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टिकट संग्रह                              


थाईलैंड के डाकटिकटों पर
ब्रह्मा विष्णु महेश गणेश
पूर्णिमा वर्मन
 


थाईलैंड भारतीय परंपराओं वाला एक प्राचीन देश है। इसे लोकप्रिय रूप से "स्वर्ण भूमि" कहा जाता है। यह अपनी गर्मजोशी, आतिथ्य, सफेद रेतीले समुद्र तटों और उपजाऊ चावल के खेतों के लिए जाना जाता है। थाईलैंड में डाकटिकटों का इतिहास १८८० से शुरू होता है जब थाईलैंड के डाक विभाग ''थाईलैंड पोस्ट'' का मुख्यालय बैंकॉक में खोला गया था।

थाईलैंड में डाकटिकटों का इतिहास १८८० से शुरू होता है जब थाईलैंड के डाक विभाग ''थाईलैंड पोस्ट'' का मुख्यालय बैंकॉक में खोला गया था। २ जून २००९ को बैंकाक में "२५वीं एशियाई अंतर्राष्ट्रीय स्टाम्प प्रदर्शनी" के अवसर पर ४ डाकटिकटों, एक प्रथम दिवस कवर और दो स्मृति पत्रों को जारी किया गया था।

इन टिकटों पर ब्रह्मा विष्णु महेश और गणेश के चित्र प्रकाशित किये गए थे। इन चित्रों के नीचे टिकट के मध्य में क्रमशः ब्रह्मा, नारायण, शिव और गणेश थाई भाषा और अंग्रेजी में लिखा हुआ देखा जा सकता है। प्रत्येक के नीचे दाहिनी ओर इनका मूल्य ५ बहत अंकित है। बहत थाईलैंड की मुद्रा है। बिलकुल बीच में टिकट के आर पार थाई भाषा और अंग्रेजी में थाईलैंड लिखा गया है।

इस सेट के प्रत्येक टिकट को ७००,००० की संख्या में प्रकाशित किया गया था। एक शीट पर २० टिकटों का समूह था। पूरे पैकेज में १००,००० संख्या की स्मारिका शीट रखी गयी थीं जिनमें प्रत्येक का मूल्य २५ बाहत था। साथ ही ३० बाहत मूल्य के १६,५०० प्रथम दिवस कवर प्रकाशित किये गए थे। इन डाकटिकटों की चौड़ाई ३० मिलीमीटर और लंबाई ४८ मिली मीटर थी। थाईलैंड पोस्ट द्वारा निर्मित और फ्रांस में कार्टर स्क्यूरिटी नामक कंपनी द्वारा मुद्रित, इन बहुरंगी लीथोग्राफिक छपाई वाले डाक-टिकटों को थाईलैंड पोस्ट कंपनी लिमिटेड की वीणा छानथनाथात द्वारा डिज़ाइन किया गया था।

इन टिकटों के प्रकाशन पर भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक और धार्मिक नेता राजन जेड ने नेवादा (यूएसए) में एक बयान में कहा था कि थाईलैंड का हिंदू देवताओं के डाक टिकट जारी करना दुनिया भर के हिंदुओं के लिए एक बड़ा सम्मान है। जेड, जो यूनिवर्सल सोसाइटी ऑफ हिंदूइज्म के अध्यक्ष हैं, ने दुनिया के अन्य देशों से भी हिंदू धर्म के प्रतीकों और अवधारणाओं के बारे में टिकट बनाने का आग्रह किया, जो समृद्ध दार्शनिक विचार वाला दुनिया का सबसे पुराना और तीसरा सबसे बड़ा धर्म है, जिसका अंतिम लक्ष्य मोक्ष (मुक्ति) है।

इन देवी देवताओं के विषय में थाईलैंड में क्या मान्यताएँ हैं इसे जानना भी रोचक रहेगा। गणेश शिव और पार्वती के पुत्र हैं। उनका चेहरा हाथी का है और उनके पिता ने उन्हें सभी बाधाओं को दूर करने की शक्ति का आशीर्वाद दिया था। माँ पार्वती द्वारा उन्हें किसी भी प्रार्थना में सबसे पहले पूजे जाने का वरदान प्राप्त है।

ब्राह्मण ग्रंथों के अनुसार ब्रह्मा को पृथ्वी पर सभी चीजों का निर्माता माना जाता है। उन्होंने खुद को दो भागों में विभाजित किया था - एक पुरुष रूप में, जो स्वयं ब्रह्मा थे और दूसरा महिला रूप में, जिसका नाम सरसवादी (सरस्वती) था, जो उनकी पत्नी के रूप में सेवा करती थी। उन्होंने देवताओं, मनुष्यों, जानवरों, राक्षसों और पौधों को बनाने में एक-दूसरे की मदद की।

नारायण, जिसे थाई लोग फ्रा नाराई के नाम से भी जानते हैं, चीजों को उनकी उचित स्थिति में संरक्षित करने के लिए जिम्मेदार है। दुनिया में शांति और सद्भाव कायम करने के लिए उनका काम निरंतर जारी है। नारायण के पृथ्वी पर दस अवतरित जीवन हैं।

शिव, जिसे आमतौर पर थाई भाषा में फ्रा इस्सुआन के नाम से जाना जाता है, का कर्तव्य पृथ्वी पर सभी बुरी चीजों को नष्ट करना है। इस देवता की तीन आँखें और सफेद रंग है। पारंपरिक थाई मान्यता के अनुसार, शिव पृथ्वी पर वर्ष में एक बार दस दिवसीय दौरे पर आते हैं। यह यात्रा पहले चंद्र माह में ढलते चंद्रमा की सातवीं रात को शुरू होती है और उसी महीने में ढलते चंद्रमा की पहली रात को समाप्त होती है। यात्रा के दौरान, भगवान के स्वागत के लिए एक ब्राह्मण समारोह आयोजित किये जाते हैं, जिसे त्रि युम्पावई के नाम से जाना जाता है।

नीचे दिये गए प्रथम दिवस आवरण पर इन चारों डाकटिकटों को मुद्रित करने के लिये जिस मुहर का प्रयोग किया गया था उस पर ओम का चिह्न अंकित था। आवरण पर बायीं ओर एक पात्र में शंख और बेल पत्र का चित्र अंकित किया गया था। जो हिंदू धर्म में पवित्र माने जाते हैं। पीले रंग की विभिन्न छवियों में अंकित यह सारा चित्रण अत्यधिक आकर्षक है।
 

१ जुलाई २०२३

 
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