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-पूर्णिमा वर्मन
१ अगस्त २००२

   तारा टूटा

दूर कहीं एक तारा टूटा
क्या जाने वो किसने लूटा

छत पर कहीं नहीं था भाई
नहीं सड़क पर पड़ा दिखाई

काश कहीं अगर मिल जाता
अलमारी में उसे सजाता

जगमग जगमग करता रहता
सुबह शाम मैं देखा करता
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