फुलवारी

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गाँव की सैर

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छुट्टी दिन था। सुबह सुबह गीतू और मीतू गाँव की सैर को निकलीं। ठंडी हवा, खाली सड़क और हर तरफ हरियाली! हरे भरे पहाड़ और नदी का किनारा बड़ा सुंदर और शीतल मौसम था! छोटे छोटे सफेद बादलों के टुकड़े नीले आसमान में बिखरे थे।

वे दोनों चलते चलते नदी के ऊपर बने पुल पर पहुँचीं। इतने सवेरे गाँव में हलचल नहीं थी। नदी धीमे धीमे बह रही थी और दूर पर बने छोटे छोटे घर बड़े ही सुंदर दिखाई देते थे। तभी पहाड़ों के बीच से सूरज निकलता हुआ दिखाई दिया। वे दोनों खुश होकर नाचने लगीं।

गाँव में धीरे धीरे सूरज की किरणें फैल रही थीं। गीतू और मीतू को घर लौटना था। हम अगली छुट्टी में फिर यहाँ आएँगे- उन्होंने सोचा, और वे वापस घर की ओर चल पड़ीं।

- पूर्णिमा वर्मन

२९ अप्रैल २०१३  

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