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अच्छे स्वास्थ्य के लिये अदरक

क्या आप जानते हैं-

  • अदरक का प्रयोग गले को सुरीला बनाने के लिये किया जाता है।

  • अदरक का उपयोग नमकीन और मीठे दोनों प्रकार के व्यंजनों में सुगंध के लिये होता है।

  • १९३० से १९६० के बीच भारत अदरक का उत्पादन करने वाले विश्व के तीन प्रमुख देशों में से एक था।

  • अदरक एक उच्च कोटि की कीटाणुनाशक है। इसके इस गुण को ध्यान में रखते हुए ही भारत की लगभग ७६ प्रतिशत व्यंजन विधियों में इसका प्रयोग होता है।

अदरक का इतिहास अत्यंत रोचक है। कहते हैं इसको २५०० वर्ष ईसा पूर्व चीन से यूरोप ले जाया गया और वहाँ से यह अन्य अमरीका और आस्ट्रेलिया पहुँची। जमैका में इसके प्रयोग के विषय में १५०० वर्ष ईसापूर्व के विवरण मिलते हैं। किन्तु इससे बहुत पहले भारत में इसका प्रयोग भोजन और चिकित्सा के क्षेत्र में विकास पा चुका था।

प्रकृति प्रदत्त तीखी चटपटी स्वादिष्ट अदरक का उपयोग प्राचीन काल से चला आ रहा है। संस्कृत में इसे "श्रंगदेहा" कहा गया। जिसका देवतागण भी सेवन करते थे। इसे घरेलू औषधि के रूप में माना गया है। शास्त्रों में यह महौषध, विश्वौषध या विश्वा के नाम से भी सुशोभित है। "आर्द्रक" यानि "आर्द्र" अर्थात गीला। नम रहने तक यह अदरक तथा सूखने पर सौंठ बन जाता है। नम रूप में इसकी तासीर ठंडी व सौंठ रूप में गर्म होती है, जिसे चरक संहिता में बलबद्धर्क कहा
गया है। सूखने पर अदरक खराब नहीं होता और वजन में यह हल्का हो जाता है।

शक्ति और स्फूर्ति का अनमोल खजाना अदरक भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में प्रयोग में लिया जाता है। कम्बोडिया में इसे टॉनिक तथा चीन, मलेशिया व अफ्रीका में औषधि के रूप में काम में लेते हैं। पौष्टिक और बलदायक अदरक मसाले के साथ उपयोगी व स्वादवर्धक है। चरक ने इसे "वृश्य" माना है क्योंकि वृष अर्थात सांड पौऋा का प्रतीक है। वायु, वात और कफ नाशक अदरक शरीर को चुस्त और स्वस्थ बनाता है वहीं स्मरण शक्ति बढ़ाते हुए सौंदर्य के निखार में भी उपयोगी है।

इसके मुँह में रखते ही लार ग्रंथियाँ लार छोड़ने लगती है जिससे गला तर रहता है तथा पाचन के साथ नाड़ी तंत्र निर्मल होता है तथा स्वर यंत्र खुलता है। लगातार खांसी आरही हो तो अदरक की एक फांक मिश्री या शहद के साथ चूसने से आराम मिलता है।

खट्टी,मीठी चटनी, सलाद, मिर्च मसालों, साग, सब्जियों मूली व नींबू के साथ, चाय में या फलों के रस में उपयोगी अदरक सर्दी, जुकाम, खांसी ब्रोंकाइटिस, दमा, क्षय, अजीर्ण, अफारा, वात एवं कफ आदि अनेक दुसाध्य रोगों में उपयोगी है। "अदरक पाक" प्राय: बच्चों को सर्दी खाँसी में दिया जाता है।

आयुर्वेद में अदरक से चिकित्सा के अनेक आसान नुस्खे दिये गये हैं पर इनका प्रयोग किसी वैद्य की सलाह से ही करें-

  • सोंठ का चूर्ण अजीर्ण या पेट के रोग में काले नमक के साथ खिलाने पर लाभ होता है।

  • २५ ग्राम सौंठ, १०० ग्राम हरड़ व १५ ग्राम अजमोद कूट पीस कपड़े से छान कर बनाया गया चूर्ण ३-४ ग्राम सुबह शाम गुनगुने पानी के साथ लेने से गठिया रोग में लाभप्रद होता है।

  • मसूढ़े फूलने पर एक चम्मच अदरक रस एक कप गुनगुने पानी में चुटकी भर नमक मिलाकर दिन में तीन बार मुँह में कुल्ले की तरह पानी घुमाकर पीने से मसूढ़ों की टीस, सूजन जैसे विकार दूर होते हैं। मवाद हो तो केवल कुल्ला करके जल बाहर ही थूक दें।

  • अदरक का रस और शहद ५ ग्राम मात्रा मिलाकर चाटने से सर्दी में कफ से छुटकारा मिलता है व बलगमी खाँसी में भी लाभकारी हैं।

  • अदरक के रस में नींबू का रस व नमक मिलाकर खाने से अपच नहीं होता। अदरक के रस में गर्म पानी मिलाकर गरारा करने सें बंद गला खुलकर आवाज सुरीली होती है।

  • दस-दस ग्राम सौंठ व मिश्री पीस कर शहद में मिली गोली खाने से बंद गला खुलता है।

  • दस ग्राम की मात्रा में अदरक, लहसुन और काला नमक गन्ने के सिरके में खरल कर पीने से पेट के कीड़े समाप्त होते हैं तथा इनके कारण होने वाले वमन, आफरा. अजीर्ण तथा पेट दर्द की शिकायत भी दूर होती है।

  • अदरक की दो गाँठें, एक मूली और आधे नीबू का रस मिली चटनी में इच्छानुसार नमक मिलाकर खाने से जिगर की सूजन मिट जाती है।

  • नजले या जुकाम में अदरक तुलसी के पत्ते व काली मिर्च की चाय अत्यंत लाभकारी है। इस चाय को दिन में तीन या चार बार ले सकते हैं।

  • शीत गर्मी से उछली पित्ती, जिससे शरीर पर चिकत्ते उभरते हैं तथा असहनीय खुजली व जलन होने लगती है, के कष्ट में अदरक का रस व शहद मिलाकर चटावें या अदरक-अजवाइन और पुराना गुड़ कूट पीस लें। चार-चार घंटे के अन्तर में बीस-बीस ग्राम की फाँकी गुनगुने पानी के साथ देने पर आराम आ जाता है।

 
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