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 पर्व पंचांग १. १. २००८

इस सप्ताह

समकालीन कहानियों में भारत से
संतोष दीक्षित की कहानी माधुरी दीक्षित

पिछले वर्ष दिव्या दीक्षित के नाम से फार्म भरा था बुआ ने हायर सेकेंडरी का। चूँकि यह नाम भी मनहूस ही साबित हुआ था उनके लिए, सो इस दफा फार्म भरते हुए उन्होंने अपना नया नामकरण किया- माधुरी दीक्षित। और महिमा देखिए इस नाम की, बुआ पास हो गई। वह भी थर्ड नहीं, सेकेंड डिवीजन से। सचमुच पास कर गईं बुआ? मुझे भी यकीन नहीं हो रहा था। मगर जब बाबा ने पुष्टि की, दाल बघारती हुईं बुआ के साथ-साथ मैं चीख उठा था- थ्री चियर्स फॉर माधुरी दीक्षित...हिप-हिप हुर्रे। बुआ अब माधुरी दीक्षित हो गईं, यही नाम दर्ज़ हो चुका था प्रमाण-पत्रों में भी। इसके अलावा अब कोई और नाम संभव भी नहीं था उनके लिए।

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सप्ताह का विचार
यदि तुम्हें अपने चुने हुए रास्ते पर विश्वास है, यदि इस पर चलने का साहस है, यदि इसकी कठिनाइयों को जीत लेने की शक्ति है, तो रास्ता तुम्हारा अनुगमन करता है। --धीरूभाई अंबानी

 

हास्य-व्यंग्य में
हरिशंकर परसाईं का
नया साल

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निबंध में
गुणाकर मुले से जानकारी
भारतीय कैलेंडर की विकास यात्रा

क्या आप जानते हैं?
रोम के तानाशाह जूलियस सीज़र ने ईसा पूर्व ४५वें साल में जब जूलियन कैलेंडर की स्थापना की, उस समय विश्व में पहली बार १ जनवरी को नए साल का उत्सव मनाया गया। - अमित प्रभाकर

दृष्टिकोण में
विशाखा शर्मा की लेखनी से

सन २००८ की आहट
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पर्व परिचय में
सन २००८  के विशेष पर्वों की सूचना के लिए

पर्व पंचांग

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नव वर्ष विशेषांक समग्र में

 

अनुभूति में-
अनुभूति के जन्मदिन और
नव वर्ष के अवसर
पर विशेष रचनाएँ

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कलम गही नहिं हाथ
1
सभी पाठकों को नव वर्ष की शुभ कामनाएँ।
1
कामनाएँ जीवन का आवश्यक तत्व हैं, इन्हें भारतीय जीवन दर्शन में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष में तीसरे सोपान पर रखा गया हैं। कामनाओं में जो 'काम' है वही हमें काम करने की प्रेरणा देता है और उसको पूरा करने का साहस भी। शुभ में शुचिता, सुंदरता और कल्याण के अनेक अर्थ छुपे हैं। कामनाएँ कमनीय हों, कल्याणकारी हों और पवित्र हों तो फिर कहना ही क्या! आज की शुभ कामनाएँ हमें अच्छे कामों में लगाएँ और जीवन को शुभ बनाएँ!
1
इस साल से अभिव्यक्ति और अनुभूति प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होंगी। 'क्या आप जानते हैं' में विभिन्न विषयों की मनोरंजन जानकारी होगी। पुराने पन्नों को पुरालेखों में तिथि के अनुसार या विषय के अनुसार देखा जा सकेगा और मुखपृष्ठ पर केवल एक अंक रहेगा। लिखना न भूलें कि ये परिवर्तन कैसे लग रहे हैं। पता ऊपर है ही, --
           पूर्णिमा वर्मन  (टीम अभिव्यक्ति)
 

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|-
सहयोग : दीपिका जोशी

 

 

 

 

 

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