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फुलवारी

<                           पुस्तकालय                        >

चीनू और मीनू पुस्तकालय पहुँचे। पुस्तकालय में वे किताबें पढ़ते हैं।
वहाँ ढेर सी किताबें हैं। मीनू को कहानियों की किताबें पसंद है। चीनू को जानकारी की बातों वाली। कभी कभी वे पुस्तकालय से कुछ किताबें घर ले आते हैं। उन्हें पढ़कर वापस कर देते हैं। वापस करने पर फिर से नई किताबें मिल जाती हैं।

तुम्हें कितनी किताबें पसंद हैं मीनू, चीनू ने पूछा।
पसंद तो बहुत सी हैं लेकिन आज मैं दो किताबें घर ले जाऊँगी। जब ये पढ़ लूँगी तब दूसरी लूँगी।

मुझे भी बहुत सी किताबें पसंद हैं चीनू ने कहा। मैं तो अपनी पसंद की सब किताबें घर ले जाऊँगा।
इतनी सारी किताबें घर ले जाओगे ? मीनू ने आश्चर्य से पूछा, कितनी हैं ये। फिर उसने उन्हें गिना। ये तो बारह हैं। बारह किताबें ? इतनी किताबें एक दिन में कैसे पढ़ पाओगे?
मैं एक किताब रोज पढूँगा चीनू ने कहा।
अच्छा ठीक से संभालकर पकड़ना नहीं तो वे सब गिर जाएँगी।
ओ.. ओ.. ओ... लो, एक किताब तो गिर पड़ी।

- पूर्णिमा वर्मन

२९ अक्तूबर २०१२

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