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घर-परिवार बचपन की आहट


एक वर्ष का शिशु
कुछ उपयोगी सुझाव इला गौतम


५२- नए साल का उत्सव

देखते ही देखते एक और साल अपने अंतिम चरण पर आ पहुँचा है। नए साल का स्वागत करने का समय आ गया है। छोटे बच्चों के माता-पिता की हर साल यह समस्या रहती है कि बच्चों के साथ नव-वर्ष कैसे मनाएँ। कई जगह बच्चों को साथ लाने की अनुमति नही होती और कई बार बच्चे ही जल्दी सोने लगते हैं। अब बच्चों का दिनचर्या बदलना तो मुश्किल है इसलिए समझदारी इसी में है कि हम अपना कार्यक्रम उनकी सुविधानुसार बदल लें। आप यदि चाहें तो ७-८ बजे ही नव-वर्ष मना लें। पार्टी की तैयारियो में बच्चे आपकी मदद कर सकते हैं। आप उनसे काग़ज़ की टोपियाँ बनवा सकते हैं। टोपियाँ सजाने में उन्हे बहुत मज़ा आएगा। आप घर पर बच्चों के मन पसंद पकवान बना सकते हैं। मिनी-पिज़ा या मिनी-सैंडविच बनाने में बच्चे खुशी से आपकी मदद करेंगे। बच्चों को सजना बहुत अच्छा लगता है इसलिए नव-वर्ष के लिए एक नई पोशाक खरीदकर लाएँ और बच्चों को खूब सजाएँ। पार्टी के समय बाच्चों का मन-पसंद संगीत लगाकर उन्हे नाचने दें। साथ-साथ आप ढेर सारे बुलबुले भी फुला सकते हैं। फिर देखिए आपके बच्चे कितने मज़े से नव-वर्ष की पार्टी का मज़ा लूटते हैं। अंत में आपको हमारी ओर से नव-वर्ष की ढेर सारी शुभकामनाएँ।
२४ दिसंबर २०१२

५१- क्रिसमस की तैयारी

दिसम्बर का अंतिम सप्ताह आने वाला है और अपने साथ लाने वाला है क्रिसमस का त्यौहार। सैन्टा क्लॉज़, क्रिसमस ट्री, तरह-तरह के स्वादिष्ट पकवान और ढेर सारे तोहफ़े बाच्चों और बड़ों का मन मोह लेते हैं। इस त्योहार में बच्चे आपकी खूब मदद कर सकते हैं। क्रिसमस ट्री सजाने में उनकी पूरी मदद लें। जहाँ तक उनका हाथ पहुँचता है वहाँ तक वह आपकी मदद कर सकते हैं। ध्यान रखें कि काँच से बनी सजावटी वस्तुएँ न इस्तेमाल करें। सजावट के लिए एल ई डी लाईट का इस्तेमाल करें। एक तो इनसे बिजली की खपत कम होती है और दूसरा यह साधारण लाईट की तरह गरम नही होती। इसलिए यदि बच्चा गल्ती से इन्हें पकड़ भी ले तो उसका हाथ नहीं जलेगा। कुकीज़ और केक बनाने में बच्चों को ज़रूर शामिल करें। वह सामग्री डालने और मिलाने में, कुकीज़ और केक को सजाने में आपकी मदद कर सकते हैं। तोहफे बाँधने के काग़ज़ को बच्चों को सजाने दें। आप उनको उस पर चिपकाने के लिए अलग-अलग चीज़ें दे सकते हैं या फिर बच्चे के हाथ और पैर के रंग-बिरंगे निशान काग़ज़ पर ले कर उसे सजा सकते हैं। आशा है बच्चों और परिवार के साथ आपका क्रिसमस ढेर सारी खुशियों और मीठी-मीठी यादों भरा रहेगा।
१७ दिसंबर २०१२

५०- शिशु के साथ होटल में

क्रिस्मस और नव-वर्ष के साथ छुट्टियों के दिन आने वाले हैं। ऐसे में कई लोग शहर से बाहर घूमने जाना पसंद करेंगे। एक छोटे बच्चे के साथ होटल में रहना आरामदायक होने के साथ-साथ चुनौती जनक भी हो सकता है। इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखें। होटल के कमरे में घुसते ही अपना दरवाज़ा लैच लगाकर बंद कर लें। २-३ साल के बच्चे दरवाज़ा खोल सकते हैं लेकिन उनके लिए लैच खोलना आसान नही होता। यदि आपके कमरे के दरवाज़े में लैच नही है तो दरवाज़े के आगे एक कुर्सी रख दें ताकि बच्चे उसे खोल न पाएँ। अगला कदम है कमरे की जाँच। सिलाई की किट को किसी सुरक्षित जगह रख दें। इलैक्ट्रिक केतली, हेयर ड्रायर और स्त्री को भी ऐसी जगह रख दें जहाँ बच्चे का हाथ न पहुँचे। कमरे के फ़ोन को प्लग से निकाल दें और फिर बच्चे को मज़े से फ़ोन से खेलने दें। कुछ फ़ोन प्लग से निकाले नही जा सकते हैं। ऐसे में एक रबर बैंड से फ़ोन को बाँध दें। बच्चों के पीने के लिए एक प्लास्टिक का गिलास या कप ज़रूर रखें। आम-तौर पर होटल में शीशे का गिलास ही मिलता है। इसलिए प्लास्टिक का कप सुविधाजनक ही नही रहता बल्कि इससे बच्चे नहाते समय पानी से खेलने के काम भी ला सकते हैं। सुविधा के लिए आप अपने घर से एक नाईट लाईट भी साथ में ला सकते हैं।
१० दिसंबर २०१२

४९- नन्हे के जूते

अपने नन्हे मुन्ने के लिए जूते ऐसे खरीदें जिनसे हवा आर-पार हो सके और जो हल्के हों। मुलायम चमड़े या कपड़े से बने जूते सबसे अच्छे रहते हैं। सख़्त चमड़ा शिशु के पंजे के विकास में बाधा डाल सकता है और सिन्थेटिक जूते भी आरामदायक नही रहते क्यूँकि उनमे से हवा आर-पार नही होती। जूते का तला सख़्त नही होना चाहिए। मोड़ने पर आसानी से मुड़ना चाहिए। बिना फिसलने वाले रबर के तले वाले जूते बच्चों के लिये अच्छे और सुरक्षित रहते हैं। यह निश्चित करने के लिए कि जूता सही नाप का है, बच्चे को जूता पहना कर खड़ा करें। उसकी एड़ी और जूते के अंत के बीच आपकी छोटी अँगुली डालने की जगह होनी चाहिए। आगे से जूता अपने अँगूठे से दबाकर देखें। आपके अँगूठे की चौड़ाई जितनी जगह होनी चाहिए शिशु के पैर के अँगूठे और जूते के अंत के बीच। बच्चों के पैर की अँगुलियों को हिलने के लिये पर्याप्त जगह मिलनी चाहिए। बच्चे तेज़ी से बढ़ते हैं इसलिए हर महीने इसी तरह से शिशु के जूते का नाप जाँचते रहें। हो सके तो फीते वाले जूतों के बजाए वैल्क्रो वाले जूते खरीदें जिन्हे बच्चों को पहनाना और उतारना आसान होता है।
३ दिसंबर २०१२

