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परिक्रमा दिल्ली दरबार

सीमा पर सेनाएँ
 

भारत के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में महीनों की जेद्दोजहद के बाद बनी गठ़बन्धन सरकार अभी अपना पाँव भी जमा नहीं पायी थी कि कालूचक में सैनिक शिविर पर हुये एक और आतंकी हमले से भारत की केन्द्रीय सरकार की आत्मा चीत्कार कर उठी भारत के पास अब दूसरा कोई विकल्प नहीं रह गया था, सिवाय इसके कि इस बात का अब करारा और निर्णायक जवाब दिया जाय।

राजनीतिक हल्कों में यह कयास लगाया जाने लगा कि भारत और पाकिस्तान के मध्य युद्ध ही निरन्तर आतंकी गतिविधि का प्रतिकार होगा।

भारत सरकार ने दुनिया भर के देशों को अपनी भावना से अवगत करा दिया कि अब उसके संयम के टूटे जाने का अंदेशा गम्भीर हो गया है वहीं पाकिस्तान अपने भाड़े की तकनीक वाले मिसाइलों से परमाणु हमले की धमकी भरा बयान जारी कर रहा है।

भारत और पाकिस्तान की सीमा पर सैनिकों की हलचल शुरू हो गयी आज दोनों देशों की सेनाएं आमने सामने है, और सीमा पर युद्ध जैसी स्थिति है दोनो ओर से छिटपुट अघोषित युद्ध चल रहा है।

पाकिस्तान की सैन्य क्षमता भारत के मुकाबले काफी कमजोर है, पारम्पारिक युद्ध में पाकिस्तान भारत के सामने कहीं नहीं टिकता, इसलिए इस बात की प्रबल आशंका है कि पाकिस्तान पराजित होने की दशा में अपनी खीज मिटाने के लिये परमाणु हमला भी कर सकता है इसी वजह से ताकतवर होने के बावजूद भी भारत सीधे युद्ध से हिचक रहा है।

इस बार भारत ने पहल करते हुये कश्मीर में तैनात सभी अर्धसैनिक बलों की कमान सेना को सौंप दी अनुमान के मुताबिक इस समय कश्मीर से जुड़ी हुयी सीमा पर भारतीय सैनिकों की संख्या लगभग ७ लाख तक पहुँच गयी दूसरी तरफ पाकिस्तान ने भारत के इस कदम के जवाब में अफगानिस्तान सीमा पर तैनात सैनिकों को वापस बुला कर भारतीय सीमा पर एकत्र करना शुरू कर दिया फिर भी पाक सैनिकों की संख्या भारत से आधी है।

भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान सुखोई एस यू–३० एम के आई के अतिरिक्त निगरानी के लिये आई एफ एम आई–१७ तैनात कर दिये गये हैं।

पाकिस्तान की वायुसेना ने एफ–१६, एफ–७ पी जी को तैनात किया है जो भारतीय लड़ाकू विमानों की तुलना में काफी कमजोर साबित हो चुके हैं अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर दोनों देशों की वायुसेना के लड़ाकू और टोही विमान उड़ाने भर रहे हैं भारत के पास कुल १२लाख सैन्य बल के मुकाबले पाकिस्तान के पास ५.५ लाख सैनिक है टैकों की संख्या भी इसी अनुपात में है भारत के ३५०० टैकों के सामने पाकिस्तान के पास २२८५ टैंक हैं।

मोर्टार या राकेट लांचर जैसे हथियारों की संख्या भारत में ४१७६ है, वहीं पाकिस्तान के पास इस तरह के हथियारों की संख्या १४१७ है।

  भारतीय विशाल वायुसेना में १,५०,००० सैनिक हैं जबकि पाकिस्तान के पास ४०,००० सैनिकों की टोली है लड़ाकू विमानों का अनुपात भी कुछ ऐसा ही है, ७३० भारतीय लड़ाकू विमानों के समक्ष ३५८ पाकिस्तानी विमानों का समूह। इसके अतिरिक्त भारत के पास हमले के लिये इस्तेमाल होने वाले ३२ हैलिकाप्टरों का विशेष दस्ता है जबकि पाकिस्तान के पास इसका कोई जवाब नहीं है

