चित्रलेख

    

लो!
आ पहुंचा सूरज का
सात घोड़ों वाला रथ
दौड़ता हुआ आकाश में
अपनी गति से
करता हुआ आक्रांत सबको
घोड़ों की टापों से
उड़ने लगी
सुनहरी धूल
सुबह की ओस से गीली
नभ की गलियों में
पड़ने लगे पहियों के निशान
सोई हुई दिशाएं
जाग पड़ी अचानक

 

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