४८- सर्दी में सावधानी

सर्दियाँ लगभग आ ही गई हैं। मौसम बदलते ही कपड़े भी बदल जाते हैं। ऐसे में खासकर बच्चों की कपड़ों की अलमारी को सर्दियों के लिए तैयारी करना अति आवश्यक हो जाता है। यदि हम थोड़ा ध्यान दें तो कम पैसो में और व्यवस्थित रूप से बच्चों के कपड़े तैयार कर सकते हैं। सबसे पहले आप अपने बच्चे की अलमारी की छान-बीन करके सर्दियों के लिए जो चीज़ें काम में लाई जा सकती हैं जैसे मोज़े, टोपियाँ, मफ़्लर, स्कार्फ़, कोट आदि निकाल लें। दराज़ों में यह सब जमा लें। स्वेटर के अलावा एक पूरी आस्तीन का कोट ज़रूर रखें। लड़कियों के लिए अन्दर पहनने के लिए मोटी बनियान, लैगिंन या लम्बे मोज़े अच्छे रेहते हैं। लड़को के लिए जीन्स या मोटे कपड़े की पैंट और स्वैट-शर्ट बहुत काम आएगी। इन सभी कपड़ों को अच्छी तरह चैक कर लें कि इनकी ज़िप ठीक है कि नही, किसी जेब में छेद तो नही है, कोई बटन तो नही टूटा है, या फिर किसी कपड़े मे छेद तो नही है। आवश्यकता अनुसार उन्हे ठीक कर लें। इसी तरह बच्चों के स्कूल के कपड़े भी तैयार कर लें। यह सुनिश्चित कर लें कि आपके पास पर्याप्त संख्या के कपड़े हों ताकि आपको उन्हे एक हफ़्ते में बार-बार न धोना पड़े। आशा है यह सलाह आपको सर्दियो में अपने बच्चों के कपड़ो को ठीक से रखने में मददगार साबित होंगी।
२६ नवंबर २०१२

४७- सैर चिड़ियाघर की

यदि आप बच्चों को घुमाने के लिए एक नई जगह सोच रहे हैं तो चिड़ियाघर कैसा रहेगा? चिड़ियाघर जाने की तैयारी करते समय कुछ बातों का ध्यान रखें। वहाँ जाने से पहले ही बच्चे को मान्सिक रूप से तैयार कर लें कि उसे वहाँ क्या-क्या देखाई देगा। हो सके तो उसके साथ पशु-पक्षियों वाली कहानियाँ पढ़ें ताकि वह बाद में उन्हे चिड़ियाघर में पहचान सके। चिड़ियाघर के लिए तैयार होते समय सबसे ज़्यादा ज़रूरी है आरामदायक जूते पहनना। साथ में सूरज की तेज़ धूप से बचने के लिए एक छतरी या टोपी लेजाना न भूलें। हो सके तो साथ में स्ट्रोलर या प्रैम ज़रूर ले जाएँ क्यूकि कुछ देर बाद बच्चे चलते-चलते थक जाएँगे और ऐसे समय में प्रैम बहुत काम आएगा। घर से बच्चों के मन-पसंद स्नैक्स ले जाएँ और उन्हे पहले से समझा दें कि पशु-पक्षियों को इन्सानों का खाना न खिलाएँ क्यूँकि उनके लिए खास खाना होता है। जैसे-जैसे आप चिड़ियाघर में टहल रहे हों वैसे-वैसे बच्चों के साथ खेल खेलते चलें। जैसे उन्हे चुनौती दें कि वह बंदर की तरह चलकर दिखाएँ या हाथी की आवाज़ निकालें। इससे उनका मन बहला रहेगा, थकान का पता भी नही चलेगा और समय भी कट जाएगा।
१९ नवंबर २०१२
 

४६- दीपावली का पर्व

आजकल दिवाली की तैयारियाँ धूम-धाम से चल रही हैं। दिवाली त्योहार है नए-नए कपड़े पहनने का, मिठाइयों का, रंग-बिरंगी रंगोली और दियों का और धूम-धड़ाके वाले पटाखों का। इतनी खुशी के बीच यदि हम थोड़ी सावधानी बरतें तो हम यह त्योहार सुरक्षित रहकर मना सकते हैं। कोशिश करें कि दिवाली के दिन सूती कपड़े पहनें। पटाखे जलाते समय फ़र्स्ट-एड किट और एक बाल्टी पानी पास में ज़रूर रखें। बच्चों के साथ दिवाली मनाने का अलग ही मज़ा है। उन्हे एक ब्रश और रंग दे दें और फिर देखिए वह कितनी मज़ेदार रंगोली बनाते हैं। यदि आपके घर में थोड़े बड़े बच्चे है जैसे ३-४ साल के तो आप सादे मिट्टी के दिए खरीदकर उनपर बच्चों से रंग करवा सकते हैं। यह रंग-बिरंगे दिए बनाने में उन्हे बहुत मज़ा आएगा और आपकी दिवाली भी यादगार बन जाएगी।
१२ नवंबर २०१२

४५- फिल्म और बच्चों का साथ

छोटे बच्चों के साथ सिनेमा हॉल की सैर यदि सुविधाजनक बनानी हो तो फ़िल्म का चयन में ध्यान रखें कि फ़िल्म ज़्यादा लम्बी न हो। दूसरी बात, बच्चों को फुसफुसाकर बात करना सिखाएँ ताकि हॉल में बाकी दर्शकों को परेशानी न हो और आपको भी अटपटा सा न लगे। सिनेमा हॉल में जाने से पहले ही बच्चे को अँधेरे के लिए मानसिक रूप से तैयार कर लें ताकि अँधेरा होने पर वह घबराए नही। उसके बताएँ कि अंधेरा इसलिए हो रहा है ताकि सबको फ़िल्म अच्छे से दिखाई दे सके। हॉल में घुसने से पहले बच्चे को एक बार शौचालय ज़रूर ले जाएँ। फ़िल्म के टिकट खरीदते समय कोशिश करें कि आपको गलियारे वाली सीट मिल सके ताकि आने जाने में सुविधा रहे और बच्चे यदि ऊब जाएँ तो चल फिर के खेल सकें। घर से बच्चे के ४-५ मन पसंद स्नैक्स लेकर चलें ताकि बच्चा उन्हे खाने में व्यस्त रहे। यदि बच्चा फिर भी ऊब रहा हो तो उससे झगड़ा करने के बजाए उसे खाने-पीने की दुकान पर सैर करा लाएँ। कई बार अँधेरे में और ए सी की ठंडी-ठंडी हवा में बच्चों को नींद आ जाती है तो उन्हे सोने दें और फिर आराम से फ़िल्म का मज़ा लें।
५ नवंबर २०१२