नौसैनिकों के क्षेत्र में भी पाकिस्तान भारत से काफी पीछे दिखाई देता है, उसके २२,००० नौसैनिकों की तुलना में ५५००० भारतीय नौसैनिकों दल के साथ लड़ाकू विमानों को समूह में लेकर चलने वाला एक विशाल जलपोत है भारत की १९ पनडुब्बियों की तुलना में पाकिस्तान के पास १० पनडुब्बियाँ हैं।

भारत और पाकिस्तान की सैन्य शक्ति के तुलनात्मक समीक्षा से यह सर्वविदित होता है कि पारम्परिक युद्ध में भारत का पक्ष अत्यंत सबल है।

दुर्भाग्यवश यदि परमाणु हथियारों के इस्तेमाल हुये तो दोनों देशों में भारी तबाही फैल सकती है वैसे मिसाइलों के मोर्चे पर भारत के मुकाबले में पाकिस्तानी मिसाइले काफी कमजोर हैं भारत के पास १००–१५० परमाणु बमों का ज़खीरा है वहीं पाकिस्तान अपने २५ –५० परमाणु बमों की वजह से हर समय परमाणु हमले की धमकी देता रहता है एफ–१६ की मदद से पाकिस्तान २० परमाणु बम दाग सकता है इसके अतिरिक्त उसके पास चार मिसाइलें है, जिसमें शाहीन–१की क्षमता ६०० कि•मी• तक, गोरी–१ की १५०० कि•मी•, गोरी–२ की क्षमता २३०० कि•मी• के अलावा पाकिस्तान की सबसे शक्तिशाली मिसाइल शाहीन–२के द्वारा २५०० कि•मी• तक मार कर सकने की क्षमता है।

भारत के पास भी चार मिसाइलें हैं जिसमें पृथ्वी–एस–१५० और पृथ्वी–एस–२५० में दोनों क्रमशः १५० और २०० कि.मी. तक दाग सकती है अग्नि–१की मारक क्षमता २५०० कि.मी. तक है, वहीं अग्नि–२३००० कि.मी. तक सक्षम है कारगिल युद्ध के समय से अग्नि–१को भारतीय सेना में शामिल कर लिया गया है।

भारतीय सैन्य बल के सामने पाकिस्तान सेना एवं सैन्य साजो–सामान नगण्य है, किन्तु आधुनिक युद्ध तकनीक ने पारम्परिक युद्ध पद्धति को काफी पीछे ढकेल दिया है गुरिल्ला युद्ध, आत्मघाती दस्ते, जीवाणु हथियार और अन्य छोटे, सस्ते व तकनीकी साधनों द्वारा मानसिक दबाव बनाते हुए पीठ में तलवार भोंकने की वारदातें अमरीका जैसे विशाल राष्ट्र को भी हिला चुकी हैं।

 'बन्दर के हाथ तलवार' कहीं क्रूर इतिहास की पुनरावृत्ति न कर दे इस मानवी वेदना के ताप से प्रभावित भारतीय सरकार आक्रामक रूख अपनाने से हिचक रही है और अभी भी संयम के साथ राजनैतिक और कूटनीतिक प्रयास में संलिप्त है।

अलमाटी शिखर सम्मेलन में भारतीय रूख को मान्यता मिली, सभी देशों ने पाकिस्तान की आंतकी गतिविधियों की भर्त्सना की और पाकिस्तान सरकार ने आतंकी क्रिया कलापों पर रोक लगाने का वादा भी किया है।

आतंकवाद जैसा अमानवीय कृत्य कहीं भी, कभी भी और किसी के भी द्वारा किया जाय वह हर रूप में बर्बर है आज तर्क की लड़ाई में व्यस्त पाकिस्तान विश्व समुदाय का गहरा दबाव तो झेल रहा है लेकिन कश्मीर की सीमाएं आतंकवाद से कब मुक्त होंगी यह केवल समय और घटनाचक्र ही बता सकता है।

— बृजेश कुमार शुक्ल

 
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