मुखपृष्ठ

पुरालेख-तिथि-अनुसार -पुरालेख-विषयानुसार -हिंदी-लिंक -हमारे-लेखक -लेखकों से


हास्य व्यंग्य

हार्दिक बधाई
-रविशंकर श्रीवास्तव


इस बार भी त्यौहार पर आपको इधर-उधर से, इनसे-उनसे ढेरों बधाइयाँ प्राप्त हुई होंगी और आपने भी ढेरों बधाइयाँ ढेरों लोगों को दी होंगी। मगर क्या आपने बधाइयों के लेन-देन के तह तक पहुँचने की कभी कोशिश की है? आपने यह जानने की कोशिश की है कि आपको बधाइयाँ दी हैं तो किन लोगों ने और क्यों दी हैं, और आपने भी जो खुले दिल से ढेरों बधाइयाँ बाँटीं हैं, किन-किन को, कैसे-कैसों को, किस-तरह और आख़िर क्यों दी हैं? संभवत: सबसे पहले समय पर आवश्यक और अनिवार्य रूप से बधाई आपको उन लोगों से मिली होंगी जिन्हें आपसे कुछ लेना होगा। अब वह चाहे दीवाली की बख़्शीश हो, कोई उपकार हो या आपका पुराना उधार।

आपको पहले पहल जिनसे बधाई मिली होगी, उनमें आपके ऑफ़िस का चापलूस कामचोर कर्मचारी, आपको उधार किराना सप्लाई करने वाला दुकानदार इत्यादि तो शामिल होंगे ही, आपके वे मित्र भी शामिल हो सकते हैं जिनसे अरसा पहले आपने कभी कुछ उधार लिया हुआ होगा। और उधार में शामिल हो सकते हैं सभी कुछ - किताबें, मर्तबान से लेकर बुलवर्कर तक। और इनकी पहले पहल आप तक पहुँचने वाली बधाइयाँ शर्तिया आपको उनका उधार चुकाने या बख़्शीश थमाने या अगले साल भर तक उनकी कामचोरी को बर्दाश्त करने की याद दिलाई ही होंगी। इसी तरह अनिवार्यत: कुछ पहले पहल बधाइयाँ आपको अपने मातहतों से मजबूरीवश प्राप्त हुई होंगी जो चाहते तो हैं आपका बेड़ा गर्क करना परंतु जुबान से तमाम ब्रम्हांड की शुभकामनाएँ देते हैं।

कुछ उन लोगों ने भी इस दफ़ा आपको बधाई दी होगी जिन्होंने ज़िंदगी में इससे पहले कभी आपको बधाई दी नहीं होगी और जिनका आइंदा ऐसा कोई इरादा भी नहीं होगा। ये वो लोग होंगे जिनका काम आपसे हाल ही में पड़ा होगा या पड़ने वाला होगा और जिनका काम आपके कारण पार लगा होगा या लगने वाला होगा। ऊपर से तारीफ़ की बात यह होगी की ऐसी बधाइयाँ आपको अन्यों या अन्य किसी भी प्रकार की बधाई से ज़्यादा आत्मीय ढंग से मिली होंगी। कुछेक बधाइयाँ आपको जवाब में इसलिए मिली होंगी चूँकि आपने पहले ही उन्हें बधाई जो दे दी है। कुछ बधाइयाँ, आपसे बधाइयाँ प्राप्त करने की प्रत्याशा में भी आपको मिली होंगी और कुछ बधाइयाँ अकारण आपको मिली होंगी - जैसे कि किसी समूह में आप बैठे हों तो किसी अन्य का परिचित शिष्टाचारवश अकारण सभी को बधाई देता ही है या आपके घर के किसी सदस्य के नाम आए बधाई कार्ड में भी शिष्टाचारवश अकारण आपका भी नाम उसमें घसीटा हुआ होता है।

कुछ सस्ती तो कुछ महँगी बधाइयाँ भी आपको मिली होंगी। जो आपके ख़ास होंगे या इसका उलटा - आप जिनके ख़ास होंगे उनसे आपको ख़ासे महँगे बधाई (कार्ड) मिले होंगे। ख़ासकर उनसे जो अपना ख़ास-पना ख़ासी मोटी इबारत में बताना चाहते हैं। कुछ बधाइयाँ आपको ऐसी भी मिली होंगी जो थोक के भाव में ख़रीदे या छपाए गए बधाई कार्डों में से अपरिचितों - परिचितों को भेज चुकने के बाद भी बच जाते हैं और फिर आपका नाम भी शामिल हो जाता है - चलो इनको भी भेज देते हैं, कार्ड क्यों ख़राब हों - की तर्ज़ पर।
कुछ एक्सक्लूज़िव किस्म की बधाइयाँ आपको अपने पसंदीदा टीवी चैनलों या पत्र-पत्रिकाओं से मिली होंगी जिन्हें आप देखते-पढ़ते हैं क्यों कि ये सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने ही दर्शकों-पाठकों-अभिकर्ताओं को बधाई देते हैं। कुछ आम माफ़ी की तरह की आम बधाइयाँ आपको नेताओं-अभिनेताओं-मंत्रियों से मिली होंगी जो हर संभव तरीके से अपने प्रचार-प्रसार के लिए अपनी आम बधाई आप तक पहुँचाने के लिए कटिबद्ध रहते हैं - हर मौके पर।

यों आपके हिस्से की हार्दिक बधाई आप तक विभिन्न रास्तों से पहुँची होगी। इंटरनेट के ई-कार्ड से लेकर ईमेल तक तथा पत्र-पोस्टकार्ड से लेकर फैक्स-फ़ोन तक। परंतु बधाई कार्ड से बधाई देने-लेने का तरीका आजकल इतना आम हो गया है कि बहुत संभव है कि न सिर्फ़ आपके पड़ोसियों ने बधाई कार्ड द्वारा आपको बधाई दी हो बल्कि घर के सदस्यों ने भी यही रास्ता अपनाया हो आपको बधाई देने का।

आपको मिलने वाली बधाइयों का लेखा-जोखा तो आपने कर लिया परंतु जो हार्दिक बधाइयाँ आपने औरों को दी हैं, उनके बारे में क्या रेकॉर्ड हैं आपके पास?

9 अक्तूबर 2006

1

1
मुखपृष्ठ पुरालेख तिथि अनुसार । पुरालेख विषयानुसार । अपनी प्रतिक्रिया  लिखें / पढ़े
1
1

© सर्वाधिका सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक
सोमवार को परिवर्धित होती है।