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नवांकुर पुरस्कार - २०१९

अभिव्यक्ति विश्वम का नवांकुर पुरस्कार प्रतिवर्ष उस रचनाकार के पहले नवगीत-संग्रह की पांडुलिपि को दिया जाता है, जिसने अनुभूति और नवगीत की पाठशाला से जुड़कर नवगीत के अंतरराष्ट्रीय विकास की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हो। पुरस्कार में ११,००० भारतीय रुपये, एक स्मृति चिह्न और प्रशस्ति-पत्र प्रदान किये जाते हैं। यह पुरस्कार नवगीत महोत्सव के वार्षिक आयोजन में वरिष्ठ नवगीतकारों की उपस्थिति में प्रदान किया जाता है।

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इस बार वर्ष २०१९ के लिये योगेंद्र प्रताप मौर्य को उनके नवगीत संग्रह ''चुप्पियों को तोड़ते हैं'' की पांडुलिपि के लिये नवांकुर पुरस्कार से अलंकृत किये जाने का निर्णय लिया गया है। हम अभिव्यक्ति विश्वम परिवार की ओर से योगेंद्र प्रताप मौर्य की रचनात्मकता और सहयोग का अभिनंदन करते हैं और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं।

यह पुरस्कार वर्ष २०११ से प्रारंभ किया गया था। पिछले नौ वर्षों में इससे क्रमशः २०११ में कल्पना रामानी को उनके नवगीत संग्रह ''हौसलों के पंख'', २०१२ में अवनीश सिंह चौहान को उनके नवगीत संग्रह ''टुकड़ा कागज का'', २०१३ में रोहित रूसिया को उनके नवगीत संग्रह ''नदी की धार सी संवेदनाएँ'', २०१४ में ओमप्रकाश तिवारी को उनके नवगीत संग्रह ''खिड़कियाँ खोलो'', २०१५ में आचार्य संजीव वर्मा सलिल के नवगीत संग्रह ''सड़क पर'', २०१६ में संध्या सिंह के नवगीत संग्रह ''मौन की झंकार'' २०१७ में शुभम श्रीवास्तव ओम के नवगीत संग्रह ''फिर उठेगा शोर एक दिन'' तथा २०१८ में रविशंकर मिश्र रवि को उनकी पांडुलिपि संदर्भों से कटकर के लिये सम्मानित किया जा चुका है।

पूर्णिमा वर्मन
(टीम अभिव्यक्ति की ओर से)
५ सितंबर २०१९

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