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बहुत लड़े हम अबकी बार
जीवन की गहमा गहमी में आते रहे
उतार चढ़ाव


 

किसने देखे किसने जाने
इस दुनिया के ताने बाने
कितनी बातें कितनी शर्तें

तर्कों  पर तर्कों  की पर्तें
भूल गए हम दोनो तो हैं एक नाव की
दो पतवार


 

लंबी बहसों का हलदायक
लड़ना अपनों का परिचायक
सच्चे मन से बहने वाले
आँसू होते हैं फलदायक
कड़वी दवा हमें देती है कभी कभी
असली उपचार



चलो काम को कल पर टालें
कुछ पल तो हम साथ बितालें
साथ बुने जो सपने मिल कर
आओ उनको पुनः संभालें
हाथ मिलाकर आज सजालें अपने सुख
का पारावार

 



 






 

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