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39–साहित्य समाचार
सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’ सम्मानित  

न्यूयार्क में 24 जून को विश्व हिन्दी समिति यू एस ए द्वारा साहित्यकार सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’ को चार वेदों से सम्मानित किया गया। विश्व हिन्दी समिति यू एस ए के अध्यक्ष डा विजय कुमार मेहता ने ‘शरद आलोक’ की साहित्य एवं विदेशों में हिन्दी के प्रचार प्रसार की प्रशंसा करते हुए उन्हें हिन्दी के लिए गौरव बताया और उन्हें भारत के 5700 वर्ष पुराने गौरव ग्रन्थ चारो वेदों को भेंट किया।

सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’ ने कहा कि मारीशस, सूरीनाम, त्रिनीदाद और टुबैगो, फिजी, गुयाना और अन्य देशों में हमारे पूर्वज गिरमिटिया (श्रमिक) के रूप में आये थे। वे साथ में रामचरित मानस, हनुमान चालीसा आदि अपने साथ लेकर गये थे जिसके कारण वहां आज हिन्दी का प्रचार–प्रसार है और अमरीका में मुझे वेदों को भेंटकर सम्मानित किया जाना मेरा नहीं बल्कि विदेशों में हिन्दी प्रचार –प्रसार में कार्यरत हजारों हिन्दी सेवियों का सम्मान है जो निस्वार्थ भाव से हिन्दी की सेवा कर रहे हैं।  

डा श्यामसिंह शशि नें ‘शरद आलोक’ को विदेशों में हिन्दी सेवा करने वालों मे प्रमुख बताते हुए कहा कि वे उन्हें (सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’) अपने कार्यक्रम में भारत के विद्वान सूचनामन्त्री रविशंकर जी द्वारा शाल द्वारा सम्मानित करवा चुके हैं। मुम्बई की शाकुन्तल पाण्डेय और सौरभ के सम्पादक वेद प्रकाश सिंह, विनय कुमार और डा चिन्ता मेहता सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

अर्धरात्रि का सूरज’ कहानी संग्रह और चर्चित काव्य संग्रहों ‘रजनी’ और ‘नीड़ में फंसे पंख’ के रचनाकार ‘शरद आलोक’ गत 23 वर्षों से विदेशों में हिन्दी का प्रचार–प्रसार कर रहे हैं और नार्वे से प्रकाशित पत्रिका ‘स्पाइल–दर्पण पत्रिका का संपादन कर रहे हैं।

इस अवसर डा श्यामसिंह शशि नें कहा कि विदेशों में हिन्दी सेवा करने वाले साहित्यकारों को साहित्य के इतिहास में सम्मिलित नहीं किया गया है। अत: वह स्वयं लिखे गये इतिहास में विदेशों में बसे साहित्यकारों को सम्मिलित करेंगे।

— माया भारती  

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