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हास्य व्यंग्य

नया साल नये संकल्प
-रवि रतलामी


हम सभी प्राय: नए साल में नए-नए संकल्प लेते रहते हैं। यह अलग बात है कि उन संकल्पों को हम कितना निभा पाते हैं। हम संकल्प लेते हैं कि नए साल में व्यायाम करके अपनी कमर के घेरे को कुछ कम करें। पर होता यह है कि हम दूसरे दिन से ही व्यायाम के समय में रजाई ओढ़े पड़े रहते हैं और कमर का घेरा कम होने की बजाए प्रगति की रफ़्तार पकड़े ही रहता है।

हम संकल्प लेते हैं कि नए साल में सत्य का ही सहारा लेंगे पर होता यह है कि नए साल की अलस्सुबह जब पड़ोसी अख़बार माँगता है तो हम कहते हैं कि अभी तो आया है ज़रा हेडलाइन पर निगाह मारकर भेजते हैं, और फिर जब सारा अख़बार चाट लेते हैं तो फिर उसे एहसान जताते हुए रद्दी को दे देते हैं।

हम संकल्प लेते हैं कि आने वाले नए साल में या तो चाय पीनी कम करेंगे या पान खाना छोड़ देंगे, पर हो यह जाता है कि जब भी हम इन्हें छोड़ने के बारे में गंभीरता से सोचते हैं उतनी ही गंभीरता से हमें इनकी तलब लग जाती है और हम किसी और समय के लिए अपना संकल्प भूल जाने की कोशिश करते हैं।

जब हम अपना संकल्प भूल जाने के लिए संकल्पित होते हैं तो फिर ऐसे संकल्पों को धारण करने के बजाए क्यों न हम कुछ ऐसे संकल्प लें जिन्हें निभाने में तो आनंद आए ही हम उन संकल्पों को बार-बार निभाने के लिए प्रेरित होवें? मैंने अबकी दफा कुछ ऐसे ही संकल्पों को तलाशा जिन्हें निभाने में आनंद आए। आइए आपको इनके बारे में बताते हैं, जिन्हें निभाने में तो हमें मज़ा आए ही साथ ही कोई अतिरिक्त मेहनत भी न करनी पड़े।

ऐसे कुछ संकल्प हो सकते हैं जैसे नए साल में बोरियत भगाने के लिए हम कोई नया व्यसन पाल लें। उदाहरण के लिए यदि हम चाय नहीं पीते हों तो चाय पीना शुरू करें और चाय पी ही रहे हों तो कॉफ़ी या बियर शुरू करें। अब तक अगर हमने सौंफ़ पर गुज़ारा किया हो तो पान-गुटका पर जाने की कोशिश करें और अगर पहले से ही पान-गुटखा चल ही रहा हो तो फिर थोड़ा-सा अपग्रेडेशन तो अपने व्यसन में किया जाना ही चाहिए जैसे मेंड्रेक्स, कोकीन और हीरोइन इत्यादि। अब बताइए अगर हम ऐसा कोई संकल्प ले लेते तो क्या उसे दिल से निभा नहीं पाते?

इस साल की नई सुबह के लिए मैंने संकल्प लिया कि सुबह जल्दी उठकर व्यायाम करने के कष्टप्रद प्रयास को तजकर आराम से दस-बीस मिनट ज़रा ज़्यादा ही सोया जाए। और आप विश्वास करें, इस संकल्प को निभाने में हर रोज़ मज़ा तो आता ही है, यह संकल्प आज तक नहीं टूटा और आगे भी टूटने की संभावना नज़र नहीं, दूर-दूर तक नज़र नहीं आती है। मैंने अपने एक मित्र को, जो खाने पीने का भारी शौकीन था, सलाह दी कि वह अपने तोंद के घेरे की चिंता छोड़ यह संकल्प ले कि खूब खाए-पीए और थोड़ा भारी होकर सूमो कुश्ती के लिए ट्राई करे। उसे यह भारी विचार भारी पसंद आया। अब उसे किसी बात की चिंता नहीं है, वह अपने नए संकल्प को निभाने में भारी संकल्पित है और रसगुल्ले के हर कौर पर मुझे भारी हार्दिक धन्यवाद देता है।

ज़रा सोचिए कि अगर आप नए साल के लिए यह संकल्प लेते कि इस साल टीवी पर नित्य नए प्रोग्राम देखें तो आपका यह संकल्प आराम से पूरा हो जाता। आप जीवन के व्यर्थ के भागदौड़ को तज कर कोई बड़ा-सा 29 इंची टीवी ले आते और और फिर सोफे में धँस कर जी-भरकर चैनल सर्फिंग का आनंद लेते। इस संकल्प को निभाने में आपको न तो कोई प्रयास करना पड़ता और न ही आपको अपना जी कड़ा करना पड़ता, इसके विपरीत इसको निभाने में आपको छप्पर फाड़कर आनंद आता, और कौन जाने आपकी तक़दीर कभी साथ दे जाती तो किसी टीवी चैनल का कोई जैकपॉट हाथ लग जाता और कोई सड़ा-सा दस करोड़ का सवाल आपको करोड़पति बना दे।

उम्मीद है कि ये नए प्रकार के संकल्प हमारे नए साल को ज़्यादा खुशनुमा बनाएँगे। इन नए संकल्पों की ये सूची तो इंगित मात्र हैं, आप अपनी स्वयं की पसंदीदा सूची तैयार कर सकते हैं जिन्हें निभाने में हर साल, साल दर साल आपको आनंद आए और ऐसा कोई संकल्प टूटे नहीं।

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