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 बतरस से लिखवट                                         तट पर मगरमच्छ

समुन्द्री किनारे सच मे बहुत अद्भूत होते हैं।
कई जगहो पर तो रेत ही रेत होती है। ये बीच कहलाते है और लोग इनको घूमने/तैरने के लिए काम में लाते हैं। कई किनारे चट्टानी होते है। इन पर मेरे जैसे घुमकड़ चक्कर लगाने मे हिचकते नहीं हैं।

कई किनारो पर सपाट ऊँचाईयाँ लिए पहाड़ होते हैं। ये किनारे पहाड़ी के शिखर पर खड़े होकर ही देखे जा सकते हैं। इन किनारो पर जाना काफी कठिन होता है। और कुछ किनारों पर रेत के साथ साथ चट्टाने भी दिखती हैं। रेत और ठोस चट्टाने आपस मे घुली मिली सी होती हैं। कुछ चट्टाने पानी से लगातार सम्पर्क मे आते आते घिस कर बहुत ही सुंदर सा आकार ले लेती है। इनको देखकर ऐसा लगता है जैसे किसी कलाकार ने अपनी छेनी/हथोड़ी से बहुत समय लगाकर इसे इस रूप मे तराशा है।

डिक्सन पार्क बीच रेत व चट्टानो का मिलाजुला बीच है। वहीं पर मेरी इस चट्टानी "मगरमच्छ" से मुलाकात हुई थी। कमाल की कलाकृति बना दी है समुन्द्री लहरो ने। जब भी इस बीच पर जाता हूँ इस मगरमच्छ से हाय हल्लो जरूर होती है।

- रतन मूलचंदानी
१ जुलाई २०२३

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