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प्रौद्योगिकी

 

नगर-नगर कंप्यूटर
-संकलित

 

भारत के लगभग 12 प्रतिशत घरों में कम से कम 1 निजी कंप्यूटर है। एशिया इंटरनेट आडियंस मेजरमेंट सर्विस की एक रिपोर्ट 'ग्लोबल इंटरनेट ट्रेंड' में बताया गया कि कंप्यूटर प्रयोग करने के मामले में भारत दूसरे एशियाई देशों के मुकाबले बहुत पीछे हैं। लेकिन यह ख़बर दो साल पुरानी है।  

दुनिया भर में 80 बिलियन डॉलर का व्यापार करने वाली कंप्यूटर कंपनी आई बी एम के प्रमुख जे माईकल लॉरी के अनुसार वैश्विक स्तर पर भारत तेज़ी से आई टी क्षेत्र का महत्वपूर्ण शोध एवं विकास केंद्र बनता जा रहा है। सिर्फ़ इतना ही नहीं आज भारत के हर प्रदेश में कंप्यूटरीकरण की होड़ लगी है।

मध्यप्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य बन गया है जिसने परिवहन विभाग की समूची कार्यप्रणाली को पूरी तरह कंप्यूटरीकृत कर दिया है जिससे यहाँ आर टी ओ एजेंट की भूमिका अब शून्य हो गई है। विश्व की अत्याधुनिक डिजिटल तकनीक से मध्यप्रदेश के खंडवा सहित 30 ज़िलों में जब ड्रायविंग लाइसेंस तथा वाहनों के पंजीयन के स्मार्ट कार्ड बनाए जा रहे थे उस समय यह सुविधा दिल्ली, मुंबई, कलकत्ता, हैदराबाद जैसे शहरों में भी नहीं थी। मध्यप्रदेश में परिवहन विभाग ने जनता को सुविधाएँ देने के लिए अपनी नीतियों में आमूलचूल परिवर्तन किए हैं और यह विभाग अब सकारात्मक कार्यप्रणाली से जनता में अपनी छवि बदल रहा है।

पहले जहाँ लाइसेंस बनवाना टेढ़ी खीर हुआ करता था वहीं अब परिवहन विभाग युवा वर्ग के लिए महाविद्यालयों में जाकर लाइसेंस बनाने की स्वत: पेशकश कर रहा है। इसी तरह किसानों के लिए भी लाइसेंस शिविर लगाए जा रहे हैं। इसी का परिणाम है कि एक वर्ष में पूरे प्रदेश में एक लाख 27 हज़ार विद्यार्थियों और 58 हज़ार किसानों के ड्रायविंग लाइसेंस बनाए गए। प्रदेश के 30 जिलों में स्मार्ट कार्ड बनाने की प्रक्रिया आरंभ हो गई है जिसमें डिजिटल फ़ोटो के साथ ही डिजिटल हस्ताक्षर व अँगूठा निशानी भी है। मध्यप्रदेश के धार जिले में गाँवों के लोग न केवल अपना आवेदन कंप्यूटर द्वारा भेज सकते हैं बल्कि वह कहाँ तक पहुँचा और संबंधित अधिकारी उसमें क्या नोट लिख रहे हैं, यह भी कंप्यूटर पर देख सकते हैं।

उत्तर प्रदेश आगामी तीन वर्षों में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में देश का अग्रणी प्रदेश होगा। अभी तक धारणा थी कि आंध्र प्रदेश व कर्नाटक ही इस क्षेत्र में आगे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि सॉफ्टवेयर के निर्यात में आज उत्तर प्रदेश देश का अग्रणी प्रदेश है। राज्य से 3500 करोड़ रुपए से ज़्यादा का साफ्टवेयर निर्यात किया जाता है। यह निर्यात मुख्य रूप से नोएडा स्थित विभिन्न कंपनियों द्वारा किया जाता है।

'बिहार भले ही विकास के दौड़ में काफ़ी पीछे छूट गया हो और जंगलराज की उपाधि से नवाज़ा जा रहा हो, किंतु कंप्यूटर के मामले में देखें तो यह देश के कई राज्यों से बेहतर स्थिति में नज़र आएगा। पटना में ही कंप्यूटर सेटों की बिक्री को देखें तो यह स्पष्ट हो जाएगा। कंप्यूटर बनाने वाली कंपनियाँ भी बिहार को अपना मुख्य केंद्र मानती हैं।

