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घर-परिवार बचपन की आहट


शिशु का २७वाँ सप्ताह
इला गौतम


चेतना का विस्तार

शिशु अपनी पूरी चेतना उसके आस पास की दुनिया को समझने में लगा देता है। सुनिश्चित करें कि उसके पास ढ़ेर सारी सुरक्षित चीज़े हों जिन्हे वो छू सके, मूँह में डाल सके और उसको जोड़-तोड़ सके। रब्बर की नर्म गेंद को पिचकाना, नकली फ़र पर हाथ मारना, ठंडा पानी भरा रबड़ का छल्ला दाँत से चबाना, और रुई भरे खिलौने के अंदर घंटी की आवाज़ सुनना, यह सभी चीज़ें करने में शिशु को बहुत मज़ा आएगा।

एक मज़ेदार कार्यः तरह-तरह के कपड़े जैसे मलमल, फ़र, ऊन आदि के टुकड़े ज़मीन पर बिछा दें। और फिर देखिए शीशु के चेहरे के भाव कैसे बदलते हैं जब वह इन कपड़ों को छूता है।

कहानी की दुनिया में पहला कदम

शिशु के साथ किताबें पढ़ने से उसके भाषा कौशल को विकसित होने में मदद मिलेगी और उसकी किताबें पढ़ने में रूचि बनेगी। आप कोई भी किताब चुन सकते हैं। गत्ते की किताबें रंग-बिरंगी और मजबूत होती हैं। वह किताबें जिसमें से चीज़ें निकल कर आती हैं, और कपड़े की किताबें भी बच्चो में काफ़ी लोकप्रिय हैं।

शिशु जब तक ९ या १२ महीने का नही हो जाता उसमें किताब खोलने और पन्ने पलटने की निपुणता नही आएगी और ना ही उसमें इतना धैर्य होगा कि वह स्थिर बैठकर आपकी पूरी कहानी सुने। लेकिन हार न मानें और लगे रहें। शिशु की उम्र जो भी हो, साथ-साथ किताब पढ़ना शीशु के साथ प्यार से समय बिताने का एक बहुत अच्छा तरीका है।

खाना अपने हाथों से

अब शिशु आपको संकेत दे रहा है, जिस चम्मच से आप उसे खाना खिलाते हैं उसे छीन कर या फिर आपकी थाली में से खाना लेकर, अपने हाथों से उठाकर खाने वाले आहार के लिए तैयार है। ४ या ५ अँगुली से खाए जाने वाले भोजन अब शिशु को दिये जा सकते हैं जैसे बिस्कुट। शिशु की ऊँची कुर्सी की ट्रे में या न टूटने वाली किसी प्लास्टिक की प्लेट में रखकर ये आहार शिशु को दें।

शिशु को भूख तो ज़्यादा होती है लेकिन दाँत नही। इसलिए उसे ऐसा खाना दें जो उसके मुँह में आसानी से घुल जाए। जैसे-जैसे शिशु बड़ा होगा आप उसे छोटा-छोटा तोड़ कर वो सब दे सकेंगे जो आप खाते हैं।

याब रखें कि शीशु बनावट, रंग, और खुशबू के बारे में भी सीख रहा है इसलिए उसे विभिन्न प्रकार के आहार दें। कुछ पसंदीदा आहार हैं, छोटा-छोटा कटा केला, छिला हुआ आम, आड़ू, नाशपाती, बिना बीज का तरबूज़, पनीर के टुकड़े, पास्ता, चीज़, कुछ पकी सब्ज़ियों के छोटे-छोटे टुकड़े जैसे गाजर, आलू, मटर आदि। ध्यान रखें टुकड़े बहुत छोटे हों ताकि गले में अटकने का भय न रहे।

खेल खेल खेल

  • खाने पर मेहमान - इस खेल के लिए आपको चाहिए एक गुड़िया या टेडी बियर जिसके हाथ हिलते हों और एक बच्चों का चम्मच। यदि शिशु आपके हाथ से खाना खाते-खाते ऊब चुका है तो इस काम के लिय उसके मन पसंद गुड्डे, गुड़िया, या टेडी बियर की सहायता लेना मज़ेदार रहेगा। टेडी बियर को मेज़ के पास लाकर शिशु से कहें कि आज उसे एक खास मेहमान खाना खिलाने वाला है। टेडी बियर के हाथ में चम्मच पकड़ कर फिर सिशु को खिलाएँ जैसे टेडी बियर ही शिशु को खाना खिला रहा हो। यदि शिशु अब अपने आप खाने लगा है तो आप टेडी बियर को शिशु के बगल में बठाकर बिब पहनाकर बारी-बारी से टेडी बियर और शिशु को खाना खिलाने का खेल भी खेल सकते है। इस खेल से शिशु में कारण और प्रभाव की भावना विकसित होती है और शिशु की भूख भी बढ़ती है।

  • बुलबुलों की बोतल - इसके लिए आपको ज़रूरत पड़ेगी एक प्लास्टिक की बोतल (या २-३ बोतलों) की जिनका ढ़क्कन कस के बंद हो जाता हो, खाने में इस्तेमाल होने वाले रंगों की और तरल साबुन की। एक बड़ी प्लास्टिक की बोतल (पानी की एक लीटर की बोतल अच्छी रहेगी) को एक तिहाई पानी से भर दें। फिर उसमें कुछ बूँद तरल साबुन और कुछ बूँद खाने वाला रंग डालें। फिर बोतल को अच्छे से बंद कर के शिशु को पकड़ा दें। उसको दिखाएँ कि बोतल को कैसे हिलाकर रंग-बिरंगे बुलबुले बनाए जाते हैं। फिर उसको बोतल को ज़मीन पर रोल करना भी बताएँ। आप ऐसी कई सारी बोतलें बनाकर शिशु को रंगों की दुनिया से परिचित करा सकते हैं।

याद रखें, हर बच्चा अलग होता है

सभी बच्चे अलग होते हैं और अपनी गति से बढते हैं। विकास के दिशा निर्देश केवल यह बताते हैं कि शिशु में क्या सिद्ध करने की संभावना है - यदि अभी नही तो बहुत जल्द। ध्यान रखें कि समय से पहले पैदा हुए बच्चे सभी र्कियाएँ करने में ज़्यादा वक्त लेते हैं। यदि माँ को बच्चे के स्वास्थ सम्बन्धित कोई भी प्रश्न हो तो उसे अपने स्वास्थ्य केंद्र की सहायता लेनी चाहिए।

२६वाँ सप्ताह

४ जुलाई २०११

२८वाँ सप्ताह

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