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फुलवारी
  

सितारों का संसार

सूरज

 

प्रिय दोस्तों,

आओ आज सूरज के बारे में बातें करें। सूरज हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। वह हमें रौशनी और गर्मी देता है जिससे यह धरती, रहने के लिए एक सुखद और रौशन जगह बनती हैं।

सूरज के बिना धरती बिल्कुल ठंडी और अंधेरी होती। यहाँ कोई पशु-पक्षी और पेड़-पौधे नहीं होते क्यों कि पेड़-पौधों को अपना खान बनाने के लिए सूरज की रोशनी की जरूरत होती है और जानवर पौधे खाते हैं या दूसरे जानवरों को खाते हैं जो कि पौधे खाते हैं। मतलब यह कि सूरज के बिना पौधे जिन्दा नहीं रह सकते और पौधों के बिना जानवर जी नहीं सकते।

सूरज देखने में इतना बड़ा नहीं लगता क्यों कि वह धरती से बहुत दूर है। सूरज की धरती से दूरी लगभग १४,९६,००,००० किलोमीटर या नौ सौ तीस लाख (९,२९,६०,००० ) मील है। यह आकार में आठ सौं पैंसठ हजार (८६५०००) मील चौड़ा है। यह इतना बड़ा है कि इसमें दस लाख (१००००००) से भी ज्यादा पृथ्वी समा सकती हैं। सूर्य की सतह का निर्माण हाइड्रोजन, हिलियम, लोहा, निकेल, ऑक्सीजन, सिलिकन, सल्फर, मैग्निसियम, कार्बन, नियोन, कैल्सियम, क्रोमियम तत्वों से हुआ है।

सूरज धरती और दूसरे ग्रहों से बहुत अलग हैं। यह एक सितारा हैं, ठीक दूसरे सितारों की तरह, लेकिन उन सबसे बहुत करीब। सूरज हाइड्रोजन और हीलियम नामक बहुत ही गरम गैसों की एक गेंद हैं। इसकी सतह पर इसका तापमान पाँच हजार पाँच सौ (५५००) डिग्री सेलसियस है लेकिन इसके मध्य में तापमान एक सौ पचास लाख (१५००००००) डिग्री सेलसियस होता है। सूरज अपने मध्य में ही उर्जा उत्पन्न करता है जिससे वह पूरी पृथ्वी को चमकदार रोशनी देता है।

दोस्तों क्या तुम्हें पता है कि सूर्य ग्रहण किसे कहते हैं और वह कैसे होता है? पृथ्वी सूरज की परिक्रमा करती है और चाँद पृथ्वी की। कभी-कभी चाँद, सूरज और धरती के बीच आ जाता है। फिर वह सूरज की कुछ या सारी रोशनी रोक लेता है जिससे धरती पर साया फैल जाता है। इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।

अक्सर चाँद, सूरज के सिर्फ कुछ हिस्से को ही ढ़कता है। यह स्थिति खण्ड-ग्रहण कहलाती है। कभी-कभी ही ऐसा होता है कि चाँद सूरज को पूरी तरह ढँक लेता है। इसे पूर्ण-ग्रहण कहते हैं। पूर्ण-ग्रहण धरती के बहुत कम क्षेत्र में ही देखा जा सकता है। ज्यादा से ज्यादा दो सौ पचास (२५०) किलोमीटर के सम्पर्क में। इस क्षेत्र के बाहर केवल खंड-ग्रहण दिखाई देता है।

पूर्ण-ग्रहण के समय चाँद को सूरज के सामने से गुजरने में दो घंटे लगते हैं। चाँद सूरज को पूरी तरह से, ज्यादा से ज्यादा, सात मिनट तक ढँकता है। इन कुछ क्षणों के लिए आसमान में अंधेरा हो जाता है, या यूँ कहें कि दिन में रात हो जाती है।

सोचो कितना रोमांचक अनुभव होता होगा सूर्य ग्रहण देखना। क्या तुमने कभी सूर्य-ग्रहण देखा हैं? अगर हाँ, तो मुझे इसके बारे में अपना अनुभव लिखकर जरूर बताना। पता ऊपर है ही।

अगले अंक में मैं तुम्हें बुध ग्रह के बारे में बताऊँगी।

तब तक अपना ख्याल रखना,
तुम्हारी,
गुल्लू दीदी

१ सितंबर २००२

 

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