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 उसने अपना सामान जमा करा कर बोर्डिंग टिकट ले लिया। घर से विमानपत्तन पहुँचाने आए 
लोगों को हाथ हिलाकर संकेत कर दिया कि उसका काम हो गया है। अब वह इमिग्रेशन और 
सिक्योरिटी जाँच से होता हुआ विमान तक चला जाएगा। घरवाले उसे देख भी नहीं पाएँगे तो 
उन्हें और रोके रखकर क्या करना था। 
इमिग्रेशन काउंटर पर खड़े अधिकारी ने उसकी ओर देखा, "आपके पास इमिग्रेशन क्लियरेंस 
सर्टिफिकेट है?" 
"वह क्या होता है?" उसने पूछा। 
"आपने देखा नहीं कि आपके पासपोर्ट पर लिखा हुआ है - इमिग्रेशन क्लियरेंस 
रिक्वायर्ड। अर्थात आपको इमिग्रेशन क्लियरेंस की आवश्यकता है।" 
उसके मन में रोष जागा, "देखिए महोदय! मैं सात वर्षों से अमरीका में हूँ। कितनी ही 
बार आया गया हूँ। आप मेरे पासपोर्ट से देख सकते हैं कि चार दिन पहले मलेशिया से 
भारत आया हूँ। अब मलेशिया लौट रहा हूँ। आजतक तो किसीने इस प्रकार की कोई क्लियरेंस 
माँगी नहीं। 
"सब देख चुका हूँ।" अधिकारी ने कहा, "आप अमरीका से मलेशिया आए और वहाँ से भारत। अब 
भारत से मलेशिया जा रहे हैं। हमारा नियम है कि कम समझ और पढ़ाई के भारतीय मलेशिया 
और कुछ अन्य देशों में जाकर शोषित न हों। इसलिए हमें यह देख लेना पड़ता है कि वहाँ 
उनका शोषण तो नहीं होगा। यदि आप ग्रेजुएट होते तो हम आपको नहीं रोकते।" 
उसने हैरानी से अधिकारी को देखा, "देखिए! मैं अमरीका में कंप्यूटर नेटवर्किंग 
इंजीनियर हूँ। आप मेरी कंपनी का कार्ड देख लीजिए। और काग़ज़ देख लीजिए। कंपनी के 
काम पर ही मलेशिया आया हुआ हूँ। दो छुट्टियाँ थीं तो सोचा घर हो आऊँ। अब मलेशिया 
जाकर मेरा शोषण कैसे होगा?" 
"आप ग्रेजुएट हैं, इसका कोई प्रमाण आपके पास है।" 
"मैं आपसे कह रहा हूँ कि मैं इंजीनियर हूँ।" 
"वह ठीक है। आप ग्रेजुएट हैं?" 
"इस अमरीकी कंपनी ने बिना ग्रेजुएशन के तो मुझे नेटवर्किंग इंजीनियर नहीं बना 
दिया।" 
"वह सब ठीक है। आप ग्रेजुएट हैं?" 
"हूँ।" 
"अपनी डिग्री दिखाइए।" 
"डिग्री मैं अपने साथ लिए तो नहीं घूमता।" 
"साथ रखनी चाहिए न।" 
उसे क्रोध आ गया, "आप बी. ए. पास है?" उसने अधिकारी से पूछा। 
"हूँ।" 
"तो अपनी डिग्री दिखाइए।" 
अधिकारी सावधान हुआ, "यहाँ अधिकारी मैं हूँ और आप यात्री। आप मुझसे मेरी डिग्री 
नहीं माँग सकते। मैं आपसे माँग सकता हूँ।" 
"नहीं है डिग्री।" 
"घर से ले आइए।" 
"इतनी देर में तो विमान उड़ जाएगा। वैसे भी मेरी डिग्री दिल्ली में नहीं, अमरीका 
में मेरे घर में है।" वह बोला। 
"तो जाइए ले आइए।" 
"आप जाने ही नहीं दे रहे।" 
"नहीं! आप अमरीका जा सकते हैं।" अधिकारी बोला, "मलेशिया नहीं जा सकते।" 
"क्यों? क्या अमरीका में मेरा शोषण नहीं हो सकता।" 
"नहीं।" अधिकारी बोला, "और हो भी तो क्या है। अमरीका हमारा शोषण करें, यह तो गर्व 
का विषय है, किंतु मलेशिया जैसा कोई देश हमारे किसी नागरिक का शोषण करे यह तो शर्म 
की बात है।" 
"तो मैं क्या करूँ?" 
"बी. ए. की डिग्री लाइए।" 
"आप मुझे परेशान कर रहे हैं।" 
"नहीं मैं आपको संभावित शोषण से बचा रहा हूँ।" 
"दिल्ली में मेरे पास डिग्री नहीं है।" 
अधिकारी को क्रोध आ गया, "अरे नहीं है दिल्ली में तो जाइए, कल कहीं से जाली डिग्री 
ख़रीद लाइए। बहुत बिकती है। इतना भी नहीं कर सकते तो निकालिए सौ रुपया। मैं वैसे 
ही आपके पासपोर्ट पर लिख देता हूँ - इमिग्रेशन क्लियरेंस नॉट रिक्वायर्ड। अर्थात 
क्लियरेंस की आवश्यकता नहीं है। यह भी न होता हो तो आप अमरीका चले जाइए। मलेशिया तो 
आपको मैं जाने नहीं दूँगा।" 
1 दिसंबर 2005 
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