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पर्यटन

आधुनिक नावों की पृष्ठभूमि में ऐतिहासिक माल्टा


मनमोहक माल्टा
- पर्यटक


मैंने माल्टा में विश्व के अत्यन्त प्राचीनतम और ऐताहासिक मन्दिरों और स्मारकों को देखा जो पाषाण काल या नव पाषाण काल अर्थात ४,००० वर्ष ईसा पूर्व की थीं। सम्भवत: मिस्र के पिरामिडों और इंग्लैंड में सेल्सबरी के स्टोनहेन्सों से भी पहले की है। माल्टा में प्रागैतिहासिक काल के ध्वंसावशेष इस बात के द्योतक हैं कि इसकी संस्कृति और इतिहास अविस्मरणीय एवं अद्वितीय है।

यहाँ के लोगों की सौम्यता व अपनत्व भरा मित्रवत व्यवहार किसी को भी सहज अपने मोहपाश में बाँध सकने के लिए पर्याप्त है। मैं स्लीमा के शानदार होटल क्राउन प्लाजा में ठहरा जिसकी खूबसूरत बालकनी से शीतल हवाओं के साथ सागर के नीले जल के नयनाभिराम दृश्यों को देखने का सुखद संयोग होता है। होटल के सभी कर्मचारी सरल, सौम्य एवं मृदु भाषी थे। माल्टा की प्रसिद्ध कुरकुरी ब्रेड से बना सुबह का नाश्ता अत्यन्त स्वादिष्ट एवं सुपाच्य था। माल्टा द्वीप पर आने वाले पर्यटकों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। जिसमें अमेरिकी पर्यटक ज्यादा रहते हैं। मेरी मुलाकात माल्टा पर्यटन अधिकारी से भी हुई जिनके अनुसार पिछले दशक की तुलना में आने वाले पर्यटकों की संख्या दुगनी हो चुकी है।

भ्रमण के दौरान हमारे पर्यटक दल के प्रबन्धक ने हमें माल्टा की अनेको जानकारियाँ देते हुए गाइड की सफल भूमिका निभाई। माल्टा में कई भाषाएँ बोली जाती है तथा बहुतायत लोग विभिन्न भाषाओं को प्रवीणता के साथ बोलते हैं। यहाँ के लोगों की मातृभाषा का उद्भव शामी भाषा से हुआ। किन्तु कालान्तर में कुछ विदेशी शब्दों, विशेष रूप से इतालवी भाषा के शब्द इनकी भाषा का अभिन्न अंग बन गए हैं। माल्टा वासियों की शामी भाषा लैटिन के अक्षरों में लिपिबद्ध होती है। इनके गाँवों और कस्बों के नामों में अभी भी अरबी भाषा की प्रतिध्वनि सुनाई देती है।

अज़्योर विंडो- प्राकृति के निर्माण का नैसर्गिक सौंदर्यआजादी से पहले तक माल्टा ब्रिटिश कालोनी के रूप में जाना जाता था। १९६४ मे माल्टा आजाद हुआ और दस वर्षो पश्चात १९७४ में कामनवेल्थ का सदस्य बनकर पूर्ण गणराज्य के रूप में प्रतिष्ठित हुआ, जिसकी अपनी शासन व्यवस्था के लिए संसद है। प्रधानमन्त्री और राष्ट्रपति इसके प्रमुख हैं। माल्टा द्वीप भूमध्य सागर के हृदय स्थल में होने के कारण इसका सामरिक महत्व यूरोप और अफ्रीका के लिए अधिक है।

वेलेटा शहरमें भ्रमण का वास्तविक आनंद पैदल घूम कर ही लिया जा सकता है। मैंने वहाँ के बन्दरगाहों के मध्य चट्टानी अन्तरीप का भ्रमण किया। जहाँ से माल्टा की सेनाएँ अपने सेन्ट एन्जेलो और सेन्ट एल्मो किले की निगरानी करती थी। संग्रहालय में विभिन्न युगों की कला, पुरातात्विक व प्राकृतिक युद्ध समयक शिल्पतथ्य को देखकर आश्चर्यचकित एवं अचम्भित रह गया जिससे समुद्रवर्ती अतीत की स्पष्ट झलक परलक्षित होती है। यहाँ मुझे माल्टा के इतिहास पर एक वृत्त चित्र भी देखने को मिला जिससे माल्टा को और समीप से जानने का मौका मिलता है। मनोरंजन के लिए थियेटर, कैसीनो तथा खेल प्रेमी पर्यटकों के लिए गोल्फ, टेनिस, घुडसवारी, जल क्रीडा तथा नौकायान के असीमित साधन उपलब्ध थे।

माल्टा भ्रमण के पश्चात मैं नाव द्वारा गोजो द्वीप पर गया वहाँ पहुचने में लगभग ३० मिनट का समय लगा। मैंने वहाँ ता पिनू मंदिर तथा नव पाषाण कालीन जिगनतिजा का मन्दिर देखा जो लगभग ३,६०० ईसा पूर्व में बना था। ये सम्भवत: मिस्र के प्रथम पिरामिड से पहले ही निर्मित हुआ होगा। गोजो और माल्टा की सभ्यता और संस्कृति में काफी समानता है। दोनों एक दूसरे से हजारों वर्षो पूर्व से जुडे हुए हैं। यहाँ की प्राकृतिक छटा भी चित्ताकर्षक है। जिसे भुलाया नही जा सकता। आजादी के बाद माल्टा के सुदृढ आर्थिक ढाँचे का मुख्य आधार उद्योग एवं पर्यटन के विकास की तीव्र गति है। गोजो और माल्टा दोनों द्वीप समूह काफी विकसित हैं।

ता पिनू मंदिरअन्त में मैं अपनी इस आश्चर्यजनक एवं रोमांचकारी पर्यटन में हुए सुखद और आनंददायी अनुभूति के लिए माल्टावासियों का आभारी हूँ। जिन्होंने मुझे अपने सौम्य और मृदुल व्यवहार से एक अविस्मरणीय सूत्र में बाँध लिया। माल्टा प्रवास की मधुर स्मृतियों में डूबा हुआ सिसली के लिए उडते हुए सोचता रहा कि यह वही छोटा और अनूठा द्वीप है जो विश्व एकता के प्रतीक ओलम्पिक की जलती हुई मशाल की लौ में विश्व के अन्य देशों के साथ अपनी पूर्ण आभा के साथ प्रज्वल्ल्ति हो रहा है।

 
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