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घर-परिवार बचपन की आहट


नवजात शिशु का दूसरा सप्ताह
इला गौतम


उसकी नज़र सिर्फ आपके लिए

शिशु की नज़र अभी भी काफ़ी धुँधली होती है। बच्चे पास की नज़र लेकर पैदा होते हैं और वही वस्तु देख सकते हैं जो उनसे ८ से १० इन्च की दूरी पर हो। इसलिए बच्चा अपनी माँ का चेहरा साफ़-साफ़ तभी देख सकता है जब वह अपनी माँ के करीब उसकी बाहों मे हो।

शिशु का इस उर्म में आँख में आँख डाल कर न देखना कोई चिन्ता का विषय नही है। नवजात शिशु आम तौर पर सामने वाले की भौंह, माथे पर जहाँ से बाल शुरू होते हैं वहाँ, या हिलते हुए चेहरे की तरफ़ देखते हैं। जैसे जैसे बच्चा पहले महीने में परिवार के लोगों को पहचानने लगेगा वैसे वैसे वह उनसे नज़रें भी मिलाने लगेगा। शोध में पाया गया है कि नवजात शिशु को, बाकी वस्तुएँ जैसे भिन्न भिन्न आकृतियों और रंगों की तुलना में, व्यक्तियों के चेहरे देखना सबसे ज़्यादा पसंद आता है। विपरीत रंगों वाली वस्तुएँ जैसे शतरंज की बिसात बच्चों की अगली पसंद होते है।

जब बच्चा दूध पी रहा हो तो माँ अपना चेहरा दाएँ और बाएँ ओर घुमा कर देख सकती है कि बच्चे की आँखें भी दाएँ और बाएँ ओर घूम रही हैं या नही। इस कसरत से शिशु की आँख की मासपेशियों को मज़बूत बनने मे मदद मिलेगी। यदि इस कसरत के दौरान शिशु की आँखें भैंगी हो जाए तो घबराएँ नही। शिशु के जीवन के पहले महीने के करीब उसकी नज़र भटकना या भैंगी होना साधारण बात है। शिशु की आँखें प्रकाश के प्रति सम्वेदनशील होती हैं और उनकी दृष्टि त्रिआयामी होती है।

वज़न संबन्धित बातें

यदि शिशु स्तनपान कर रहा हो तो कई बार माँ को पता नही चलता कि शिशु को भर पेट दूध मिल रहा है या नही क्योंकि ऐसा लगता है जैसे बच्चा हर वक्त भूखा है। हो सकता है कि वह हो भी क्योंकि शिशु माँ का दूध बहुत जल्दी पचा लेते हैं।

कुछ संकेत जिनसे पता चल सकता है कि बच्चे को भर पेट माँ का दूध मिल रहा है -

  • दूध पिलाने के बाद माँ को अपना स्तन खाली और नरम लगेगा।

  • शिशु का रंग अच्छा होगा और उसकी त्वचा कसी हुई होगी जो चिकोटी काटने पर तुरंत वापस अपनी जगह पर आ जाएगी (यदि शिशु को कम दूध मिल रहा हो तो शिशु को चिकोटी काटी जाए तो उसकी त्वचा कुछ पलों तक सिकुड़ी ही रह जाती है)।

  • शिशु लम्बाई और वज़न दोनो में बढ रहा हो।

  • यदि कमरे मे शांति हो तो बच्चे के दूध निगलने की आवाज़ सुनी जा सकती है।

  • शिशु के मल का रंग पीला होगा या फिर और गहरा होगा।

  • दिन भर मे कम से कम ७ से ८ बार वह कपड़े गीले करेगा।

  • शिशु माँ का दूध पी रहा हो या ऊपर का, ध्यान में रखने वाली बात यह है कि हर बच्चे का वृद्धि दर अलग होता है और यह वृद्धि दर कभी कभी कम भी हो सकती है।

