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स्वाद और स्वास्थ्य

गाजर के गुण

 क्या आप जानते हैं?

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आलू के बाद गाजर विश्व की सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली सब्जी है।
 

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चीन का स्थान गाजर उगाने वाले देशों में सबसे ऊपर है। वर्ष २००४ में विश्व की समस्त उपज की ३५ प्रतिशत गाजर केवल चीन में उगाई गई रूस का स्थान क्रमशः दूसरा और संयुक्त राज्य अमेरिका का तीसरा रहा।
 

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गाजर सुंदर पत्तियों वाले पार्सले परिवार की सदस्य है जिसमें, हरा धनिया, सौंफ, दिल और जीरा भी आते हैं।
 

गाजर सस्ता, गुणकारी तथा लोकप्रिय कंद है। इसमें संतुलित भोजन के अनेक तत्व पाए जाते हैं। गाजर सुंदर पत्तियों वाले पार्सले परिवार की सदस्य है जिसमें, हरा धनिया, सौंफ, दिल और सेलेरी भी आते हैं। आजकल गाजर पीले, बैगनी, नारंगी और काले रंगों में मिलती है। लेकिन सबसे अधिक गाजरें नारंगी ही होती है।

इतिहास

एशिया के लोगों ने सबसे पहले लगभग गाजर की खेती प्रारम्भ की और वहीं से यह विश्व के अन्य देशों में पहुँची। विद्वानों का मत है कि गाजर का मूल उत्पत्ति स्थल अफगानिस्तान, पंजाब व कश्मीर की पहाड़ियाँ हैं, जहाँ आज भी इसकी जंगली जातियाँ पाई जाती हैं। पहले गाजर को इसकी खुशबूदार पत्तियों और बीजों के लिये उगाया जाता था जिनका प्रयोग औषधियों में होता था। लेकिन बाद में इसे एक सब्जी के रूप में भी प्रयोग किया जाने लगा। दसवीं शताब्दी तक यूरोप में लोग गाजर के विषय में नहीं जानते थे। लेकिन जब एशियाई यात्रियों ने यूरोप की और जाना शुरू किया तो यूरोप ने भी गाजर के साथ औषधीय प्रयोग किये। यूनानी चिकित्सकों ने गाजर की पत्तियों को कैंसर के इलाज में प्रयोग करने के उल्लेख मिलते हैं। प्राचीन रोमनों का विश्वास था कि गाजर और उसके बीज में कामेच्छा बढ़ाने की शक्ति है इसलिये रोमन बगीचों में इसे अवश्य पाया जाता था।

आयुर्वेद में

आयुर्वेद की दृष्टि से इसे स्वाद में मधुर, पाचक, दीपन, तीक्ष्ण, स्निग्ध, मधुर, तिक्त, उष्णवीर्य, स्नेहक, रक्तशोधक, ग्राही, कफ निस्सारक, वात-कफ पित्त नाशक, गर्भाशय रोग नाशक, मस्तिष्क और नाड़ियों को बल देने वाला तथा नेत्र-ज्योति बढ़ाने वाला माना गया है। यह अग्निमांद्य, अर्श, रक्त विकार, उदर रोग, दाह, मूत्र कृच्छ, शोध, रक्तपित्त, कृशता आदि में फायदेमंद तथा अंधता निवारक है। गाजर काली, लाल, पीली, भूरी नारंगी आदि रंगों की होती है, परंतु काली गाजर सर्वश्रेष्ठ रहती है। गाजर छोटी, पतली, स्वादिष्ट और पौष्टिक गुणों से भरपूर रहती है। संकर किस्म की गाजर लम्बी व मोटी होती है, जो स्वाद व गुण में ज्यादा फायदेमंद नहीं रहती है।

विभिन्न उपयोग

गाज
र का उपयोग कई तरह से किया जाता है। कच्चे फल की तरह खाई जाती है, सलाद के साथ इसका उपयोग किया जाता है, इसे पका कर सब्जी बनाई जाती है, गाजर की खीर और गाजर का हलवा भी कम रुचिकर नहीं होते। गाजर का रस विशेष गुणकारी रहता है। इसका केक, अचार, सूप, मुरब्बा, चटनी, रायता आदि भी बनाया जाता है। सुखाई गई गाजर की कॉफी जर्मनी में बहुत लोकप्रिय है। गाजर के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर सुखा लिए जाते हैं। फिर इसे दूध व चीनी के साथ उबालकर कॉफी बना ली जाती है, जो रुचिकर एवं पौष्टिक रहती है। फ्रांस की महिलाएँ गाजर को सौन्दर्य प्रसाधन के लिए काम में लाती थीं। कहा जाता है कि प्राचीन काल में इसे केवल दवा के लिये उगाया जाता था, दैनिक आहार में इसका प्रयोग बहुत बाद में प्रारंभ हुआ।