४४- बागबानी का उत्साह

अक्टूबर शुरू हो गया है। गर्मियों को अलविदा कह कर सर्दियों का स्वागत करने का समय आ गया है। कई लोग अपने बगीचे में नए फूल पौधे लगाएँगे। जहाँ इतना सब कुछ हो रहा हो वहाँ बच्चे कैसे पीछे रहें। बच्चों के साथ बागवानी करने का अलग ही मज़ा है। इसके लिए सबसे पहले बच्चों को पुराने कपड़े पहना दें ताकि जब वे उन्हें गंदा करें तो आपको दुख न हो। इसके बाद उन्हें अपने जैसे खेलने वाले कुछ औज़ार देदें जैसे प्लास्टिक की खुरपी, रबड़ के दस्ताने आदि। अब वे काम करने के लिए तैयार हैं। उन्हें एक छोटा मिट्टी का ढेर, कुछ कंकड़, एक छोटी बाल्टी, कुछ डंडियाँ आदि दें ताकि वह उनसे अपने आप खेल सकें। यदि वह आपके साथ काम करना चाहें तो आप उन्से गमले या क्यारियों में से सूखे पत्ते या घास साफ़ करवा सकते हैं। इससे आपका काम भी हो जाएगा और बच्चों को आपकी मदद करके गर्व महसूस होगा।
२९ अक्तूबर २०१२

४३- मजा दशहरे का

शहरा उत्तर भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह प्रतीक है श्री राम के हाथों रावण के वध का अतः अच्छाई की बुराई पर जीत का। इन दिनों कई शहरो में मेला लगता है। मेले में बच्चों का खास ख्याल रखें। मेले में जाने से पहले अपना नाम, पता, फ़ोन नम्बर आदि आवश्यक जानकारी की एक पर्ची बनाकर बच्चे की जेब में रख दें। जिन बच्चों ने अभी बोलना शुरू नही किया है उन्हे जहाँ तक हो सके भीड़-भाड़ वाली जगह से दूर ही रखना चाहिए। लेकिन यदि फिर भी मेले में ले जाना पड़े तो उनके हाथ में एक पट्टा बाँध दें जिस पर बच्चे का नाम और आपका फ़ोन नम्बर लिखा हो। जो लोग भारत से बाहर रहते हैं वे भी अपने बच्चों के साथ दशहरे का आनंद ले सकते हैं। एक ऐसा खिलौना जिसके बिना दशहरा अधूरा है वह है तीर-धनुष। इसे बनाकर खेलने में बच्चों के बहुत मज़ा आएगा। इसे बनाने के लिए एक मज़बूत लेकिन मुड़ने वाली डंडी ले लें। उसको हल्का सा मोड़कर उसके दोनो सिरे एक लम्बे रबर बैंड से बाँध दें ताकि एक अर्द्धवृत्त सा बन जाए। यह हो गया हमारा धनुष तैयार। इस पर मनपसंद रंग कर सकते हैं या फिर अपना मन पसंद गोटा लगाकर इसे सजा सकते हैं। तीर के लिए भी डंडियाँ लेलें और उसके एक सिरे पर तिकोने आकार के कागज़ चिपका दें। हो गया तीर तैयार। अब इनसे खूब खेलें लेकिन ध्यान से।
२२ अक्तूबर २०१२

४२- शिशु के साथ नवरात्र

नवरात्र का समय है और पूजा की तैयारियों में आपकी व्यस्तता रहेगी। एक वर्ष का बच्चा सभी तरह का फलाहार थोड़ा बहुत खा सकता है। फिर भी तली हुई चीजें, मेवे और फल में से केवल वही भोजन इसे दें जिन्हें खाने में उसे रुचि है। उसका नियमित भोजन अनियमित न हो इसका ध्यान रखें। पूजा के समय सावधानी रखें कि वह दिये या अगरबत्ती को न छू जाय। हो सकता है कि शिशु की कोमल त्वचा को बाजार में मिलने वाली रोली माफिक न आए। यदि ऐसा है तो हल्दी या चंदन का टीका लगाएँ। पूजा करते समय या खाना पकाते समय शिशु गोद में न हो यह बहुत आवश्यक है।
१५ अक्तूबर २०१२

४१- शिशु के साथ बाजार की सैर

एक साल के शिशु के साथ बाजार जाने में कुछ कठिनाइयाँ है। कभी तो वह पैदल चलने की जिद करेगा कभी वह खरीदारी वाली ट्राली में बैठना चाहेगा तो कभी गोद में आना। शायद वह थक जाएगा और सोना चाहेगा। सच पूछिये तो ये आनंद के पल हैं। वह जैसे होना चाहता है उसे होने दें। जीवन में ये पल मुश्किल से एक साल के लिये ही मिलने वाले हैं। इसके लिये आवश्यक तैयारी कर लें- बाजार के लिये अकेली न निकलें। परिवार के किसी सदस्य को साथ ले लें ताकि अगर शिशु आपकी गोद में है तो वे सदस्य खरीदारी में मदद कर सकें। शिशु के लिये जरूरी समान (जैसे नैपी, पानी, दूध की बोतल आदि) रख लें और प्रैम भी साथ ले लें। मौसम का ध्यान रखें या फिर मौसम नियंत्रित किसी माल में खरीदारी करें। शिशु के साथ बाजार की सैर सुविधाजनक रहेगी।
८ अक्तूबर २०१२

४०- बालों की देखभाल

छोटे बच्चों के बालों का ध्यान रखना उतना ही आवश्यक है जिनता बड़ों के। नन्हे-मुन्नों के बालों पर वही शैम्पू इस्तेमाल करें जो खास बच्चों के लिए होते हैं। यदि आप शैम्पू के साथ कन्डीशनर का इस्तेमाल करेंगे तो बच्चों के बाल आसानी से सुलझ जाएँगे और मुलायम हो जाएँगे। बाल धोने के बाद उसे चौड़े दाँत वाले कँघे से सुलझाएँ। बाल घोने की प्रक्रिया को जितना हो सके उतना मज़ेदार बनाएँ। इसके लिए आप अपना एक खास शैम्पू गाना बना सकते हैं या शिशु के लिए साबुन के बुलबुले भी फुला सकते हैं। ध्यान रखें कि सोते समय आपकी नन्ही परी के बालो में कोई भी चिमटी न लगी हो। बाल बाँधकर सोना अच्छा रहता है। यदि उसके बाल इतने बड़े हो कि चुटिया बनाई जा सके तो उसे चुटिया बनाकर सुलाएँ। इन सब बातों का ध्यान रखने से आपकी नन्ही परी के बाल स्वस्थ रहेंगे।
१ अक्तूबर २०१२

