जो
            विदेश में रहकर भी करे न मातृभूमि का ध्यान।
            उनका जीवन पशुओं जैसा ऐसा जीवन मृतक समान।।
            
                          
                          विदेश
            में रहने वाले सभी व्यक्तियों को अपने वतन की याद आती है।
            विश्व में शायद ही कोई ऐसा हो जिसे अपने देश की स्मृतियाँ
            भाव विभोर न कर देती हों। जहाँ-जहाँ भी लोग अपना
            देश छोड़कर विदेश में बस गये वहाँ-वहाँ उन्होंने अपनी
            संस्कृति और भाषा को गले से लगाये रखा। अपनी संस्कृति और
            भाषा के कार्यक्रमों का आयोजन करते रहे और उनमें
            सम्मिलित होते रहे। अपने सुखदुख बांटते रहे। 
             
                          भारतीय
            राजनीतिज्ञ दल नार्वे में राजनैतिक अध्ययन पर 
             
                          आजकल
            भारत से राजनीतिक प्रतिनिधिमण्डल विदेशों में दौरा कर रहे
            हैं। उत्तर प्रदेश की चर्चित नेता सुश्री मायावती का ब्रिटेन,
            कनाडा और अमेरिका का दौरा समाप्त नहीं हुआ कि नार्वे,
            स्वीडेन, स्वीटजरलैण्ड आदि देशों का दौरा करने उत्तर प्रदेश के
            सोलह लोगों का प्रतिनिधिमण्डल आया था, जिसमें भाजपा,
            सबसे बड़ा दल सपा, बसपा सभी के प्रतिनिधि थे। 
             
                          
          
                          
                            
                                | 
                              विदेशों
            की राजनीतिक पारदर्शी साफसुथरी व्यवस्था से बहुत कुछ सीख
            सकते हैं। उत्तर प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष केशरी नाथ त्रिपाठी
            जी पिछले वर्ष
            भी भारतनार्वे सूचना और सांस्कृतिक फोरम के आमन्त्रण
            पर नार्वे आ चुके हैं। इस यात्रा
            में
                  विधानसभा
            अध्यक्ष केशरी नाथ त्रिपाठी जी के साथ चेयरमैन कुंअर मानवेन्द्र सिंह तथा विपक्ष के नेता
            आजम खान साथ थे।अन्य प्रतिनिधिमण्डल के सदस्यो में  | 
                            
                            
                              | चित्र
                  में बायें से : राज पाठक, शिवकान्त ओझा, राजदूत
                  गोपालकृष्ण गाँधी, उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष
                  केशरीनाथ त्रिपाठी, नेता विपक्ष आजम खान और
                  सुरेशचन्द्र शुक्ल शरद आलोक स्पाइलदर्पण को
                  दर्शाते हुए तथा चेयरमैन विधानसभा कुंअर मानवेन्द्र
                  सिंह | 
                              
                            
                            
            निम्नलिखित नेता और उच्चाधिकारी शामिल थे
            
            माध्यमिक
            शिक्षा मन्त्री
            महेन्द्रसिंह यादव, इलेक्ट्रानिक और आई टी की मन्त्री सुश्री सीमा रिजवी, राम प्रसाद कमल, विजय सिंह राना,
            शिव पाल सिंह, शिव कान्त ओझा, श्री ओम प्रकाश, प्रदीप माथुर, प्रिंसिपल सेक्रेटरी
            राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय और आई ए एस अधिकारी श्रीमती
            यादव।
            
                            
                            प्रतिनिधि
            मण्डल के सदस्यों से ऐसा लगा कि जैसे हमारे देश से हमारे
            परिवार के लोग आये हैं। भारत की यादे ताजी हो गयीं। सभी
            सदस्यों ने यह भाव व्यक्त किया कि उन्हें नार्वे में ऐसा
            लगा जैसे भारत में ही हैं। भारतीयों के बीच रहकर उन्हें
            बहुत अपनापन मिला।
            
                            
                            भारतीयों
            द्वारा उनका जोरदार स्वागत किया गया। इण्डियन वेलफेयर
            सोसाइटी द्वारा फूरूसेत वेल ओसलो में और विश्व हिन्दू
            परिषद नार्वे के अध्यक्ष ओमवीर उपाध्याय के निवास पर स्वागत
            किया गया। प्रतिनिधिमण्डल ने सभी उपस्थित लोगों को उत्तर
            प्रदेश आने का आमन्त्रण दिया और भारतीयों का गरमजोशी से
            स्वागत करने का आश्वासन दिया। 
            
                            
                            हंसमुख
            स्वाभाव के सभी प्रतिनिधियों ने अपनी बातचीत से सभी का
            दिल जीत लिया। इस राजनैतिक अध्ययन यात्रा में यदि सभी राजनीतिज्ञ
            अपने काम पर, कार्यक्रमों में समय से पहुंचना सीख जायें
            और विधान सभा में अपना पूरा समय और अधिक समय सार्थक
            बहस, कार्यों में लगायें तभी यह यात्रा
            सार्थक  हो सकती है। 
                            
            
                            
                            
                            क्या
            हमारे राजनीतिज्ञ वास्तव में हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र संघ की
            भाषा बनाना चाहते हैं?
             
                            
                            अपने
            सर्व प्रिय वक्ता और कवि प्रधानमन्त्री
            अटल बिहारी बाजपेई जी ने पता नहीं क्या सोचकर चीन में
            अंग्रेजी में भाषण
            दिया। उन्हें पता होगा कि चीन के लोग अंग्रेजी नहीं जानते।
            चीनी नेताओं ने अपने भाषण
            चीनी भाषा
            में दिए। चाहे अंग्रेजी से चीनी भाषा
            में अनुवाद किया जाता या हिन्दी से चीनी में। क्या फर्क पड़ता
            था। अटल जी गौर करें। यह बात पता नहीं चल पायी कि अटल जी
            का हिन्दी प्रेम कहां नदारत हो गया। क्या विश्व हिन्दी सम्मेलन
            में हमारे नेताओं के भाषण
            मीडिया में स्थान बनाने के लिए थे?
            
                            
                            हिन्दी
            को बिना देरी किए सरकारी कामकाज की भाषा
            बनायी जाये जिसमें हमारे नेता और अधिकारी पहल करें।
            
                            
                            नार्वे
            में खेल मेला
             
                            नार्वे
            में आये दिन भारतीय खेलकूद, सांस्कृतिक कार्यक्रम, आयोजित
            होते रहते हैं। खेल मेला का आयोजन ओसलो स्थित गुरूद्वारा
            गुरूनानक देव की प्रबन्ध समिति ने किया जिसमें सैकड़ों
            लोगों ने हिस्सा लिया था। बाल, युवा, वृद्ध  स्त्रियों
            और पुरूषों 
ने सक्रिय हिस्सा लिया।
            खेलकूद
            तो वैसे भी स्वास्थ के लिए आवश्यक है। यह खेल मेला युवा
            प्रतिभाओं को ही आगे नहीं लाता बल्कि अधिक आयु वालों को
            भी युवा दिखने दिखाने का अवसर देता है।   
                            डा
        सुरेश चंद्र शुक्ला 'शरद आलोक'
        230703