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घर-परिवार बचपन की आहट


शिशु का ३९वाँ सप्ताह
इला गौतम


वाक्य रचना

जन्म से ही शिशु जो ढेर सारे शब्द सुनता आ रहा है, वही शब्द अब अपना जादू दिखा रहे हैं। अभी भी शिशु की शब्दों की समझ उन्हें इस्तेमाल करने की क्षमता से कहीं अधिक है। उसका बड़बड़ाना अब गपशप में बदल गया है जो काफ़ी हद तक सुनने में असली शब्दों और वाक्यों की तरह लगता है। शिशु को लगता है कि वह कुछ बोल रहा है इसलिए उसकी बातों का उत्तर भी इसी तरह दें जैसे कि वह सच में कुछ बोल रहा है।

शिशु अभी भी असल शब्दों से ज़्यादा आपकी आवाज़ के स्वर से बातें समझता है। वह जान जाता है कि कब उसने आपको खुश कर दिया है इसलिए खास वाक्यों से उसकी सराहना करें जैसे "शाबाश!, बहुत अच्छे!" आप शिशु से जितनी ज़्यादा बातें करेंगे - खाना बनाते समय, गाड़ी चलाते समय, या तैयार होते समय - शिशु उतना ही ज़्यादा संचार के बारे में सीखेगा।

खेलना, सीखना और सीखना

शिशु अब दस माह को हो गया है। वह काफी देर जागता है और अपने इस समय को वह नई चीज़ें सीखने में तेजी से लगाता है। वह इतना समझदार है कि खेल के द्वारा अनेक चीज़े सीख लेता है। आने वाली बहुत सी चीजों को सीखने और पिछले सीखे हुए को दोहराते हुए आगे बढ़ने के लिये खेलों से बेहतर कुछ नहीं। इसलिये आप पाएँगी कि रोज नए खेलों की खोज और उनके प्रयोग में आपका बहुत सा समय लगने लगेगा। यह एक सुखद अनुभूति है। आपकी सुविधा के लिये कुछ खेल यहाँ दिये जा रहे हैं-

खेल खेल खेल-

  • कैंप और कहानी- कहानी वाला समय शिशु के लिए बहुत ही खास होता है, खास तौर पर अब जब वह अपनी सभी किताबों को एक ख़ज़ाने की तरह रखता है। इस घंटे को आप और भी रोमांचक बना सकते हैं एक कैम्प बनाकर। यह एक अच्छा साधन है शिशु के साथ गुणवत्ता समय बिताने का, सरदियों की लम्बी रातो में या फिर गरमियों के लम्बे दिनो में।

    इस खेल के लिए हमे चाहिए एक बड़ी सी चादर या कंबल, दो या तीन कुर्सियाँ, एक टौर्च, और किताबें। दो कुर्सियों को किसी फ़र्नीचर जैसे सोफ़ा या मेज़ के साथ रख दें, या फिर तीन कुर्सियों को तिकोना बनाकर रख दें और उन्हे बड़ी सी चादर या कंबल से ढ़क दें ताकि एक टेंट बन जाए। (गरमी के दिनो में चादर अच्छी रहती है और सर्दी के दिनो में कंबल आरामदायक रहता है)। टैंट के किनारे किसी भारी वस्तु से दबा दें जैसे जूते या किताबें। फिर शिशु के साथ आराम से टेंट में बैठ कर टौर्च की रोशनी में कहानियाँ पढ़ने का मज़ा लें।
    इस खेल से शिशु की मौखिक और पूर्व पढ़ने के कौशल का विकास होता है।

  • छुक छुक रेलगाड़ी- जिन बच्चों ने अभी-अभी घुटने के बल चलने में महारथ प्राप्त की है उनके लिए यह खेल बहुत ही रोमांचक होगा। इस खेल के लिए हमें किसी भी विशेष वस्तु की आवश्यक्ता नही है।
    यह खेल खेलने के लिए अपने पैर फैलाकर ऐसे खड़े हों कि आपके पैर आपके कँधों से बाहर हों। शिशु को कहें कि वह एक रेलगाड़ी है और आप एक सुरंग। फिर उसे आपके पैरों के बीच से गुज़रने के लिए प्रोत्साहित करें। जब शिशु गुज़र रहा हो तो साथ-साथ छुक-छुक-छुक और सीटी की आवाज़ें भी निकालें ताकि एक रेलगाड़ी जैसा ध्वनि प्रभाव हो।

    जब शिशु यह खेल थोड़ी देर खेल ले तब उससे कहें कि अब ट्रेन को थोड़ा जल्दी गुज़रना होगा, सुरंग के गिरने से पहले। जैसे-जैसे शिशु गुज़र रहा होगा वैसे-वैसे अपने पैर पास लाएँ और शिशु को पकड़ने का नाटक करें। या फिर अपना शरीर नीचे लाएँ (अपने घुटने मोड़कर) मानो कि आप शिशु पर बैठने वाले हैं।
    इस खेल से शिशु अपने घुटने के बल चलने की कला में और माहिर होगा और उसके गति पर नियंत्रण रखने के कौशल का भी विकास होगा।
     

याद रखें, हर बच्चा अलग होता है

सभी बच्चे अलग होते हैं और अपनी गति से बढते हैं। विकास के दिशा निर्देश केवल यह बताते हैं कि शिशु में क्या सिद्ध करने की संभावना है - यदि अभी नही तो बहुत जल्द। ध्यान रखें कि समय से पहले पैदा हुए बच्चे सभी र्कियाएँ करने में ज़्यादा वक्त लेते हैं। यदि माँ को बच्चे के स्वास्थ सम्बन्धित कोई भी प्रश्न हो तो उसे अपने स्वास्थ्य केंद्र की सहायता लेनी चाहिए।

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