फुलवारी

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राम जी का उड़न-खटोला

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आज दिवाली है। सबके घरों में दिये जल रहे हैं। कुछ घरों में बिजली की लड़ियाँ लटकी हैं। मीतू और मीतू के घर में भी सजावट की गई है। गणेश-लक्ष्मी की नई मूर्तियाँ आई हैं। पूजा करते समय माँ ने भगवान राम की कहानी सुनाई।

"चौदह साल वन में राक्षसों का आतंक दूर करने के बाद जब राम जी उड़न-खटोले में सीता, लक्ष्मण और हनुमान के साथ अयोध्या नगरी पहुँचे, तब प्रजा ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया।"

"उड़न खटोले से ?" मीतू ने पूछा।
"हाँ मीतू, जैसे खटोले में तुम झूला झूलती हो न, वैसा ही खटोला बस वह हवाई जहाज की तरह हवा में उड़ता था।"
"
अच्छा!" मीतू ने आश्चर्य से कहा।
माँ ने आगे बताया- "उसी दिन से हर साल सारे भारत के निवासी दिवाली का त्योहार मनाते हैं।"

पूजा पूरी हुई, सबने प्रसाद लिया, आरती ली, घर में दिये सजाए गए और सबने मिलकर फुलझरियाँ छुड़ाईं।

सब कुछ करते हुए भी मीतू का ध्यान उड़न-खटोले में ही था। जब वह सोने गई तब उसने एक सपना देखा कि वह शहर के ऊपर एक उड़न-खटोले में गीतू के साथ उड़ रही है। ठीक वैसे ही जैसे राम जी सीता, लक्ष्मण और हनुमान के साथ उड़न-खटोले में उड़ रहे थे। नीचे दिखाई देता शहर दिवाली में जगमग कर रहा था। देर तक यह सपना मीतू का आँखों में बसा रहा।

- पूर्णिमा वर्मन

२८ अक्तूबर २०१३

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