यदि शिशु अपने विकास के चरण लगभग सही समय पर पूरे कर रहा है, माँ से अच्छी तरह सम्बंधित हो रहा है, अन्ततः खुश और स्वस्थ लग रहा है, तो वह सामान्य रूप से स्वस्थ है। लेकिन अगर डॉक्टर की नियमित वज़न जाँच से यह पता चले कि बच्चे का वज़न सही दर पर नही बढ़ रहा तो या तो शिशु ठीक से खा नही रहा, या फिर उसका पोषक तत्व ठीक से उसके शरीर द्वारा पचाए नहीं जा रहे।

शिशु और मलत्याग

शुरू के दिनो में नवजात शिशु के मल गाढ़ा और गहरे हरे रंग का होता है। यह मैकोनियम, एक पदार्थ जो कि शिशु की आँतो में जमा हो गया था, जब वह अपनी माँ के गर्भ में था - के कारण होता है। जैसे जैसे शिशु दूध पीना शुरू करता है और मैकोनियम बाहर आता है वैसे वैसे उसके मल का रंग पीला होना शुरू हो जाता है। लेकिन मल का रंग, अगर वह माँ का दूध पी रहा है तो माँ के भोजन के आधार पर, या अगर वह ऊपर का दूध पी रहा है तो उसकी मात्रा और प्रकार के आधार पर रोज़ बदल सकता है। शिशु को दूध में कितना पानी मिल रहा है उस पर भी उसके मल का रंग निर्भर करता है।

एक नवजात शिशु दिन भर में ८ से १० बार मलत्याग कर सकता है, लेकिन जब तक उसको दिन मे कम से कम एक बार मलत्याग हो रहा है वह ठीक है। यदि बच्चा स्तनपान कर रहा है तो बच्चे का दस्त की तरह पतला या नर्म हो सकता है।


नकल की प्रवृत्ति

जानकारों का कहना है कि लगभग दो सप्ताह के शिशु भी चेहरे और भाव ठीक तरह से पहचान सकते हैं और कभी कभी उसकी नकल भी बना सकते हैं। यदि माँ अपना चेहरा शिशु के करीब ला कर अपनी जीभ बाहर निकाले या भौं उचकाए तो हो सकता है कि शिशु माँ की नकल करे।

अगर शिशु माँ के भाव की नकल न भी करे तो समझना चाहिए कि वह उनको अपने दिमाग में दर्ज कर रहा है और सीख रहा है। यदि माँ के बातचीत करने पर शिशु कोई जवाब न दे तो भी चिन्ता की कोई बात नही है। हो सकता है कि बच्चे को नींद आ रही हो या वो थका हुआ हो और उसे आराम की ज़रूरत हो।

पेट के बल लेटने का समय

छोटे बच्चे अपना काफ़ी समय सोते हुए बिताते हैं। साँस रुकने से दम घुटने का खतरा कम करने के लिए बच्चे को पीठ के बल सुलाना सबसे सुरक्षित रहता है। लेकिन जब बच्चा जाग रहा हो - और आने वाले हफ़्तो में जब वह ज़्यादा समय के लिए जगा रहने लगेगा - तो उसे पेट के बल लिटाना ज़रूर याद रखना चाहिए। बच्चों के लिए रोज़ कुछ समय अपने पेट के बल लेटना ज़रूरी होता है ताकि उनके गले की मासपेशी मज़बूत हों। शिशु को अभी से इस अवस्था में लेटने का अभ्यास शुरू कर देना अच्छा रहता वह बड़ा हो कर उस अवस्था में लेटने के लिए मना कर सकता है।

याद रखें, हर बच्चा अलग होता है

सभी बच्चे अलग होते हैं और अपनी गति से बढते हैं। विकास के दर्शानिर्देश केवल यह बताते हैं कि शिशु में क्या सिद्ध करने की संभावना है - यदि अभी नही तो बहुत जल्द। ध्यान रखें कि समय से पहले पैदा हुए बच्चे सभी क्रियाएँ करने में ज़्यादा वक्त लेते हैं। यदि माँ को बच्चे के स्वास्थ से सम्बन्धित कोई भी चिंता हो तो उसे स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए।

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