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कलम गही नहिं हाथ  

दुबई एअरपोर्ट पर घिरे बादल
जहाँ वर्षा उत्सव है

जहाँ वर्षा का कोई मौसम न हो वहाँ वर्षा का उत्सव हो जाना स्वाभाविक है। इमारात दुनिया का एक ऐसा ही कोना है। इमारात यूएई का स्थानीय नाम हैं। ठंडे देशों के लोग कहते हैं कि इमारात में केवल दो मौसम होते हैं- एक सहनशील गर्मी और दूसरी असहनीय गर्मी। हम भारतीयों के लिये यह थोड़ा बेहतर है। हम इसे गर्मी और सर्दी कहते हैं। इमारात में वर्षा का कोई मौसम नहीं होता। कभी कभी तो साल भर वर्षा नहीं होती। लेकिन पिछले कुछ सालों में, एक आध साल छोड़ दें तो, साल में एक बार लगभग एक सप्ताह के लिये वर्षा हो ही जाती है।

जनवरी के महीने में जब पारा रात में न्यूनतम १०-१२ डिग्री फारेनहाइट पर पहुँचता है तो दोपहर में २०-२२ डिग्री का तापमान होता है। उस समय हम भारतीय लोग सप्ताहांत में जमा होकर बगीचे में छतरी के नीचे धूप सेंकना और चाय पकौड़े खाने का कार्यक्रम बनाने लगते हैं। खुले में खुली आग पर खाना पकाने का भी खूब रिवाज है जिसे बार्बेक्यू कहते हैं। महिलाओं के लिये अपने सुंदर-सुंदर स्वेटर और शालों के प्रदर्शन का यह सर्वोत्तम समय होता है। जिन लोगों को सर्दी का ज्यादा मजा लेना होता है वे रेगिस्तान में रात बिताते हैं जहाँ काफी सर्दी हो सकती है। घर के लॉन में भी रात में सर्दी का आनंद लिया जा सकता है। इसी मौसम में किसी-किसी दिन हल्की फुहार से लेकर तेज बारिश तक होती है और आमतौर पर लगभग एक सप्ताह तक बनी रहती है।

कहते हैं इमारात में वर्षा उत्सव है। इसकी खबर समाचार पत्र में हेडलाइन में आती है। पन्ने वर्षा के चित्रों से भर जाते हैं। इन चित्रों की प्रदर्शनियाँ लगती हैं प्रतियोगिताएँ होती हैं और वेब पर इन्हें चित्र-माला के रूप में प्रकाशित किया जाता है। बच्चे बाहर निकल कर वर्षा का आनंद लेते हैं और स्कूल या आफिस जाने का किसी का मन नहीं होता। जरा से बादल घिरते हैं कि लोग अपनी कारों की बत्तियाँ जला लेते हैं। इनकी आँखें तेज रोशनी की इतनी अभ्यस्त हैं कि जरा से अँधेरे में इन्हें कार की बत्तियाँ जलाने की जरूरत महसूस होती है। लोग वर्षा के वीडियो समाचार पत्रों की वेब साइटों, यूट्यूब और अपने-अपने ब्लॉगों पर प्रकाशित करने लगते हैं। ऐसा ही एक ताजा वीडियो यहाँ पर देखा जा सकता है। जिसमें घने उमड़ते हुए बादल, इमारात का झंडा और सड़क पर वर्षा का दृश्य बहुत साफ दिखाई देता है।

इस साल ऐसा मौसम ७ से १५ जनवरी के बीच रहा। कहना न होगा कि इस सबका जी भर आनंद लिया गया लेकिन सर्दियों में यह आनंद महँगा पड़ा और सर्दी बुखार के दाम भी साथ में चुकाने पड़े। सर्दियों में बारिश तो हमें भारत में भी अच्छी नहीं लगती। काश इमारात में भारत की तरह बारिश गर्मियों के बाद आए ताकि उसका आनंद वैसे ही उठाया जा सके जैसे भारत में उठाते हैं। आजकल तो उत्तरी भारत में भी खूब सर्दी बारिश हो रही है। सबका स्वास्थ्य ठीक रहे और वर्षा का आनंद बना रहे।

पूर्णिमा वर्मन
२७ जनवरी २०१४

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