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घर-परिवार बचपन की आहट


शिशु का ४७वाँ सप्ताह
इला गौतम


भाषा की बढ़ती हुई समझ

इस समय शिशु की शब्दावली में माँ, पापा, बाबा के अलावा कुछ ही और शब्द होते हैं। परंतु फिर भी वह छोटे-छोटे, पूर्ण विभक्ति के वाक्य बड़बड़ा सकता है जो कानो में किसी विदेशी भाषा जैसे सुनाई देंगे। ऐसा प्रतीत होने दें जैसे कि आपको सब समझ आ रहा है। आपका शिशु साधारण सवाल और आदेशों का उत्तर दे सकता है, खास तौर पर जब आप हाथ के इशारों से उसकी मदद कर दें। उदाहरण के तौर पर, पूछें "तुम्हारा मुँह कहाँ है?" और अपनी उँगली को मुँह पर रखें। या फिर "मुझे प्याला दे दो" कहें और प्याले की ओर इशारा करें। हो सकता है कि शिशु अपने अंदाज़ में, खुद के इशारों से आपकी बात का उत्तर दे, जैसे "ना" में सिर हिला दे।

सहायता का अभ्यास

क्यूँकि शिशु अब ग्रहणशील हो गया है इसलिए यह सही समय है उसे सिखाने का कि मदद कैसे की जाती है। "कृपया" और "धन्यवाद" के प्रयोग पर ज़ोर डालें और खिलौने उठाकर रखने के समय को एक खेल का रूप बनाकर रोमांचकारी बनाएँ। हालाकि अभी शिशु यह विचार समझ नही पाएगा लेकिन अभी से उसे यह सिखाना अच्छा रहेगा। हर कार्य को छोटे-छोटे हिस्सो में बाँट दें। इस उम्र में शिशु को कार्य करने में हर कदम पर आपके साथ की आवश्यकता पड़ेगी।

खेल खेल खेल-

  • ट्यूब की नाली - एक छोटी वस्तु को अपने अँगूठे और तर्जनी के बीच पकड़ने की क्षमता - यह सूक्ष्म पेशियों के विकास के पथ पर एक मील का पत्थर है, और जब शिशु यह कर पाएगा तब वह इसे हर वक्त करना चाहेगा। यह गतिविधि उन बच्चों के लिए अति उत्तम है जिन्होंने अपनी उँगलियों का ठीक से प्रयोग करना सीख लिया है।

    इस खेल के लिए हमें चाहिए एक या एक से अधिक गत्ते की लम्बी ट्यूबें, जैसे कि वह जो टिशु पेपर के रोल में होती हैं या रैपिंग पेपर के रोल में होती हैं। इसके अलावा तीन-चार प्लास्टिक की छोटी गेंद। ट्यूब को लम्बाई में आधा काट लें ताकि एक लम्बी नाली बन जाए। यदि आप चाहें तो एक मज़बूत टेप से दो नालियाँ जोड़कर एक लम्बी नाली जैसा आकार भी बना सकती हैं।

    शिशु के साथ ज़मीन पर बैठ जाएँ और उसे दिखाएँ कि ज़मीन से एक कोण पर कैसे द्रोणिका पकड़ी जाती है। फिर ऊपरी हिस्से से गेंद लुढकाना शुरू करें और शिशु को गेंद नीचे जाती हुई देखने दें। उसको अपने हाथों से गेंद नाली में डालने दें, फिर नाली को तिरछा करने में उसकी मदद करें ताकि गेंद धीमे या तेज़ लुढ़क सके। एक बार शिशु गेंद को लुढकाना सीख जाए तो कुछ और खेल खेले जा सकते हैं जैसे- निशान लगाकर देखना कि किसकी गेंद ज़्यादा दूर तक गई है। शिशु को इस बात की अधिक चिन्ता नही रहेगी लेकिन ऐसा करने से यह खेल माँ लिए थोड़ा अधिक रोचक बन जाएगा।

    इस खैल से शिशु की सूक्ष्म पेशियों के कौशल का विकास होता है और वह कारण और प्रभाव की भावना को समझता है।

    चेतावनी - इतनी छोटी गेंद का प्रयोग न करें जिनको शिशु आसानी से निगल ले या उसके गले में अटक जाए। एक अनुभवसिद्ध नियम यह है कि ऐसी किसी भी चीज़ का प्रयोग न करें जो इतनी छोटी हो कि शौचालय में प्रयोग होने वाले टिशु रोल के आर पार हो जाए।

याद रखें, हर बच्चा अलग होता है

सभी बच्चे अलग होते हैं और अपनी गति से बढते हैं। विकास के दिशा निर्देश केवल यह बताते हैं कि शिशु में क्या विकास होने की संभावना है - यदि अभी नही तो बहुत जल्द। ध्यान रखें कि समय से पहले पैदा हुए बच्चे सभी र्कियाएँ करने में ज़्यादा समय लेते हैं। यदि माँ के मन में बच्चे के स्वास्थ या विकास से सम्बन्धित कोई भी प्रश्न हो तो उसे अपने स्वास्थ्य केंद्र की सलाह लेनी चाहिए।

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