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कितने युवाओं के धड़कते दिलों की पुकार को अनसुनी कर ''6 नवंबर, 2002'' को बेवर्ली हिल्स, कैलीफोर्निया के जज ऐल्डेन फोक्स ने बिनोना राइडर जैसी सुंदर एवं प्रसिद्ध अभिनेत्री, जो अपनी फ़िल्म्स 'लिटिल विमेन' एवं 'एज ऑफ इन्नोसंस' के लिए आस्कर अवार्ड हेतु नामित हो चुकीं है, को 3 वर्ष के प्रोबेशन/परिवीक्षाधीन, 480 घंटे की कम्यूनिटी सर्विस, 6300 डालर की चोरी की भरपाई तथा 3700 डालर के अर्थदंड की न्यायालय को भरपाई की सज़ा सुना ही दी। इस सज़ा को सुनकर न्यायालय मे उपस्थित इस अतीव सुंदरी का मुख खुला का खुला रह गया था, क्योंकि इससे उसका स्वर्णिम भविष्य दीर्घकाल के लिए अंधकार में डूब गया।

बात मात्र इतनी थी कि इस सुंदरी का मन सैक्सफिफ्थ एवेन्यू डिपार्टमेंटल स्टोर, बेवर्ली हिल्स में रखी कुछ डिज़ाइनर गुड्स पर मचल गया था। अब दिल मचल जाए और प्रतिदिन महँगे से महँगे गिफ़्ट मुफ़्त प्राप्त करने की आदत पड़ी हो, तो इसमें क्या अनोखी बात है कि बिनोना सुंदरी ने उन वस्तुओं पर लगे सिक्योरिटी टैग्स, जो इसलिए लगाए जाते हैं कि यदि कोई व्यक्ति बिना भुगतान किए उन वस्तुओं को लेकर बाहर निकले तो गेट पर से गुज़रती एक्स-रे किरणें तुरंत एलार्म घंटी बजा दें, को चुपचाप हटाकर फेंक दिया और उन वस्तुओं को जल्दी-जल्दी अपने कैरी-बैग/हाथ के झोले में भर लिया। पर ऐक्टेसेज फ़िल्म में चाहे कितनी भी होशियार गुप्तचर अथवा दक्ष चोर दिखाई जाएँ, यह आवश्यक नहीं हैं कि उन्हें यह ज्ञान हो कि डिपार्टमेंटल स्टोर्स में लगे हुए सिक्योरिटी कैमरे आप द्वारा की गई गुप्त कार्यवाही की गुप्त फ़ोटो लेते रहते हैं और टी. वी. के मानीटर पर उसे दिखाते रहते हैं।

सो बुरा हो उन कैमरों का और बुरा हो उन सिक्योरिटी वालों का कि अमेरिका भर की चहेती एक्ट्रेस गेट से बाहर जैसे ही निकलीं, सिक्योरिटी वालों ने बिना शर्म-लिहाज़ किए उन्हें रोककर उनके कैरी-बैग की तलाशी ले ली और करोड़ों में खेलने वाली ऐक्ट्रेस के कैरी-बैग में मात्र ''6300 डालर'' की बिना भुगतान की वस्तुएँ पाने पर भी उस पर चोरी का आरोप लगाकर पुलिस बुला ली। अमेरिका के पुलिसवाले भी अजीब हैं कि इतनी महान हस्ती को पकड़ कर जेल में डालते हुए यह भी नहीं सोचा कि पता नहीं वह कब किस नेता को फ़ोन कर दे और पुलिस वालों को अपने बिल्ले बचाने के लाले पड़ जाएँ। माना कि अमेरिका के नेता इतने कमज़ोर हैं कि एक विख्यात ऐक्ट्रेस तक को बचाने हेतु पुलिस को धमकाने का साहस नहीं कर पाते हैं, पर हज़ार दो हज़ार डालर लेकर मामले को रफ़ा-दफ़ा करने में क्या पुलिस वालों की नानी मरती थी?

