सूक्तियाँ
सप्ताह का विचार   (पुरालेख)
२००९
  • दूसरों की ग़लतियों से सीखें। आप इतने दिन नहीं जी सकते कि खुद इतनी ग़लतियाँ कर सकें।
    - अमिताभ बच्चन
  • प्रकृति का तमाशा भी ख़ूब है। सृजन में समय लगता है जबकि विनाश कुछ ही पलों में हो जाता है।
    - ज़क़िया ज़ुबैरी
  • कुछ प्रलोभन परिश्रमी व्यक्ति को हो सकते हैं, किंतु सारे प्रलोभन तो केवल आलसी व्यक्ति पर ही आक्रमण करते हैं। --मुक्ता
  • देश का उद्धार विलासियों द्वारा नहीं हो सकता। उसके लिए सच्चा त्यागी होना आवश्यक है।
    -प्रेमचंद
  • दान-पुण्य केवल परलोक में सुख देता है पर योग्य संतान सेवा द्वारा इहलोक और तर्पण द्वारा परलोक दोनों में सुख देती है। -कालिदास
  • वसंत अपने आप नहीं आता, उसे लाना पड़ता है। सहज आने वाला तो पतझड़ होता है, वसंत नहीं।
    -हरिशंकर परसाई
  • मिथ्या लांछन का सबसे अच्छा उत्तर है शांत रहकर धैर्यपूर्वक अपने काम में निरंतर लगे रहना।
    - मुक्ता
  • संसार में ऐसे अपराध कम ही हैं जिन्हें हम चाहें और क्षमा न कर सकें।
    - शरतचंद्र
  • तृण से हल्की रूई होती है और रूई से भी हल्का याचक। हवा इस डर से उसे नहीं उड़ाती कि कहीं उससे भी कुछ न माँग ले। -चाणक्य
  • जलाने की लकड़ी ही होलिका है जब वह जलती है तब प्रह्लाद की प्राप्ति होती है। प्रह्लाद जो आह्लाद का ही विशेष रुप है। -मुक्ता
  • शारीरिक वीरता एक पाशविक प्रवृत्ति है। मनुष्य की असली वीरता तो मानसिक और नैतिक होती है।
    - अज्ञात
  • सच्चे वीर को युद्ध में मृत्यु से जितना कष्ट नहीं होता उससे कहीं अधिक कष्ट कायर को युद्ध के भय से होता है।  - भतृहरि
  • मासिक वेतन पूरनमासी का चाँद है जो एक दिन दिखाई देता है और घटते घटते लुप्त हो जाता है। 
    - प्रेमचंद
  • प्रतिभा का अर्थ है बुद्धि में नई कोपलें फूटते रहना। नई कल्पना, नया उत्साह, नई खोज और नई स्फूर्ति प्रतिभा के लक्षण हैं। -विनोबा
  • संसार भर के उपद्रवों का मूल व्यंग्य है। हृदय में जितना यह घुसता है उतनी कटार नहीं।
    --जयशंकर प्रसाद
  • आत्मविश्वास सरीखा दूसरा कोई मित्र नहीं। यही हमारी उन्नति में सबसे बड़ा सहयक होता है।
    -- स्वामी विवेकानंद
  • अगर भगवान से माँग रहे हो तो हल्का बोझ मत माँगो, मजबूत कंधे माँगो।
    -- अमिताभ बच्चन
  • बुद्धिमान मनुष्य अपनी हानि पर कभी नहीं रोते बल्कि साहस के साथ उसकी क्षतिपूर्ति में लग जाते हैं।
    -- विष्णु शर्मा
  • धन के लोभी के पास सच्चाई नहीं रहती और व्यभिचारी के पास पवित्रता नहीं रहती।
    --चाणक्य
  • बूढा होना कोई आसान काम नहीं। इसे बड़ी मेहनत से सीखना पड़ता है।
    --निर्मल वर्मा
  • महान विचार ही कार्य रूप में परिणत होकर महान कार्य बनते हैं।
    --विनोबा
  • बुद्धि से विचारकर किए गए कर्म ही सफल होते हैं।
    - महाभारत
  • चितवन से जो रुखाई प्रकट की जाती है, वह भी क्रोध से भरे हुए कटु वचनों से कम नहीं होती।
    - रामचंद्र शुक्ल
  • अपने भाई बंधु जिसका आदर करते हैं, दूसरे भी उसका आदर करते हैं।
    - महाभारत
  • सही स्थान पर बोया गया सुकर्म का बीज ही समय आने पर महान फल देता है।
    - कथा सरित्सागर
  • चिंता से चित्त को संताप और आत्मा को दुर्बलता प्राप्त होती है, इसलिए चिंता को तो छोड़ ही देना चाहिए।
    -ऋग्वेद
    दी
  • कोई भी व्यक्ति अयोग्य नहीं होता केवल उसको उपयुक्त काम में लगाने वाला ही कठिनाई से मिलता है। 
    -शुक्रनीति
    दी
  • स्वयं प्रकाशित दीप को भी प्रकाश के लिए तेल और बत्ती का जतन करना पड़ता है बुद्धिमान भी अपने विकास के लिए निरंतर यत्न करते हैं।
  • कोई भी व्यक्ति अयोग्य नहीं होता केवल उसको उपयुक्त काम में लगाने वाला ही कठिनाई से मिलता है। 
    -शुक्रनीति
  • दीपक सोने का हो या मिट्टी का मूल्य दीपक का नहीं उसकी लौ का होता है जिसे कोई अँधेरा नहीं बुझा सकता।- विष्णु प्रभाकर
  • भातृभाव का अस्तित्व केवल आत्मा में और आत्मा के द्वारा ही होता है, यह और किसी के सहारे टिक ही नहीं सकता। --श्री अरविंद
  • विश्व में अग्रणी भूमिका निभाने की आकांक्षा रखनेवाला कोई भी देश शुद्ध या दीर्घकालीन अनुसंधान की उपेक्षा नहीं कर सकता।- होमी भाभा
  • हर चीज़ की कीमत व्यक्ति की जेब और ज़रूरत के अनुसार होती है और शायद उसी के अनुसार वह अच्छी या बुरी होती है। -संतोष गोयल
  • महापुरुषों का सर्वश्रेष्ठ सम्मान हम उनका अनुकरण कर के ही कर सकते हैं। 
    - महात्मा गांधी
  • लोभी को धन से, अभिमानी को विनम्रता से, मूर्ख को मनोरथ पूरा कर के, और पंडित को सच बोलकर वश में किया जाता है। -हितोपदेश
  • अविश्वास आदमी की प्रवृत्ति को जितना बिगाड़ता है, विश्वास उतना ही बनाता है।
    - धर्मवीर भारती
  • इस विश्व में स्वर्ण, गाय और पृथ्वी का दान देनेवाले सुलभ है लेकिन प्राणियों को अभयदान देनेवाले इन्सान दुर्लभ हैं। - भर्तृहरि
  • बलवान व्यक्ति की भी बुद्धिमानी इसी में है कि वह जानबूझ कर किसी को शत्रु न बनाए।
    - शुक्रनीति
  • मैं हिन्दुस्तान की तूती हूँ। अगर तुम वास्तव में मुझसे जानना चाहते हो तो हिन्दवी में पूछो। मैं तुम्हें अनुपम बातें बता सकूँगा। -अमीर ख़ुसरो
  • अधिकतर लोग नए साल की प्रतीक्षा केवल इसलिए करते हैं कि पुरानी आदतें नए सिरे से फिर शुरू की जा सकें। - अज्ञात

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