा पत्रकारिता पुरस्कार नवनीत मुंबई के संपादक विश्वनाथ सचदेव को, महंत बिसाहूदास कबीर साहित्य पुरस्कार भोपाल के हीरालाल शुक्ल को,  ठाकुर समग्र कृतित्व पुरस्कार दिल्ली के वरिष्ठ आलोचक कमल किशोर गोयनका को, प्रथम कृति सम्मान कवि अरविंद मिश्रा को, षष्टिपूर्ति सम्मान देवी प्रसाद वर्मा को, कृति सम्मान लक्ष्मण मस्तूरिहा को, भाषा-सेतु सम्मान डॉ टिप्पै स्वामी को, हिंदी गौरव सम्मान पूर्णिमा वर्मन को, मुस्तफ़ा हुसैन मुश्फ़िक सम्मान हस्तीमल हस्ती को, छत्तीसगढ़ गौरव सम्मान रवि रतलामी को तथा माधवराव सप्रे लघुकथा सम्मान सुकेश साहनी को दिए गए। इसके अलावा इस अवसर पर कई साहित्यकारों को सम्मानित किया गया तथा दो दर्जन से अधिक पुस्तकों का विमोचन भी किया गया।

२५ फरवरी २००८

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