पटना के युवावर्ग, विद्यार्थियों, पेशेवर व्यक्तियों में इंटरनेट काफ़ी लोकप्रिय हो रहा है। हर पंद्रह दिनों में एक नया साइबर कैफे खुल रहा है। उसके बाद भी इन साइबर कैफों में इतनी भीड़ रहती है कि अपनी बारी आने के लिए लोगों को प्रतीक्षा करनी पड़ती है। पटना के युवा अपना वेब पेज तैयार कर रहे हैं और वेब पेज डिज़ायनिंग कर रहे हैं। पटना में इंटरनेट कितना लोकप्रिय है, इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि जितने लोगों के पास कंप्यूटर है उनमें 90 प्रतिशत लोगों ने इंटरनेट कनेक्शन ले रखा है। पटना में इंटरनेट यूज़र्स एसोसिएशन 'बीआईएचआईएनईटी' भी बना हुआ है।

विद्यार्थियों को तो इससे बहुत सारी सुविधाएँ एक ही साथ मिल गई है। बुज़ुर्गों के लिए यह मनोरंजन और जानकारी लाती है। विद्यार्थियों को यह नवीनतम सूचनाएँ और जानकारी देता है। किशोरों को मनोरंजन, ई-मेल, ई-कॉमर्स, सूचनाओं का आदान-प्रदान क्या कुछ नहीं है? इसमें अपार संभावनाएँ हैं। 'इग्नू' इंटरनेट पर है। आई.आई.टी जैसे संस्थानों की सूचनाएँ भी इंटरनेट पर उपलब्ध है। यह विद्यार्थियों की परेशानियों को दूर कर दे रही हैं। जहाँ पहले इसके लिए महीनों का इंतज़ार करना पड़ता था। अब वे उसे बटन दबा कर देख सकते हैं। बहुत सारी लाइब्रेरियों के इंटरनेट पर आ जाने से रिसर्च स्कॉलर इसका भरपूर फ़ायदा उठा रहे हैं। ई-मेल और इंटरनेट चैटिंग भी काफ़ी लोकप्रिय हो गए है।'

ई-प्रशासन आज भारत में तेज़ी से विकसित हो रहा है। इसके प्रारंभिक प्रयोग धमाकेदार शुरुआत के साथ सफल रहे हैं। आंध्र प्रदेश की सरकार ने यह सुविधा दी है कि उसके नागरिक इंटरनेट पर ही सरकारी फॉर्म डाउन-लोड कर सकते हैं और बिना किसी बाबू की मुठ्ठी ग़र्म किए इंटरनेट पर फॉर्म भरकर जमा भी कर सकते हैं। जिलों में ज़मीन, जुताई, बुताई के तमाम दस्तावेज़ नेट पर उपलब्ध हैं। राज्य के सचिवालय में मंत्री से लेकर सेक्शन आफ़िसर तक फ़ाइलों को इलेक्ट्रिक प्रणाली से निपटा रहे हैं। यह सब काम नेटवर्क पर ऑन लाइन होता है। इस प्रणाली का महत्वपूर्ण पहलू यह है कि सेक्शन आफ़िसर से लेकर मंत्री तक को किसी एक वियय पर संबंधित अधुनातन जानकारी चाहिए तो वह पल भर में ही आसानी से मिल जाएगी साथ ही टर्मिनल का बटन दबाते ही उन फ़ाइलों की सूची उपलब्ध हो जाएगी जिन्हें लोक महत्व की दृष्टि से वरीयता के आधार पर निपटाया जाना है।

महाराष्ट्र के कोल्हापुर और सांगली जिले के 70 गाँवों में किसान साइबर कैफे में जाकर अपनी भाषा में ही अनाज के रोज़ाना के भाव पता कर सकते हैं और मराठी में यह भी सुन सकते हैं कि फ़सलों की कैसी बीमारी पर, किस कीटनाशक का छिड़काव करें। भारत में जो सूचना क्रांति का ज़ोर आया है उससे भारत की तेज़ प्रगति का ज़बरदस्त वातावरण बना है। हाल ही में एक विचारक ने कहा था कि कल तक वे पिछड़े कहे जाते थे जो औद्योगिक क्रांति की दौड़ में कदम मिलाकर नहीं चल पाए थे लेकिन आने वाले कल में वे पिछड़े कहलाएँगे जो सूचना क्रांति में पिछड़ जाएँगे।

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