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घर-परिवार बचपन की आहट


शिशु का ३१वाँ सप्ताह
इला गौतम


वियोग चेतना का प्रारंभ

शिशु इस उम्र में वियोग चेतना के संकेत देने लगता है। यह चिन्ता का विषय नहीं है बल्कि, शिशु के आस पास की दुनिया के प्रति बढ़ती समझ का संकेत है। पहले जब आप कमरे में शिशु को छोड़ कर जाते थे तब उसे कुछ खास पता नही चलता था। लेकिन अब शिशु को पता चल जाता है कि आप चले गए हैं, वह आपको चित्रित कर सकता है और याद करता है - इसीलिए जैसे ही आप उसकी आँखों से ओझल होते है वह रोने लगता है।

शिशु की आपसे अलग होने की अनिच्छा से आपको प्रसन्नता होगी या फिर हो सकता है कि आप कभी-कभी चिड़चिड़ा जाएँ। यदि आप किसी काम से बाहर जा रहे हों तो दरवाज़े से बाहर जाने से पहले शिशु को ढ़ेर सारा प्यार कर के अलविदा कहें और उसको बताएँ की आप जल्दी वापस आ जाएँगे। शिशु अभी यह नही समझ पाएगा कि आप एक घंटे में वापस आ जाएँगी, लेकिन यह प्यार और दुलार शिशु को सांत्वना देगा जबतक वह आपको दोबारा नही देख लेता।

कोशिश करें की हर बार बाहर जाते समय आप एक ही तह से अलविदा कहें ताकि शिशु को पता चल जाए कि आप जाकर लौट आएँगे। उसे हमेशा किसी जाने पहचाने व्यक्ति के पास छोड़ें ताकि भले ही उसके पास माँ या पिता ना हों लेकिन वह खुश रहेगा कि वह कम से कम अपनी पहचान के देखभाल करने वाले व्यक्ति के पास है।

ध्यान दें - भले ही शिशु अभी तक पूरी रात आराम से सो रहा था लेकिन अब यदि उसे वियोग चेतना का अनुभव हो रहा है तो वह रात में समय-समय पर उठेगा – वियोग चेतना और नींद में संबंध पाया गया है।

खेल खेल खेल

  • कहानी वाली तख्ती - इस खेल के लिए आपको चाहिए एक स्लेट या दफ्ती का टुकड़ा जिस पर कुछ चीजें रखी जा सकें, यह किसी भी किताब कापी की दुकान पर मिल जाएगा। कुछ के रंग बिरंगे कपड़ों या कागज के टुकड़े मज़ेदार आकार में कटे हुए। पहले कपड़े को एक गुड़िया के आकार में काटें (यदि आपकी मुन्नी नही मुन्ना है तो कपड़े को गुड्डे के आकार में काटें)। फिर कुछ पहाड़, पेड़, सूरज, चाँद भी काट लें ताकि दिन और रात बन सके। फिर एक घर, एक मोटर कार आदि काटें जिनके आस पास एक कहानी रची जा सके जो आपके बच्चे के जीवन से मिलती-जुलती हो।

    अपने शिशु की तरफ़ मुँह कर के आमने सामने बैठें और मलमल के तख़्ते को अपनी गोद में ऐसे रखें ताकि शिशु उसे साफ़-साफ़ देख सके। फिर इन सब वस्तुओं के इर्द-गिर्द एक कहानी बनाकर शिशु को सुनाएँ। जैसे "एक बार एक लड़की थी (तख़्ते पर गुड़िया रख दें) जो एक छोटे से घर में रहती थी (तख़्ते पर घर रख दें)।" इस खेल से शिशु के मौखिक और श्रवण कौशल का विकास होता है। कुछ महीनो में जब शिशु बड़ा हो जाएगा तब उसके मुँह से यही कहानी सुनते हुए बड़ा मज़ा आएगा।

याद रखें, हर बच्चा अलग होता है

सभी बच्चे अलग होते हैं और अपनी गति से बढते हैं। विकास के दिशा निर्देश केवल यह बताते हैं कि शिशु में क्या सिद्ध करने की संभावना है - यदि अभी नही तो बहुत जल्द। ध्यान रखें कि समय से पहले पैदा हुए बच्चे सभी र्कियाएँ करने में ज़्यादा वक्त लेते हैं। यदि माँ को बच्चे के स्वास्थ सम्बन्धित कोई भी प्रश्न हो तो उसे अपने स्वास्थ्य केंद्र की सहायता लेनी चाहिए।

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