प्रकरण जब न्यायालय में प्रस्तुत हुआ, तो बिनोना को विश्वास था कि अपनी ड्यूटी निभाने के फितूर में पुलिस ने उसके साथ चाहे जैसी हिमाकत कर दी हो, परंतु ज्यूरी के सदस्य तो उसकी मनभावन देह और चित्तलुभावन अदायें पिक्चरों में प्रतिदिन देखते ही होंगे और वे कोई दिलतोड़ व्यवहार उसके साथ कदापि न करेंगे। अत: उसने उस पर लगे आरोप को न केवल मिथ्या बताया वरन एक प्रसिद्ध पत्रिका के आरोपों का खंडन करने हेतु दिए साक्षात्कार में 'फ्री बिनोना' के लेबिल की टी-शर्ट भी पहनकर आई और उसका वह चित्र पत्रिका के मुखपृष्ठ पर छपा। पर हाय रे अमरीकन ज्यूरी जो रत्ती भर न पसीजी और प्यारी-सी बिनोना को दोषी घोषित कर दिया। जज साहब भी दंड देते समय बिनोना द्वारा उल्लंघन की हुई कानून की कोई धारा नहीं भूले।

अब कल्पना कीजिए कि किसी दिन अपने बालीवुड की कोई प्रसिद्ध अभिनेत्री जैसे ऐश्वर्या राय का दिल किसी सराफ की दुकान पर रखे एक छ: हज़ार तीन सौ रुपए के सेट पर आ जाए और वह उसे अपनी समझ में सराफ की निगाह बचाकर स्किन-टाइट पैंट की जेब में खिसका लें और मन ही मन घबराते हुए तेज़ी से बाहर निकलने लगें, तो क्या दृश्य उपस्थित होगा। वैसे मैं मानता हूँ कि ऐश्वर्या राय जैसी अभिनेत्री के लिए ऐसा कर पाना ऐसा आसान नहीं होगा जैसा अमेरिका में बिनौना के लिए रहा होगा। पहले तो उसके आते ही इतनी पुलिस सिक्योरिटी लग जाएगी कि उसे माल चुराने का अवसर ही नहीं मिलेगा। अगर पुलिस कम हुई या देर में पहुँची तो भी क्या उसके पंखे/फैन्स, लगुए-भगुए और चमचे उसे अपनी तमन्ना पूरी करने का अवसर देंगे?

फिर भी अगर ऐश्वर्या राय पहले से चोरी का मन बनाकर आई हों और पुलिस तथा चमचों को डांट फटकार कर दुकान के बाहर छोड़ देने में सफल हो जाएँ, तो कौन-सा ऐसा खूसट सराफ होगा जिसकी ऐश्वर्या राय को देखकर लार नहीं टपक पड़ेगी और जो खींसे निपोरकर उनके पीछे नहीं लग जाएगा। पर अगर यह भी मान लिया जाए कि जब वह सराफ, हीरों का बेशकीमती सेट नीचे के खाने से निकालने के लिए झुका हो, उस समय ऐश्वर्या जी अपनी पसंद का एक मामूली-सा छ: हज़ार तीन सौ रुपये का हार चुपचाप अपने पर्स में खिसका लें, तो भी क्या तिरछी निगाहों से सब कुछ देखते सुनते रहने वाला सराफ इसे उनकी एक प्यारी-सी अदा मानकर अपना भाग्य नहीं सराहेगा?