३९- सर्दी के समय

यदि आपके नन्हे-मुन्ने को सर्दी-खाँसी हो गई है तो यह कुछ उपाय आपके काम आ सकते हैं। पहले उपाय के लिए एक कटोरी में दो बड़े चम्मच सरसों का तेल ले लें और फिर उसमें कपूर का एक छोटा टुकड़ा (एक चावल के बराबर) डालकर रख दें। कुछ देर बाद इस तेल से शिशु के सीने, गले, और पीठ की मालिश कर दें। इससे शिशु को आराम मिलेगा। दूसरे उपाय के लिए हमें चाहिए एक रुमाल, एक छोटा चम्मच अजवाइन, और इस्तिरी। एक रुमाल में एक चम्मच अजवाइन रख कर उसे एक पोटली में बाँध लें। इस पोटली को इस्तिरी पर रख कर हल्का गरम कर लें और फिर उससे शिशु के पीठ और सीने को सेकें। ध्यान रखें पोटली को शिशु की त्वचा पर रखने से पहले अपने हाथ पर रख कर देखें कहीं वह ज़्यादा गरम न हो।
२४ सितंबर २०१२

३८- शिशु की तस्वीरें

यदि आप अपने एक साल के शिशु की प्यारी प्यारी तस्वीरें खीचना चाहते हैं तो शिशु से यह अपेक्षा न रखें कि वह हर फोटो पर मुस्कुराए और खुशी का भाव दे। वह गम्भीर हो सकता है, कुछ अन्यमनस्क लग सकता है, हँस सकता है, या फिर कुछ खेलने में व्यस्त भी हो सकता है। सबसे अच्छी तस्वीरें तब आती हैं जब उन्हें अपने वातावरण में जो वो चाहें वह करने दिया जाए। आपको हर पल कैमरे के साथ तैयार रहना है ताकि आप शिशु के हर भाव को कैमरे में कैद कर सकें। यदि शिशु का आपकी ओर देखने का बिल्कुल भी मन न हो तो उसके बचपन को कैमरे में कैद कर लें जैसे उसके नन्हे-नन्हे पैर, गोलू-मोलू हाथ आदि। अजीब-अजीब सी तरह-तरह की आवाज़ें बनाएँ और फिर देखिए शिशु उन पर कैसे अपने भाव बदलता है। कोशिश करें कि शिशु के स्तर पर आकर उसकी तस्वीरें लें।
१७ सितंबर २०१२

३७- शिशु का पहला जन्मदिन

शिशु का पहला जन्मदिन माता-पिता और परिवार के सभी सदस्यों के लिए एक विशेष समारोह होता है। इसकी तैयारी करते समय अगर हम कुछ बातों का ध्यान रखें तो आसानी से सब काम हो जाएँगे। जब आप निमन्त्रण पत्र बनाएँ तो उसमें लिखिए कि किसका जन्मदिन है, कब और कहाँ है, पार्टी कितने बजे शुरू होगी, कितने बजे खत्म होगी और केक कितने बजे काटा जाएगा। पार्टी के दौरान कुछ ऐसे खेल आयोजित करें जिसमें बच्चे थकें और उन्हे मज़ा भी आए जैसे तीन पैर की दौड़, गुब्बारे फोड़ने की दौड़ आदि। जब आपको लगे कि बच्चे थक रहे हैं तब भोजन लगवा दें। इससे बच्चे ठीक से बैठ कर खाना खा लेंगे। आखिर में यदि आप चाहें तो सबके घर लौटने के समय हर बच्चे को एक उपहार बैग दे सकते हैं जिसमें कोई छोटा खिलौना, स्टेशनरी का कोई सामान या फिर थोड़ी सी टॉफ़ियाँ हों।
१० सितंबर २०१२

३६- बालों की धुलाई

शिशु के बाल धोना लगभग हर माँ के लिए बड़ी समस्या है। किसी किताब में नही लिखा कि शिशु को रोज़ शैम्पू करना चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि हफ़्ते में एक बार बहुत होता है। शैम्पू के लिए बाल गीले करते समय आप शिशु का सिर गीला करने के लिए किसी गीले कपड़े का इस्तेमाल कर सकती हैं। शैम्पू ऐसा इस्तेमाल करें जो शिशु की आँखों में जलन न करे। शैम्पू करते समय शिशु के हाथ में एक हाथ वाला शीशा पकड़ा दें। इससे शिशु को मज़ा आएगा और उसका ध्यान भी बटा रहेगा। बाल धोते समय शिशु के माथे पर तौलिया रोल कर के रख लें ताकि जो थोड़ा बहुत पानी शिशु की आँख की ओर जा रहा हो उसे तौलिया सोख ले।
३ सितंबर २०१२

३५- सीख दाँत साफ करने की

बच्चों को रोज़ मन्जन कराना ज़रूरी होता है यह सबको पता है लेकिन हम वास्तव में कितना करा पाते हैं यह और बात है। इस मुशकिल से निपटने के लिए आप कुछ तरीके अपना सकते हैं जैसे जब बच्चे का दाँत साफ़ करने का समय हो तब आप भी अपने दाँत साफ़ करें। क्यूँकि शिशु को आपकी नकल करना बहुत पसंद होता है इसलिए हो सकता है कि शिशु आपकी नकल कर के अपने दाँत साफ़ करने लगे। दूसरा शिशु के लिए एक स्टूल ले आएँ जिसपर खड़े होकर वह अपने आप को शीशे में देख सके। तीसरा, कुल्ला करने वाले हिस्से को मज़ेदार बनाएँ। शिशु को सिखाएँ कैसे मुँह में पानी लेकर बाहर निकालते हैं और जितनी बार वह चाहे उसे इसका अभ्यास करने दें। चौथा, आप शिशु के लिए ऐसा टूथ-ब्रश ला सकते हैं जिसमें संगीत बजता हो। यह सब करने से शिशु का मन्जन करने में अधिक दिल लगेगा।
२७ अगस्त २०१२

३४- आत्मविश्वास का प्रदर्शन

एक दिन आप पाएँगी कि "मैं करूँगा" शिशु का पसंदीदा वाक्य बन गया है। इस बात से परेशान होने के बजाए आप इसका फ़ायदा उठा सकते हैं। शिशु को घर के साधारण छोटे-छोटे काम करने दें जैसे गन्दे चम्मच सिंक मे डालना, पौधो में पानी डालना, खाने के लिए मेज़ पर थाली, गिलास, चम्मच रखना आदि। ऐसा करने से शिशु को महत्त्वपूर्ण महसूस होता है और उसे लगता है कि वह परिवार के काम में आवश्यक योगदान कर रहा है। चाहे वह काम बिल्कुल ठीक न भी करे फिर भी उसकी सराहना ज़रूर करें और फिर देखिए आपको कैसे अपने घर में ही आपके काम में साथ देने वाला एक नया साथी मिल जाएगा।
२० अगस्त २०१२

३३- दूध से अरुचि

सम्भव है कि शिशु अचानक दूध पीने से इन्कार करने लगेगा। इस बात का बतंगड़ न बनाएँ। यह बस एक तरीका है शिशु का आपको उसकी स्वतंत्रता जताने का। शिशु को दूध देते रहें लेकिन उस पर पीने का ज़ोर न डालें। साथ-ही-साथ यह ध्यान रखें कि शिशु को दूसरे रूप में पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम मिलता रहे। आप उसे पनीर, चीज़, दही आदि खिलाकर उसके कैल्शियम की ज़रूरत को पूरा कर सकते हैं। बच्चे मिल्क शेक खूब शौक से पीते हैं और खासकर चौक्लेट मिल्क।
१३ अगस्त २०१२

