मंगलमय फुलझरियाँ छूटें
 

 

 

दीपावलि की सघन अमा में
घर आँगन और दिशा दिशा में
अंतस की हर गहन गुफ़ा से
खुशियों के स्वर फूटें
मंगलमय फुलझरियाँ छूटें

 

      

 

सजें मुँडेरें दीपदान से
हर आँगन हल्दी औ धान से
लक्ष्मी चरण चिह्न दरवाज़े
सभी अपशकुन टूटें
मंगलमय फुलझरियाँ छूटें

 

      

 

नव संवत नव लोक नई ऋतु
सखा बंधु परिवार मात-पितु
सुख समृद्धि सुशोभित जन-गण
पुण्य अनगिनत लूटें
मंगलमय फुलझरियाँ छूटें

 

      


-पूर्णिमा वर्मन


 

 

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