रासायनिक विश्लेषण

लगभग १०० ग्राम गाजर में जल- ९०.८ मिली., प्रोटीन- ०.६ ग्राम, चिकनाई- ०.३ ग्राम, खनिज लवण- १.२ ग्राम, कार्बोहाइड्रेट- ६.८ ग्राम. रेशा- ०.६ ग्राम, कैलोरी- ३२ ग्राम, कैल्शियम- ५० मिलीग्रा., सोडियम- ६३.५ मिलीग्रा., पोटेशियम- १०.० मिलीग्रा., तांबा- ०.०७ मिलीग्रा., सिलिकन- २.५ मिलीग्रा., विटामिन ए (अन्तराष्ट्रीय इकाई)- ३१५०, थायोमिन- ०.०७ मिलीग्रा., रिबोफ्लेविन- ०.०२ मिलीग्रा., नाइसिन- ०.५ मिलीग्रा., विटामिन सी- १७ मिलीग्रा. पाया जाता है। एक प्याला कटी हुई कच्ची गाजर में लगभग ५२ कैलरी होती हैं। तीन गाजरों से हमें इतनी शक्ति मिल जाती है जितनी हमें तीन मील चलने के लिये आवश्यक होती है। गाजर में कैलशियम की मात्रा काफी अधिक होती है। ९ गाजरों से हमें इतना कैलशियम प्राप्त होता है जितना एक गिलास दूध से। औसत आकार की २० गाजरों से हमें १० मिली ग्राम विटामिन ए मिलता है। इसमें पाए जाने वाले कैलशियम पैक्टैन नामक घुलनशील फाइबर में कालेस्ट्राल की मात्रा को नियंत्रित करने की शक्ति होती है।

औषधीय प्रयोग

गाजर में विटामिन ए अधिक होने से यह आँखों की कमजोरी दूर करती है, नेत्र ज्योति बढ़ाती है। गाजर में विटामिन बी काम्पलेक्स होता है, जो पाचन संस्थान को मजबूत बनाता है, इससे भूख लगती है तथा मुँह की बदबू दूर होती है। भोजन न पचना, पेट की वायु आँतों में गैस, घाव आदि यह दूर करके दस्त साफ लाती है। गाजर रक्त शुद्ध करके, पेट ठीक रखकर, कई रोगों से बचाती है। यह शरीर की सभी क्रियाओं को सामान्य करती है तथा अल्सर में फायदा करती है। कच्ची गाजर खाने से कब्ज दूर होता है तथा आँतों की सड़न व गंदगी दूर होती है। इससे मलाशय की गंदगी तथा वायु दोष मिट जाते है। गाजर का रस मूत्रावरोध दूर करता है, पेशाब साफ आता है। कच्ची गाजर चबाने या उसका रस पीने से बवासीर के रोगियों को आराम मिलता है। बच्चों को नियमित रूप से गाजर का रस पिलाने से वे हष्ट-पुष्ट बनते हैं।

गाजर यकृत को ताकत देती है। यकृत के रोगी को गाजर का नियमित सेवन करना चाहिए। गाजर का रस पीलिया में लाभदायक रहता है। गाजर का रस प्रतिदिन पीने से मसूढ़े और दांतों के रोगों में फायदा होता है। गाजर के रस में उससे आधा पालक का रस मिलाकर, जीरा-नमक डालकर, पीने से उदर रोग में फायदा मिलता है तथा नेत्र-ज्योति भी बढ़ती है। छोटे बच्चों को अतिसार, सूखा रोग, रक्ताल्पता आदि होने पर कुछ दिन गाजर का रस पिलाने से फायदा होगा। गाजर गर्भाशय से दूषित पदार्थ निकालने में सहायक है। गर्भपात के बाद गाजर का रस पीने से गर्भाशय के दूषित पदार्थ निकल जाते हैं। रोज सुबह बादाम खाकर, एक कप गाजर का रस पीकर, दूध पीने से शरीर में खून की वृद्धि होती है तथा मस्तिष्क को शक्ति मिलती है, स्मरण शक्ति तेज होती है। इससे आँख, गले, श्वांसनली के रोगों से बचाव होता है। गाजर के रस में शहद मिलाकर पीने से छाती का दर्द दूर होता है। गाजर के रस में मिश्री व काली मिर्च मिलाकर सेवन करने से खाँसी ठीक हो जाती है तथा कफ दूर होता है। जिन महिलाओं को प्रसव के बाद दूध कम आता हो, उन्हें गाजर व गाजर के रस का पर्याप्त सेवन करने से उनके दूध की मात्रा में वृद्धि होगी।

१४ जनवरी २०१३

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