३२- अतिरिक्त ऊर्जा का प्रबंधन

आप शिशु के शारीरिक विकास में तेज़ी से बढ़ौतरी देखेंगे। ऐसे दिन भी होंगे जब आपके लिए शिशु की इतनी शारीरिक ऊर्जा को संभालना बहुत मुश्किल होगा। आप इस ऊर्जा को न रोक सकते हैं और न बदल सकते हैं। इसलिए इससे लड़ने के बजाए इसे किसी काम में लगा दें जैसे शिशु का मनपसंद गाना बजाकर उसके साथ जी भरकर नाचें। आप उसके लिए एक ट्रैम्पोलीन ला सकते हैं जिसमे वह कूद सके। इस प्रकार की गतिविधियों से शिशु व्यस्त रहेगा, उसकी ऊर्जा सही दिशा में इस्तेमाल होगी और आप भी खुश रहेंगी।
६ अगस्त २०१२

३१- पालने को विदाई

जब बच्चा डेढ़ साल का हो जाए तभी सही समय होता है उसकी पालने में सोने की आदत को छुड़ाने का। कई माता-पिता ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि दूसरा नन्हा शिशु घर में आने वाला होता है। यदि ऐसा है तो नए शिशु के आने के कई महीनों पहले ही शिशु को बिस्तर पर सोने की आदत डालना शुरू कर दें ताकि वह नए मेहमान के आने को पालना छूटने से सम्बंधित न करे। कई बच्चे चंचल होते हैं और हमेशा पालने से बाहर आने की फ़िराक में रहते हैं। यह शिशु के लिए खतरनाक हो सकता है। इससे बचने के लिए आप एक नेट के कपड़े का पालने का कवर खरीद सकती हैं। यह बाज़ार मेम आसानी से उपलब्ध होता है। इससे बच्चे अन्दर रहेंगे और यदि आपके घर में कोई पाल्तू कुत्ता या बिल्ली है तो वह भी पालने में नही जा पाएगी।
३० जुलाई २०१२

३०- गोद की जिद

एक बच्चा जो अपने पैरों पर अच्छे से चल सकता है वह भी गोद में आने की ज़िद कर सकता है। यह सोचिए सार्वजनिक स्थानो में शिशु छोटा और कमज़ोर महसूस करता है और उसे डर रहता है कि वह खो जाएगा। हो सकता है कि शिशु वास्तव में बहुत थक गया हो और उसे आपके ध्यान और लगाव की आवश्यक्ता हो। आप उसे गोद ले सकते हैं लेकिन यदि आप दूर जा रहे हों और आपको अपनी कमर बचानी है तो ज़रूर प्रैम का इस्तेमाल करें। या फिर आप बच्चे से बातचीत कर के उसे चलने के लिए मना सकता है जैसे उसे कहें कि चलो हाथ पकड़कर चलते हैं, या चलो बस उस पेड़ तक चल लो फिर गोद में आ जाना।
२३ जुलाई २०१२

२९- माता-पिता में से एक को वरीयता

शिशु कभी-कभी माँ से ज़्यादा पिता या पिता से ज़्यादा माँ को पसंद करने लगता है जैसे पापा बाल बनाएँगे और हर रात माँ ही सुलाएगी आदि। यह पक्षपात शिशु किसी खास कारणवश नही करता इसलिए बुरा न मानें। पिता का कुछ दिन दफ़्तर के सिसिले में बाहर रहना कभी-कभी इस पक्षपात का कारण हो सकता है। शिशु को यह महसूस न कराएँ कि वह कुछ गलत कर रहा है। या फिर उसे उपहार देकर मनाने की और अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश करना भी सही नही है। यह पक्षपात होने दें और आपको पता भी नही चलेगा कब यह चरण बीत जाएगा।
१६ जुलाई २०१२

२८- पानी से सावधान-

यू. एस. सेंटर फ़ॉर डिज़ीज़ कन्ट्रोल एन्ड प्रिवैन्शन” के अनुसार डूबना बच्चो की आकस्मिक मृत्यु का दूसरा सबसे आम कारण है। घर के तरण ताल में सबसे अधिक हादसे होते हैं। जब भी आप बच्चे के साथ पूल के पास हों तब एक पल के लिए भी अपनी नज़र उससे न हटाएँ क्योंकि ४ साल से कम उम्र के बच्चे पानी में गिरकर कुछ ही सेकेन्ड में डूब जाते हैं। वे एक वयस्क व्यक्ति की तरह चिल्ला नही पाते। जब आप पूल में बच्चे के साथ हों तो उसे हमेशा अपने हाथ की पहुँच तक ही रखें। पूल को जाने वाले दरवाज़े में हमेशा ताला लगाकर रखें। पूल ही नही कोई भी स्थिर पानी जो कुछ इंच गहरा हो जैसे पानी भरी बाल्टी या नहाने का टब शिशु के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है।
९ जुलाई २०१२

२७- मनपसंद कम्बल या खिलौना

शिशु को अपना मनपसंद कम्बल या कोई एक खिलौना जान से भी ज़्यादा प्यारा होता है। इसलिए जैसे ही पता चले यह वस्तु शिशु की प्रिय हो रही है, उसका एक नग और ले लें। एक घर के लिए और एक बाहर जाते समय जैसे डॉक्टर से भेंट के समय या कार में यात्रा करते समय। शिशु की चुनी हुई वस्तु थोड़े दिनो में पुरानी सी लगने लगेगी। उसको साफ़ रखने में दिन-रात एक न करें। इसी पुरानी सुगंध और स्पर्श से शिशु को प्यार होता है। इसलिए जब आप एक जैसी दो वस्तुएँ लेंगे तो उसे समय समय पर बदलने की सुविधा रहेगी। बच्चा भी दोनो से समान रूप से परिचित हो जाएगा। यदि कभी एक गुम हो जाए तब भी दूसरा होने पर आपकी जान बच जाएगी।
२ जुलाई २०१२

२६- एक और निवाला

शिशु को हमेशा "एक और निवाले" के लिए ज़ोर न डालें और न ही उसपर दबाव डालें कि वह थाली में रखी हर चीज़ चखे। शिशु को खाने की थाली में अलग-अलग खाद्य समूहों से भोजन दें। इससे यह होगा कि शिशु को आवश्यक पोषण मिल सकेगा चाहे वह एक समय में सिर्फ़ सब्जी खाए और दूसरे में केवल अन्न। एक समय के भोजन या एक दिन में पोषक तत्व का मिश्रण खाने से अधिक आवश्यक है कि शिशु पूरे हफ़्ते में क्या-क्या ग्रहण करता है। यदि आप शिशु को स्वस्थ विकल्प दें तो शिशु सही पोषक तत्व और मात्रा चुनने में स्वाभाविक रूप से माहिर होते हैं।
२५ जून २०१२

