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कलम गही नहिं हाथ  

 

 

अभिनंदन! आभार!! शुभकामनाएँ!!!

इस सप्ताह स्वतंत्रता दिवस के शुभ दिन अभिव्यक्ति, ४५०वें अंक के साथ अपने जीवन के दस वर्ष पूरे करेगी। इसका पहला अंक १५ अगस्त २००० को प्रकाशित हुआ था। पत्रिका का प्रारंभ मासिक पत्रिका के रूप में हुआ था पर जल्दी ही यह पाक्षिक और फिर साप्ताहिक रूप में प्रकाशित होने लगी।

पाठकों के अपरिमित स्नेह, साथियों के निरंतर सहयोग और रचनाकारों के कर्मठ उद्यम के लिये कृतज्ञता प्रकट करने का इससे उपयुक्त समय और भला क्या होगा। अभिव्यक्ति की स्थायी टीम प्रो.अश्विन गांधी, प्रवीण सक्सेना पूर्णिमा वर्मन और दीपिका जोशी की ओर से पाठकों, स्तंभकारों व रचनाकारों का सादर अभिनंदन व हार्दिक आभार! आनेवाले समय के लिये भारतीय साहित्य, संस्कृति और कला से प्रेम रखने वालों के लिए ढेरों शुभकामनाएँ। आशा है आगे की यात्रा साहित्य, तकनीक, कला और सार्थकता की दृष्टि से बेहतर बनेगी।

यह देखकर प्रसन्नता होती है कि वर्ष २००० जहाँ हमारे पहले अंक को पढ़नेवाले माह में केवल ६० थे आज इनकी संख्या लगभग ५ लाख है। हिंदी में लिखे गए ढेरों शुभकामना संदेश इस समय अभिव्यक्ति के फेसबुक वाले समूह पृष्ठ पर पढ़े जा सकते हैं। ये सभी संदेश हिंदी के अनन्य प्रेमियों या साहित्यकारों के हैं जिन पर तकनीक से दूरी बनाए रखने के आरोप लगते रहे हैं। कुछ संदेश ऐसे पाठकों के भी हैं जो भारतीय मूल के नही हैं। यह हिंदी के लिये सुखद स्थिति है और इंगित करती है कि हिंदी का प्रयोग करने वालों में कंप्यूटर का ज्ञान व रुझान तेजी से बढ़ रहा है साथ ही हिंदी विदेशियों में भी लोकप्रिय हो रही है।

जहाँ तक पहुँचे हैं उसका संतोष है, भविष्य के लिये कुछ योजनाएँ हैं जो धीरे धीरे अपना रूप लेंगी। आशा है सभी का स्नेह और सहयोग इसी प्रकार मिलता रहेगा।

स्वतंत्रता दिवस की अनेक शुभकामनाओं के साथ,

पूर्णिमा वर्मन
९ अगस्त २०१०

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