मुखपृष्ठ

पुरालेख-तिथि-अनुसार -पुरालेख-विषयानुसार -हिंदी-लिंक -हमारे-लेखक -लेखकों से


वरिष्ठ कवियत्री प्रेमलता जैन तथा संगीतकार नरेन्द्र सिंघा नन्दी को स्व. प्रेम जी प्रेम स्मृति सम्मान

कोटा : कोटा के ख्यातनाम संस्कृतिकर्मी स्व.प्रेम जी प्रेम की स्मृति में प्रति वर्ष दिया जाने वाला सम्मान वर्ष २००६ के लिए हिन्दी तथा राजस्थानी की वरिष्ठ कवियत्री श्रीमती प्रेम लता जैन को तथा २००७ के लिए संगीतकार नन्दी को एक समारोह में प्रदान किया गया। उल्लेखनीय है कि स्व.प्रेम जी प्रेम स्मृति संस्थान द्वारा यह सम्मान प्रति वर्ष साहित्य, संगीत, रंगकर्म, कला तथा विभिन्न विधाओं में विशिष्ट कार्य करने वाले किसी एक व्यक्ति को प्रदान किया जाता है।

कार्यक्रम का प्रारम्भ समारोह के मुख्य अतिथि तथा राजस्थान साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. दयाकृष्ण विजय ने तथा अध्यक्ष स्वतंत्रता सैनानी आनन्द लक्ष्मण खांडेकर ने माँ सरस्वती तथा स्व. प्रेम जी प्रेम के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप जलाकर किया। निशा जैन ने सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की। साहित्यकार शिवराम ने प्रेमलता जैन के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला तथा शरद तैलंग ने नरेन्द्र सिंघा 'नन्दी' का परिचय प्रस्तुत किया। श्री नन्दी पिछले ४० वर्षों में प्यानो एकोर्डियन पर स्व. मुकेश, तलत मेहमूद, सुलक्षणा पंडित, मुबारक बेगम, चन्द्राणी मुखर्जी तथा अनेक मशहूर कलाकारों की संगत कर चुके हैं। इस अवसर पर एक काव्य गोष्ठी का भी आयोजन किया गया जिसमें कोटा के जाने माने कवि डॉ. इन्द्र बिहारी सक्सेना, रमेश चन्द्र गुप्त, आर.सी. शर्मा 'आरसी', महेन्द्र कुमार शर्मा, रामनारायण 'हलधर', महेन्द्र नेह, गोरस प्रचण्ड, लोकेन्द्र सोनी, शकूर अनवर, राजेन्द्र पंवार, अरुण सेदवाल, ओम नागर अश्क, अतुल कनक, तथा हुकुम चन्द जैन ने काव्य पाठ किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. दयाकृष्ण विजय तथा अध्यक्ष आनन्द लक्ष्मण खांडेकर ने प्रेम जी के व्यक्तित्व की चर्चा की तथा उनके साथ के अनेक संस्मरण सुनाए। संस्थान के सचिव डॉ. अमर सिंह ने संस्थान की ओर से सबका आभार प्रकट किया। कार्यक्रम का संचालन गोपाल सोनी ने किया। इस अवसर पर परिवार के सदस्यों के अतिरिक्त कोटा के अनेक सम्मानित व्यक्ति समारोह में उपस्थित थे।

२६ मई २००८

1

1
मुखपृष्ठ पुरालेख तिथि अनुसार । पुरालेख विषयानुसार । अपनी प्रतिक्रिया  लिखें / पढ़े
1
1

© सर्वाधिका सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक
सोमवार को परिवर्धित होती है।