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हास्य व्यंग्य

बाबा जी का ठुल्लू
दीपक दुबे


इन दिनों एक शब्द ज्यादा ही प्रचलन में है इस शब्द की ईजाद टीवी ने की है और वह लोकप्रिय शब्द है बाबाजी का ठुल्लू। जिसे देखो जहाँ देखो वह आज बाबाजी का ठुल्लू दिखाता है। शादी होने के बाद बारात लेकर लौट रहे वर के पिता से जब किसी ने पूछ लिया कि दहेज मे क्या मिला, गुस्साये बाप ने कहा बाबाजी का ठुल्लू। यहाँ तक कि अब तो घरों में भी इसे जमकर प्रयोग किया जाता है घर मे प्रवेश करते ही पतिदेव खुशी-खुशी पत्नी से पूछते हैं - क्या बना है आज भोजन में तो गुस्साई पत्नी बोल उठती है -बाबजी का ठुल्लू।

उस दिन एक मित्र मिल गये, बोले कोई काम हो तो सरकार से करवा लो नही तो चुनाव हो जाने के बाद मिलेगा बाबाजी का ठुल्लू! इस बाबाजी के ठुल्लू के बारे मे बात सुनते सुनते कान पक गये। इस बाबाजी के ठुल्लू के बारे में जानने की उत्सुकता बढ़ी। सबसे पहले तो सारी हिन्दी के सारे शब्दकोश छान मारे। भार्गव से लेकर आक्सफोर्ड तक मगर बाबाजी का ठुल्लू नहीं मिलना था सो नहीं मिला। तब मैंने नये सिरे से खोजबीन प्रारंभ की।

इस बाबाजी के ठुल्लू की तलाश में सोचा बाबाओं को ही क्यों ना पकडा जाये क्योंकि उनका ही ठुल्लू है तो वे अच्छे से बता पायेंगे। उनसे अच्छे जानकार कहाँ मिलेंगे। मैंने बाबाओं की तलाश की तो सबसे पहले मोस्ट पापुलर योगगुरू बाबा रामदेव का नाम सामने आया। ये जगत बाबा आजकल पालिटिक्स मे खूब छाये हुए हैं। मैंने इनसे ही मिलकर इस बाबाजी के ठुल्लू के बारे मे जानकारी लेने का मन बनाया और पहुँच गया बाबा के आश्रम में। बाबा योग शिविर में थे मुझे आया देख इशारे से बोले सामने की पंक्ति में बैठ जा और जैसा मैं करूँ करता जा बच्चा।

मैं उनकी आझा शिरोधार्य् करते हुए बैठ गया। करीब आधा घंटा हो गया अनुलोम विलोम, भस्त्रिका, पैर मोडना, सिकोडना, हिलाना आदि योग क्रियाएँ करते हुए। जब मैं पस्त हो गया तब बाबा का ध्यान मेरे थके थके चेहरे पर गया। मैने एक करूणामयी मुस्कान से उन्हें देखा और इशारे से उनसे निवेदन किया उन्होंने पास बुलाया पूछा- क्या समस्या है? मैंने अपनी जिझासा उन्हें बताई। वे जोर से हँसे- "इस असार संसार में बस इतनी सी समस्या है तुझे? बच्चा बाबाजी का ठुल्लू तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा यदि मोदी पीएम बन जाते हैं तो ठीक वर्ना पब्लिक को मिलेगा बाबाजी का ठुल्लू समझ गये। अब जाओ मेरा आहार का समय हो रहा है।"

मै अत्यंत व्यथित आत्मा की तरह लौट तो आया मगर समझ नहीं आ रहा था कि इस बाबाजी के ठुल्लू का क्या करूँ? कोई ऐसा विद्वान बाबा मिलता नजर नहीं आ रहा था। तब एक शख्स ने जो मुझे बहुत देर से देख रहा था उसने सुझाया यदि आप बुरा ना माने तो हमारे अपने बाबा को ट्राई कर लें वे भी कैम्ब्रिज पास हैं। और अब तक कई गरीबों के घर मे बैठकर खाना खा चुके हैं। मैंने पूछा कौन तो वे बोले अरे अपने राहुल बाबा। वे आजकल भारतीय संस्कृति को देखने गाँवों की धूल फाँक रहे हैं। मैंने सोचा शायद मेरा काम बन जाये। एक रैली के दौरान राहुल बाबा से मैंने अपनी जिझासा के बाबद पूछा। उन्होंने साथ चल रही मीनाक्षी नटराजन से पूछा। फिर खुद ही जवाब देने लगे। एकबार फिर उन्होंने पूछा काय का ठुल्लू। मैंने कहा बाबाजी का ठुल्लू। ओह बाबाजी का ठुल्लू। ठीक है यह सब मोदी जी के गढे शब्द होंगे। वे ही बाबाजी जैसी सफेद दाढी रखे हैं उन्हीं का कोई प्रोग्राम होगा ये ठुल्लू वुल्लू।

मुझे निराशा ही हाथ लगी। चार दिन हो गये थे और मुझे अब तक बाबाजी के ठुल्लू के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं हो पार्इ थी। एक कामेडी शो के एंकर से जिसने यह शब्द ई्रजाद किया था मैंने पूछा तो उसे फिल्मों के प्रमोशन से ही फुर्सत नहीं थी बोला बाबाजी का ठुल्लू पकड़ो और जाओ यहाँ से।

मै बाहर आ गया सडक के किनारे एक पेड़ के नीचे धूनी रमाये मुझे एक ओरिजनल बाबा मिल गया। तन पर केवल एक बित्ते भर की लँगोट लगाये। मैंने तो ऐसी लँगोट कार्टून केरेक्टर फैटम को पहने ही अब तक देखा था। सामने आग जल रही थी, एक हाथ से चिलम घोंकते हुए बाबाजी आँख बंद किये मस्त थे मानों उन्हें दीन दुनिया से कोई मोह ना हो। कुछ समय बाद उनकी तंद्रा भंग हुई आँखें तरेरकर बोले बच्चा कुछ माल वाल लाया है या यों ही फ्री फुकट में? मैंने उन्हें कहा बाबाजी जिझासा लेकर आया हूँ। मैंने उन्हें बताया तो वे क्रोधित हो गये उनके मुँह से अपशब्दों की धारा प्रवाहित होने लगी, ये दुनिया वाले हमारे यंत्रो का भी अब मजाक उड़ाने लगे हैं। जब कुछ शांत हुए तो मेरी दयनीय हालत देख उन्होंने उस गुलेलनुमा लकड़ी जिस पर वे हाथ टिकाये बैठे थे निकाली और बोले बेटा ये रहा बाबाजी का ठुल्लू। जब भी कोई तुझसे पूछे तो बताना ये रहा बाबाजी का ठुल्लू। कहते हैं कि बाबाजी जब भी किसी को वरदान के रूप मे इच्छित वस्तु देते हैं इसी तरह से फेंककर देते हैं तो मुझे आखिर मिल ही गया बाबाजी का ठुल्लू। 

मार्च २०१५

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