२५- नए प्रयोगों से सामना

शिशु लगातार प्रयोग करने में लगा रहता है। उसकी आवाज़ एक ऐसा साधन है जिससे वह सब कुछ करवा सकता है। इसलिए हो सकता है कि उसे चिल्लाने की अप्रिय आदत हो गई हो। विशेष रूप से यह इसलिए भी होता है क्योंकि शिशु जान गया है कि ऐसा करने से उसे आपका ध्यान फ़ौरन मिलेगा। शिशु को समझाएँ कि चिल्लाने से आपके कानो में दर्द होता है। उसे बताएँ कि जबतक वह अपनी सामान्य आवाज़ में बात नही करेगा उसकी बात का उत्तर नही मिलेगा। ध्यान रहे यह बात शिशु को चिल्लाकर बिलकुल ना कहें। आप उसे यह कहकर भी समझा सकते हैं कि उसकी चिल्लाने वाली आवाज़ बाहर के लिए है जब हम बगीचे में खेलने जाते हैं।
१८ जून २०१२

२४- हवाई यात्रा में

हवाई यात्रा करते समय शिशु को व्यस्त रखने के लिए एक छिपकाने वाला टेप ले जाएँ। इस टेप के लगभग डेढ़ इंच के टुकड़े काटते जाएँ जिन्हें शिशु अपने सामने वाली सीट पर या फिर हाथ रखने वाली जगह पर चिपका सके। इससे शिशु काफ़ी देर तक व्यस्त रहेगा। जब इस खेल से थक जाएँ तब इन टुकड़ों के गोले बनाकर खेलें। एक किताब और कुछ स्टिकर भी साथ में रखे जा सकते हैं। शिशु इन स्टिकरों को किताब पर चिपकाने, निकालने और फिर से चिपकाने में व्यस्त रहेगा।
११ जून २०१२

२३- हाव भाव की भाषा

बच्चे शब्दों की भाषा से अधिक शरीर की भाषा समझते हैं। इसलिए यह बहुत महत्त्वपूर्ण है की आपके शरीर की भाषा शिशु के सामने चीज़ों को लेकर एक सी हो। यदि आप एक बार किसी चीज़ के लिए मना करें तो दूसरी बार भी मना करते रहें चाहे आपका शिशु वो शैतानी करते हुए कितना ही प्यारा क्यूँ न लग रहा हो। आपका इस समय मुस्कुरा देना शिशु को गलत संकेत देगा और वह उलझन में पड़ जाएगा कि क्या सही है और क्या गलत। शिशु को डाँटे नही लेकिन अपनी आवाज़ और चेहरे के भाव ऐसे रखें कि आप उसे असहमत हैं।
४ जून २०१२

२२- नींद के नियम में परिवर्तन

धीरे-धीरे शिशु दिन में दो बार सोने के बजाए दिन में एक बार ही सोएगा। अब वह सुबह की छोटी नींद को अलविदा कह रहा है। इस परिवर्तन में उसका सहियोग करें। उसकी छोटी नींद के समय कोई शांत गतिविधि आयोजित करें जैसे साथ-साथ शांतिदायक संगीत सुनना, किताबें पढ़ना, या फिर सोफ़े पर कम्बल ओढ़कर आराम करना (ना कि पलंग पर जिसको शिशु नींद साथ सम्बन्धित करता है)। शिशु की सुबह की छोटी नींद के समय कार से यात्रा भी न करें।
२८ मई २०१२

२१- आवाज से डर

बच्चे वैक्यूम-क्लीनर, साइरन, प्रैशर-कुकर, पटाखे, या गुब्बारा फटने की आवाज़ के घबरा जाते हैं या रोने भी लगते हैं। ऐसा होने पर अपने शिशु को ढेर सारा शांत आश्वासन दें। गले लगाकर उसकी भावनाओं को समझते हुए कहें 'कितनी ज़ोर से आवाज़ आई ना। उसे सिखाएँ कि वह कैसे अपनी उँगली से अपने कान बंद कर सकता है। जैसे-जैसे वह समझेगा कि यह आवाज कहाँ से आ रही है और यह कि आवाज़ हानिकारक नही है वैसे-वैसे उसका डर कम हो जाएगा।
२१ मई २०१२

२०- रात्रि में सोने का कार्यक्रम

बच्चों को सुलाने के लिए हमेशा एक ही तरह का नियमित कार्यक्रम करें। जैसे उसको गुनगुने पानी से स्नान करा दें, उसकी मालिश कर दें, उसे कहानियाँ सुनाएँ, और दूध पिलाकर सुला दें। चाहे आप कोई भी नियमित कार्यक्रम चुनें महत्त्वपूर्ण बात यह है कि प्रतिदिन उसी क्रम में चीज़ें करें। बच्चों को स्थिरता बहुत पसंद होती है। कब और कैसे कोई चीज़ होगी इसका अनुमान लगा पाने से उन्हे लगता है कि स्थिति उनके नियंत्रण में है।
१४ मई २०१२

१९- नहीं पर नियंत्रण

कई बार हमारे हर बात पर मना करने से शिशु विद्रोही बन जाता है। इसलिए शिशु को आप कितनी बार 'नही' कहते हैं इस पर नियंत्रण रखना चाहिए। यह इतना आसान नही है लेकिन आप घर का एक हिस्सा बच्चा अशुद्धि जाँच करके शिशु के लिए सुरक्षित बना सकते हैं जहाँ वह अपनी मन मर्ज़ी कर सके। हालाकि आपको निरीक्षण करते रहना होगा लेकिन फिर भी एक तसल्ली रहेगी कि आसपास कोई नुकीली, टूटनेवाली या बिजली की चीज़ नही है। यदि आप ऐसा कर पाएँ तो शिशु बिना रोक-टोक के खोज कर पाएगा और आपको भी थोड़ी देर आराम मिलेगा।
७ मई २०१२

१८- आकर्षक चीजें नहीं उनके खिलौने रूप दें

चाबियाँ, कलम, लिपिस्टिक, फ़ोन, यह सभी चीज़ें बच्चे को आकर्षक लगती हैं। जब शिशु आपको इन्हे इस्तेमाल करते हुए देखता है तो वह भी इन्हे इस्तेमाल करना चाहता है। समस्या यह है कि कई चीज़ें आप चाहेंगे के शिशु खराब न करे (जैसे फ़ोन) या कई चीज़ें ज़हरीली हो सकती हैं या गले में अटक सकती हैं (जैसे लिपिस्टिक)। इन सब खतरों से बचने के लिए आप शिशु को यह सब चीज़ें प्लास्टिक की खरीदकर दे सकते हैं जैसे प्लास्टिक की बड़ी रंग-बिरंगी चाबियाँ, आवाज़ निकालने वाला फ़ोन आदि।
३० अप्रैल २०१२

