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50–साहित्य समाचार

तीन लोकार्पण समारोह


उषा राजे सक्सेना के कहानी संग्रह वाकिंग पार्टनर का विमोचन
इंडिया हैबीटाट सेन्टर – लोदी रोड के कजरीना हॉल में 'इंडियन सोसाइटी ऑफ आथर्स' लंदन निवासी उषा राजे सक्सेना के हिन्दी कहानी संग्रह 'वाकिंग पार्टनर' का लोकार्पण करते हुए भारत के प्रख्यात साहित्यकार, चिंतक मेम्बर राज्यसभा डा•लक्ष्मी मल्ल सिंघवी ने कहा, लंबे अर्से से इंग्लैण्ड में प्रवास करते हुए भी उषा राजे हिन्दी में कहानियां लिख रही हैं, उनकी कहानियों के पात्र भारतीय मूल के हैं, विभिन्न देशों के विदेशी मूल के हैं जिनका सबका परिवेश ब्रिटिश है। कहानियों के ताने–बाने में जगह–जगह चिर–परिचित भारतीय स्वर उभरते हैं जिनमें दो भिन्न संस्कृतियों का समन्वय एक अच्छे संदेश की तरह अभिव्यक्त होता है।
उन्होंने अपने वक्तव्य में 'महत्वाकांक्षी मयंक', 'रूखसाना', 'दर्द का रिश्ता', 'मेरे अपने' कहानियों को कोट करते हुए कहा, ये कहानियां मनुष्य की चिंताओं, और सरोकारों की वैश्विक परिपेक्ष्य की कहानियां है। इनका हर भाषा में अनुवाद होना चाहिए। व्यंग्यकार, समीक्षक हरीश नवल ने अपने व्याख्यान के दौरान कहा कि कहानियों में नए मुहावरे मिले, शब्दों के नए अर्थ मिले जिन्हें समझने में उन्हें आनंद मिला। उन्होंने कहा, प्रवासी जीवन के यथार्थ की इन कहानियों का प्रवाह शब्द चयन और शैली पाठक को अंत तक बांधे रखता है। साहित्यकार हिमांशु जोशी ने कहा,  'वाकिंग पार्टनर' की कहानियों के यथार्थ बोध के साथ रोचकता है प्रवाह है, वे ब्रिटेन में रहने वाले प्रवासियों के जन–जीवन और उनके संघर्षों को इमानदारी से अभिव्यक्त करते हुए एक नई जीवन दृष्टि भी देती है। उन्होंने कहा कि उषा जी की भाषा में प्रांजलता के साथ प्रवाह है, परिवेश और पात्र के अनुकूल भाषा ढलती है।

कमलेश्वर जी ने अपने वक्तव्य में कहा, ये कहानियां मानवीय संवेदनाओं की, उनकी चिंताओं की कहानियां हैं। मनुष्य कहीं भी रहे उसकी जाती जरूरतें और चिंताएं मूल रूप से वही रहती हैं। 'रूखसाना' और अन्य कहानियों को कोट करते हुए उन्होंने कहा ये कहानियां अजनबी नहीं हैं, भोगे हुए सत्य की कहानियां हैं। कार्यक्रम में श्री केशरीनाथ त्रिपाठी – अध्यक्ष उत्तरप्रदेश विधान सभा, 'इंसा' के महासचिव लेखक, समीक्षक डॉ•श्रवण कुमार, भारतीय ज्ञानपीठ के भूतपूर्व निदेशक डा•दिनेश मिश्र जगदीश चतुर्वेदी, राजी सेठ, कुंअर बेचैन, कुसुम अंसल, नरेश शांडिल्य, शशिकांत, दिक्षित दनकौरी, राकेश पांडे, संसार चंद, राजेश चेतन, शरत कुमार, रेखा व्यास तथा लंदन से आई प्रसिद्ध कहानीकार शैल अग्रवाल इत्यादि जाने माने साहित्यकार, समीक्षक, लेखक तथा बुद्धिजीवी सम्मिलित हुए। हैबिटाट सेन्टर का कजोरिना हॉल श्रोताओं से खचाखच भरा था।

पुस्तक राधाकृष्ण प्रकाशन से प्रकाशित हुई है। कार्यक्रम में प्रकाशक अशोक माहेश्वरी भी मौजूद थें। 150 रूपए की यह पुस्तक उस दिन रियायती दर पर 100 रूपये में काफी संख्या में बिकी। 


