फुलवारी

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वर्षा का दिन

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बहुत दिनों बाद छुटकू भालू घर आया। छुट्टी है न, सब लोग एक दूसरे से मिल रहे हैं। छुटकू भी मीता से मिलने आया। जब भी छुटकू भालू आता है माँ सूजी का हलवा बनाती हैं। छुटकू भालू को हलवा पसंद है।

खा-पीकर वे लोग सड़क पर चहलकदमी के लिये निकले। माँ ने कहा- बादल घिरे हुए हैं। लगता है बारिश होगी। बाहर निकलने से पहले बारिश वाले जूते, बरसाती और छाता लेना मत भूलना।

छुटकू भालू ने बरसाती पहनी और बारिश वाले जूते भी। मीता ने बारिश वाले जूते पहने और छाता लिया। कुछ दूर जाते ही वर्षा होने लगी। उन्होंने वर्षा का आनंद लिया और आराम से चहलकदमी करते रहे। वर्षा का दिन मजेदार रहा।

- पूर्णिमा वर्मन

२२ जुलाई २०१३

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