१७- अंतर्मुखी शिशु को प्रोत्साहन

यदि आपका शिशु अंतर्मुखी व्यक्तित्व का हो तो उसे 'शर्मीला' होने का ढप्पा न लगाएँ। इस उम्र के अधिकतर बच्चे शर्मीला होने का नाटक करते हैं, खासतौर पर नई परिस्थितियों में। शिशु के प्रति सहानुभूति रखें। जैसे सामाजिक स्थितियों में आप उससे कह सकते है 'इस पार्टी में कितनी भीड़ है ना?' और जब भी शिशु सामाजिक हो तो उसे खूब प्रोत्साहन दें। हमेशा उसे यह याद दिलाएँ कि वह कैसे अच्छे से लोगों से मिला था, ना कि यह कि वह कितना शर्मीला है।
२३ अप्रैल २०१२

१६- नहीं से सामना

बहुत जल्द 'नही' शिशु का सबसे पसंदीदा शब्द बनने वाला है। यह प्रतीक है इस बात का कि शिशु समझता है कि उसका अस्तित्व आपसे अलग है। शिशु डाईपर बदलने में, दाँत साफ़ करने में, या प्रैम और कार-सीट में बैठने के लिए आना-कानी करेगा। इस स्थिति से निपटने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि जहाँ बहुत ज़रूरी न हो वहाँ शिशु की चलने दें (जैसे गंदे कपड़े फ़ौरन बदलना)। अपनी ताकत और नाराजगी आपत्तिजनक बातों के लिए बचाकर रखें (जैसे जब शिशु किसी को मार रहा हो)।
१६ अप्रैल २०१२

१५- विदा लेने की सही विधि

शिशु जब वियोग व्यग्रता से गुज़र रहा हो तब उसे बिना बताए कहीं चले जाना एक आसान हल प्रतीत होता है। लेकिन ऐसा गलती से भी न करें। इससे वियोग व्यग्रता को और बढ़ावा मिलेगा। यदि शिशु को लगा कि आप किसी भी समय गायब हो सकते हैं तो वह आपको कभी नही छोड़ेगा। इससे अच्छा है कि शिशु को हमेशा अल्विदा कह कर विदा लें और उसको भरोसा दिलाएँ कि आप थोड़ी देर में आ जाएँगे। ध्यान रहे कि अल्विदा प्यार भरा लेकिन संक्षिप्त हो। फिर देखिए शिशु कैसे वियोग व्यग्रता से आपसे भी जल्दी उबर आएगा।
९ अप्रैल २०१२

१४- किताबों में रुचि-

इस उम्र में शिशु की रुचि किताबों में जागृत करें। शिशु के लिए मोटे गत्ते वाली किताबें खरीदें जिनके पन्ने वह आसानी से पलट सके। ऐसी किताबें लें जिनमें बड़े, रंगीन और साफ़ चित्र बने हों। कहानी सुनाते समय शिशु से सवाल पूछते रहें जैसे 'क्या तुम बता सकते हो कि कुत्ता कहाँ है?' या 'कुत्ता क्या कह रहा है?' या 'लड़के की माँ कहाँ है? ऐसे प्रश्न पूछते रहने से बच्चे की रुचि बनी रहेगी और वह बार-बार कहानी सुनने की ज़िद्द करेगा। यदि शिशु का एक किताब से ध्यान हटने लगे तो दूसरी किताब आज़माकर देखें। सोने का समय शिशु को कहानी सुनाने के लिए अति उत्तम रहता है।

२ अप्रैल २०१२

१३- सोते समय दूध की बोतल

बच्चे यदि सोते समय दूध की बोतल मूँह में लेकर सोएँगे या फिर दूध या जूस बहुत देर तक बोतल में लेकर पीते रहेंगे तो इससे उनके दाँत सड़ सकते हैं। यदि शिशु सोते समय बोतल छोड़ने को तैयार नही है तो उसे बोतल में दूध की जगह पानी भर कर दें ताकि उसे चूसने की संतुष्टि मिले और उसके दाँत भी खराब न हों। आप शुरुआत में एक आउन्स दूध और एक आउन्स पानी दे सकते हैं और फिर धीरे-धीरे पानी की मात्रा बढ़ा दें।
२६ मार्च २०१२

१२- फैलावा और सफाई

बच्चे इस उम्र में बहुत ज़्यादा फैलावा मचाते हैं। एक खिलौने से उनका मन बहहुत जल्दी भर जाता है और उन्हे नया खिलौना चाहिए होता है। देखते ही देखते पूरा कमरा खिलौनों से भर जाता है। इस फैलावे से बचने के लिए आप कमरे में खेलने की एक खास जगह (प्ले एरिया) बना सकते हैं। उसको ढेर सारे तरह-तरह के खिलौनों से भर दें। या फिर हर कमरे में एक लौन्ड्री बैग या प्लास्टिक के खिलौने रखने वाले बड़े डब्बे रखें। इससे आप कमरा काफ़ी कम समय में साफ़ कर पाएँगे।
१९ मार्च २०१२

११- सर्दी ज़ुकाम

सर्दी ज़ुकाम यदि शिशु को हो जाए तो यह आपके और शिशु दोनो के लिए काफ़ी परेशानी की बात हो सकती है। ऐसे में उसे काऊँटर पर मिलने वाली दवाइयाँ खरीद कर न दें। यह इस उम्र में खाँसी और बहती नाक आदि में ज़्यादा असरदार नही होती और इनके हानिकारक प्रभाव भी हो सकते हैं। इसके बजाए एक एयर-ह्यूमिडिफ़ायर शिशु के लिए साँस लेना आसान बना देता है। वेपोराईज़र में मिलाई गई कुछ बून्द मेन्थॉल, यूकलिप्टस, या पाईन तेल भी यही काम करेंगे। आप शिशु को हल्की, थंडी की हुई केमोमाईल चाए दे सकते हैं। तरल पदार्थ जैसे गरम सूप, पानी आदि शिशु को आराम पहुँचाएँगे और उसके शरीर में पानी की कमी नही होने देंगे।
१२ मार्च २०१२

१०- अचानक डर

आपको लगेगा कि शिशु अचानक उन चीज़ों से डरने लगा है जिनसे वह पहले नही डरता था जैसे वैक्यूम क्लीनर, या घर का पालतू कुत्ता। यहाँ तक कि शिशु को अब बाथ-टब भी एक डरावनी जगह लगने लगी है। इस मुश्किल से निपटने के लिए शिशु से जबरदस्ती करने की बजाय, उसे कुछ दिन स्पंज-बाथ दे कर देखें। कुछ दिन उसके बालो में शैम्पू भी न करें। उसको बिना पानी के टब में बिठाकर स्पंज-बाथ दें। थोड़े दिनों में अपने आप उसका डर निकल जाएगा फिर आप उसे सामान्य तरीके से स्नान दे सकते हैं।
५ मार्च २०१२

९- सब कुछ अपने हाथ से

शिशु इस उम्र में अपने आप खाना खाने की ज़िद करेगा। वह खाने को अपने हाथों से छुएगा, नीचे फेकेगा, हाथों से मासलेगा। उसको खाने को हर तरह से महसूस करने दें। अपनी सुविधा के लिए आप उसकी ऊँची कुर्सी के नीचे एक आसानी से धोई जा सकने वाली चटाई नुमा चीज़ जैसे एक पोराना नहाने वाला पर्दा बिछा सकते हैं। इससे नीचे की ज़मीन या कालीन गंदा नही होगा। आप भी खुश और आपका नन्हा मुन्ना भी।
२७ फरवरी २०१२