सांझी कथा यात्रा का विमोचन
कथा यू•के• एवं भारतीय भाषा संगम ने संयुक्त रूप से उषा वर्मा एवं चित्रा कुमार द्वारा संपादित कथा संग्रह सांझी कथा यात्रा के विमोचन का कार्यक्रम नेहरू केन्द्र में आयोजित किया। संग्रह का विमोचन डा• रॉल्फ रसेल ने किया जबकि कार्यक्रम के अध्यक्ष थे डा•गौतम सचदेव। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में डा• गौतम सचदेव ने कहा कि, "सांझी कथा यात्रा की संपादिकाओं ने हिन्दी और उर्दू के कहानीकारों को एक मंच दिया है, जिस से दोनो भाषाओं की कहानियों की संवेदनशीलता को समझना सुगम हुआ है।" कार्यक्रम का संचालन करते हुए 'पुरवाई' के संपादक डा•पद्मेश गुप्त ने अपनी संक्षिप्त किन्तु सारगर्भित टिप्पणियों के माध्यम से कथा संग्रह की समीक्षा की।
 उनके अनुसार, "इस कहानी संग्रह की सभी कहानियां प्रवासी जीवन के संघर्ष उनकी समस्याएं, उनके अहसास, उनकी भावनाओं को अत्यंत मार्मिक ढंग से प्रस्तुत करती हैं।" डा•रॉल्फ रसेल ने उषा वर्मा को बधाई देते हुए कहा कि हिन्दी उर्दू के इस सांझे कथा संग्रह को अब उर्दू लिपि में भी पाठकों के सामने लाना चाहिए ताकि उर्दू पाठक भी जान सकें कि हिन्दी में किस प्रकार की कहानियां लिखी जा रही हैं। सलमान आसिफ ने फिरोज़ मुखर्जी की कहानी के अंश का पाठ बहुत खूबसूरती से किया। वहीं सनराइज रेडियो के रवि शर्मा एवं कथाकार तेजेन्द्र शर्मा ने दिव्या माथुर की कहानी ठुल्ला किलब के अंश पर अभिनय कर श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया।

उषा वर्मा का कहना था, सांझी कथा यात्रा की रूप रेखा बनाते समय मेरे मन में अल्पसंख्यकों की अकेली अलग अलग चीख क्या है, यह जानने की, उसे समझने की इच्छा सबसे ऊपर थी। और यह चीख मुझे कथा यू•के• की पहली गोष्ठी में कैसर तमकीन की कहानी गंगा जमुनी में सुनाई दी थी। साथ ही यह भी जिज्ञासा कि उर्दू में क्या लिखा जा रहा है। उसी समय मेरे मन में ऐसे कहानी संग्रह की बात आई जिसमें हिन्दी उर्दू दोनों की कहानियां हों। कार्यक्रम में अन्य लोगों के अतिरिक्त डा• सत्येन्द्र श्रीवास्तव, श्री कैलाश बुधवार, मोहन राणा (बाथ), लूसी रोजेन्टीन (सोआस), डा•इमरे बंगा (आक्सफर्ड), डा•महेन्द्र वर्मा (यॉर्क), डा•कृष्ण कुमार, तितिक्षा शाह, उषा राजे सक्सेना, रमा जोशी, स्वर्ण तलवार (बरमिंघम), सोहन राही, सलमा जैदी, दिव्या माथुर, नैना शर्मा, तोषी अमृता, सर्वेश सांग, डा•बोस, मंजी पटेल वेखारिया आदि भी उपस्थित थे।


डा .सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’ द्वारा अनुवादित और सम्पादित पुस्तकों का विमोचन

नार्वे में में हिन्दी का प्रचार–प्रसार करने वाले व स्पाइल–दर्पण के सम्पादक डा .सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’ द्वारा अनुवादित और सम्पादित पुस्तकों डेनमार्क से ‘हान्स क्रिस्तियान अन्दर्सन’ और नार्वे से ‘नार्वेजीय लोककथायें’ का विमोचन सुप्रसिद्ध कथाकार कमलेश्वर जी ने 2 फरवरी को विश्व पुस्तक प्रकाशन के प्रांगण ए जोरबाग लेन नई दिल्ली में किया। कमलेश्वर जी ने पुस्तकों की उपयोगिता की चर्चा करते हुए कहा‚ कि ‘शरद आलोक’ का अनुवाद कार्य सराहनीय है। कमलेश्वर जी ने बच्चों को अपनी कहानी सुनाई और प्रेरणाप्रद बातें बताईं तथा विश्वास व्यक्त किया कि हिन्दी के पाठक इस पुस्तक को पढ़ेंगे।


‘विश्व पुस्तक प्रकाशन’ के निदेशक डा .सत्येन्द्र कुमार सेठी ने कहा कि हम देश–विदेश के लेखकों को सहकारिता भाव से जोड़ते हुए अन्य प्रकाशकों और वितरकों के सहयोग से भारतीय साहित्य का प्रचार–प्रसार विदेशों में वहां की भाषाओं में व विदेशी साहित्य एवं प्रवासी भारतीयों लेखकों के साहित्य का प्रकाशन और वितरण भारत में किया जायेगा।

डा . रेखा व्यास ने कहा कि बहुमुखी प्रतिभा के धनी डा .सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’ की ये अनुवादित पुस्तकें छोटे बड़ों सभी को बहुत पसन्द आयेगी। हरनेक सिंह गिल‚ शेरजंग गर्ग‚ विनोद कुमार‚ राकेश पाण्डेय‚ योगेन्द्रनाथ शुक्ल‚ अजय मोहन्ती‚ उमर मंजर और अन्य लेखकों ने अपनी शुभकामनायें दीं। 

इस अवसर पर शुभकामना सन्देश देने वालों में मुख्य थे भारत में नार्वे के राजदूत यून वेस्तबोर्ग‚ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष प्रो .गोपीचन्द नारंग‚ दिल्ली विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्री वेद प्रकाश गौढ़‚ डेनमार्क के शमशेर सिंह ‘शेर’ और जामिया मीलिया विश्वविद्यालय में उर्दू विभाग के अध्यक्ष काजी उबैदुर रहमान हाशमी।

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