अधिक संभावना यह है कि वह उन्हें दो-एक वैसे हार गिफ्ट में पेश करेगा और ऐसा करते हुए फ़ोटो खिंचवा लेगा, जिसकी एक कापी दुकान की मुख्य दीवाल पर टाँग देगा तथा दूसरी अपने गले की माला के लाकेट में बीबी से छिपाकर रख लेगा। हां, अगर कोई गांधी जी के ज़माने का सिरफिरा सराफ हुआ तो हो सकता है कि वह उन पर चोरी का आरोप लगाकर पुलिस को फ़ोन कर दे। हमारी जनसेवक पुलिस आते-आते इतना समय तो लगा ही देगी कि तब तक ऐश्वर्या राय को ढूँढ़ते हुए सलमान खान अपनी मसल्स दिखाते हुए दुकान में फट पड़ें और सराफ के अतिरिक्त ऐश्वर्या राय को भी दो चार झापड़ रसीद करते हुए वहाँ से निकाल ले जाएँ। नहीं तो उसके पहले ही ऐश्वर्या राय के पंखे/फैन्स दुकान में घुसकर और सराफ की धुनाई कर ऐश्वर्या राय को निकाल ले जाएँगे और साथ में जड़ाऊ गहनों पर भी हाथ साफ़ करते जाएँगे। फिर जब थाने की पुलिस आएगी तो ऐश्वर्या राय का नाम सुनकर वह सराफ को न सिर्फ़ ऊँच-नीच समझाएगी वरन खिल्ली उड़ाते हुए यह भी कहेगी, "क्या बौरा गया है? इतनी बड़ी हीरोइन एक हल्का-सा हार चुराएगी? क्यों शरीफ़ लोगों को बदनाम करता है? क्या गवाही है तुम्हारे पास?" फिर पुलिस को ख़ामखाँ परेशान करने की फीस वसूल करके मुस्कराती हुई वापस चली जाएगी।

अगर कहीं पुलिस इंस्पेक्टर कोई सर पर कफ़न बाँधकर खुदकुशी को तैयार रहने वाला हुआ और उसने सराफ की रिपोर्ट लिख ली तो मिनटों में मंत्री महोदय का पुलिस कमिश्नर को फ़ोन आ जाएगा, "कोन अहमक इंस्पेक्टर आपने नियुक्त कर रखा है? एक घंटे में दूसरे को चार्ज़ दिलाकर रिपोर्ट करो।" अगर दूसरा इंस्पेक्टर भी फौसिल्स/जीवाश्म के युग का हुआ और कहीं उसने भी ऐश्वर्या राय को गिरफ़्तार करने की कार्यवाही प्रारंभ की, तो तमाम राजनैतिक, एवं अराजनैतिक दल तथा फैन्स एवं गून्स ऐसोसियेशन्स झंडा एवं डंडा लेकर थाने का घिराव कर देंगी और इंस्पेक्टर को जान बचाने के लाले पड़ जाएँगे।

अगर सारी बाधायें पार कर केस कोर्ट में पहुँच भी जाए, तो भी क्या होगा? केस में जब-जब तारीख़ पड़ेगी, उस दिन या तो अभिनेत्री महोदया को जुकाम हो जाएगा अथवा उन्हें ऐन उसी दिन स्विटज़रलैंड शूटिंग के लिए जाना पड़ जाएगा और उनका वकील नई-नई तारीखें लेता रहेगा। इस बीच सराफ अपना कामकाज़ छोड़ कर दौड़ता रहेगा और उस दिन को कोसेगा जब उसने पुलिस में रिपोर्ट लिखाने की सोची थी। फिर उसे बयान बदलने के प्रलोभन दिए जाएँगे, और न मानने पर किसी असलमभाई या सलमानभाई की धमकियाँ मिलेंगी और घर के टेलीफ़ोन पर उसकी पत्नी को जान सुखाने वाले ब्लैंक काल्स आएँगे। अगर ऐसा लगा कि फिर भी मामला नहीं बन रहा है तो वकील, गवाह या अन्य संबंधित लोगों को पटा लिया जाएगा। कहने का अर्थ यह है कि प्रकरण से छुटकारा पाते-पाते सराफ को तो हार्ट अटैक हो जाएगा और ऐक्ट्रेस को इतनी पब्लिसिटी मिलेगी कि उसकी फ्लाप होती फ़िल्म भी बाक्स आफ़िस पर सिल्वर जुबिली मनाएँगी।

अत: में भारतीय सराफों को सावधान करना चाहता हूँ कि यह जानकर कि बिनोना राइडर जैसी हालीवुड की प्रसिद्ध अभिनेत्री को चोरी में सज़ा हो गई है, आप मनबढ़ मत हो जाइएगा और हालीवुड और बालीवुड का अंतर मत भूल जाइएगा।

 
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