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फुलवारी

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फिसलपट्टी

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पार्क में मुझे फिसलपट्टी सबसे ज्यादा पसंद है। एक तरफ से चढ़ो और दूसरी तरफ से फिसल जाओ! फिर से दौड़कर सीढ़ियाँ चढ़ो और फिर से फिसलो। वाह वाह कितने मजे की बात है!

अगर फिसलने का मन न करे तो ऊपर बने चौकोर स्थान पर बैठ भी सकते हैं।

कभी कभी जब मैं सीढ़ी चढ़ते-चढ़ते थक जाती हूँ तब ऊपर पहुँचकर वहीं बैठ जाती हूँ। वहाँ से पूरा पार्क दिखाई देता है। वहाँ बैठकर कोई गाना गा सकते हैं। या फिर खाना भी खा सकते हैं। लेकिन खाने का डिब्बा ठीक से बंद होना चाहिये नहीं तो कौवा रोटी छीन ले जाता है।

जब मैं फिसलपट्टी पर खेलती हूँ तो नानी पास में पड़ी लंबी कुर्सी पर बैठकर मुझे खेलते हुए देखती हैं। मैं नानी के साथ पार्क में जाती हूँ। आज तो नानी लंबी कुर्सी पर नहीं है।
पता है क्यों?
नानी मेरी फोटो खींच रही थीं न, इसीलिये।

- पूर्णिमा वर्मन

३ दिसंबर २०१२  

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