८- वियोग व्यग्रता

वियोग की व्यग्रता शिशु के पहले वर्ष में अपनी चरम सीमा पर होती है। यदि शिशु को परिचित लोगों या रिशतेदारों के पास छोड़ें तब भी वह विचलित हो उठेगा। इस व्यग्रता को कम करने के लिए शिशु से हर बार एक ही तरीके से और संक्षिप्त विदा लें। चिंता ना करें आपके जाने के पाँच मिनट बाद शिशु ठीक हो जाएगा। तथा विकास के सभी सामान्य चरणों की तरह यह भी निकल जाएगा। 
२० फरवरी २०१२

७- सामाजिक कौशल का विकास

आपका शिशु सामाजिक हो या एकांतप्रिय, कुछ खेल शिशु के सामाजिक कौशल को विकसित करते हैं। छुप्पा-छुप्पी के खेल में शिशु खिलखिलाकर हँस उठेगा। चीज़ें अपने पालने से नीचे फेंकना और फिर आपको उन्हें उठाके लौटाते हुए देखना - यह आदान प्रदान शिशु को सिखाता है कि दूसरों से कैसे व्यवहार किया जाता है। शिशु के अच्छे व्यवहार पर ताली बजाकर आप उसको प्रोत्साहित कर सकते हैं। शिशु आपके ध्यान को सराहेगा। हर खेल खेलते समय ध्यान रखें कि शिशु को यह न बताएँ कि यह असुरक्षित है, कठिन है क्यों कि शिशु अभी उस समझ के लिये तैयार नहीं है। उसे केवल यह बताएँ कि देखों यह भी आसान है। जो चीज़ शिशु के लिये असुरक्षित है उसे स्वयं उससे दूर कर दें। जो चीज़ उसके लिये बहुत कठिन है उसके लिये बार बार प्रेरित कर के उसे असफलता में न डालें।
१३ फरवरी २०१२

६- शिशु के साथ यात्रा

यदि आप शिशु के साथ कहीं जा रहे हैं या यात्रा करने वाले हैं तो आपके लिए एक ही सलाह हैः 'तैयार रहें!' कुछ ज़रूरी वस्तुएँ शिशु के डाईपर-बैग में यात्रा के समय हमेशा रखें - आसानी से खाए जा सकने वाले ढेर सारे स्नैक्स जैसे नम्कीन मीठे बिस्कुट, चीज़लिंक्स आदि, दूध, पानी, डाईपर, वाइप्स, ठंडे मौसम में एक स्वैटर, दो जोड़ी साफ़ कपड़े (हो सकता है कभी शिशु के डाईपर से, या उल्टी होने के कारण पकड़े गन्दे हो जाएँ), आपके लिए एक जोड़ी कपड़े, आराम देनेवाली वस्तुएँ जैसे शिशु का कम्बल या कोई खिलौना, और शिशु का ध्यान बाँटने के लिए कई चीज़ें जैसे गत्ते की किताबें, छोटे खिलौने आदि।
६ फरवरी २०१२

५- भूख में कमी-

आश्चर्यचकित न हों यदि आपके खाते-पीते शिशु की भूख अचानक से घट गई है। इस उम्र के बच्चों के लिए कम खाना और अपनी पसंदीदा गिनी-चुनी चीज़ें खाना सामान्य बात है। ज़ाहिर है यह आपको अजीब लगेगा। लेकिन क्योंकि शिशु अब उतनी तेज़ी से नही बढ़ रहा है जितना अपने पहले साल में बढ़ रहा था इसलिए उसे कम खाने की आवश्यकता है। आप यह तो नियन्त्रित नही कर सकते कि शिशु कितना खाए लेकिन वह क्या खाए यह आपके हाथ में है। उसे चुनाव के लिए पौष्टिक खाना ही दें।
३० जनवरी २०१२

४. भाषा के साथ सहयोग

शिशु अब ऐसी भाषा बोलने लगा है जिसे काफी हद तक समझा जा सकता है। उसके एक शब्द के कई मतलब होते हैं। जिन शिशुओं को सांकेतिक भाषा आती है वे उसमें माहिर हो गए हैं। कुल मिलाकर शिशु का भाषा विकास तेज़ी से हो रहा है। माता पिता का कर्तव्य बनता है कि वे दैनिक आधार पर शिशु के साथ महत्त्वपूर्ण बातचीत बनाए रखकर शिशु के विकास में मददगार साबित हों। शिशु के साथ बातें करने, खेलने, किताबें पढ़ने, गाना गाने से शिशु के मानसिक, भावनात्मक, और सामाजिक विकास में और सुधार आएगा।
२३ जनवरी २०१२

३. दूध में बदलाव

अधिकतर शिशु छह माह के बाद डिब्बाबंद दूध को अपने आहार में शामिल कर चुके होते हैं। एक साल पूरा होने पर शिशु के आहार में गाय का ताज़ा दूध या डेरी का दूध शामिल करने की सलाह दी जाती है। यह परिवर्तन एकदम से करने के बजाए धीरे-धीरे करें तो श्रेयस्कर होगा। जैसे एक हिस्सा गाय का दूध और तीन हिस्सा वह डिब्बाबंद दूध जो शिशु आम तौर पर पीता है। फिर धीरे-धीरे गाय के दूध की मात्रा बढ़ाती जाएँ।

१६ जनवरी २०१२

२. दाँतो की देखभाल

पहले साल से ही शिशु को अपने दाँतों की देखभाल करना सिखाना आवश्यक है। दो साल की उम्र तक टूथ-पेस्ट का दैनिक प्रयोग आवश्यक नहीं है। आप साफ़ मुलायम हल्के गीले कपड़े से दाँत साफ़ कर सकते हैं। जब आप यह कर रहे हों तो एक टूथ-ब्रश शिशु के हाथ में भी पकड़ा दें ताकि उसका ध्यान बँटा रहे।
९ जनवरी २९१२

१- बेबी वाकर हाँ या ना

शिशु आने वाले कुछ हफ़्तो में अपने पैरों पर चलने लगेगा। ऐसे समय में हन्हें वॉकर में न रखें। यह उन्हे चलने के लिए हतोत्साहित करता है। इतना ही नही, शिशु इसमें बैठ के सीढ़ियों के पास जा सकता है, या कोई हल्का रैक अपनी ओर खींच सकता है जिससे सारा समान उसके ऊपर गिर सकता है। इसलिए अमरीकन अकादमी ओफ़ पीडिएट्रिक्स सलाह देते हैं कि वॉकर शिशु के लिए सुरक्षित नहीं होते। इन दिनों शिशु को घर के अंदर नंगे पैर, मोज़ों के साथ, या फिर मुलायम तल्ले वाले बच्चों के लिए खास बने जूते पहनने चाहिये। जब बाहर जाएँ तब असली जूते पहनाए जा सकते हैं।
२ जनवरी २९१२

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