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कार्यशाला में लिखे गए हाइकु

ये हाइकु नवागत रचनाकारों द्वारा लिखे गए हैं इसलिए संभावना है कि अनेक हाइकु शास्त्र की दृष्टि से सही न हों।

1- आनन्द उपाध्याय

हल समस्या
दो रूप जीवन के
जियें खुल के।

रोज़ सुबह
भागे ज़िन्दगी तेज़
मैं पीछे पीछे।

स्वयं उभर
गहरे अंधेरों से
जैसे सूरज।

व्यंग बाण है
जीवन निशाना है
हास्य ढाल है।

संघर्ष कर
जीवन कहती है
आगे बढ़ना।

अंधेरा कटे
उजियारों में उठे
अंधे के स्वप्न।

रूई का बोझ
जिंदगी ढोते हम
फिर भी जियें।

मां की गोद में
रात हिलोरे लेती
गोद में स्वर्ग।

ढूंढे खुदा को
कण कण में खंगाले
स्वयं में झांके।

10- मोहम्मद अली

जीवना माना
अपना था मगर
पराया लगा।

लौ भड़की थी
बर्फ के जंगल में
तुम मिले थे।

मन भारी है
अबके सावन क्यों?
पिया परदेस।

झरते पत्ते
इठलाते झरने
साथ चले हैं।

जब जब मैं
यादों का हाथ थामूं
खुद को भूलूं।

सरके रेत
बेबस बंद मुट्ठी
कन्यादान।

11-बैरिल डिसूज़ा
बाढ़ या सूखा
दोनों में कठिन है
सुखी रहना

2- अर्बुदा ओहरी

मन समझे
शब्दों के हेर फेर
सुर, संगीत।
 
मां की आंखों में
कोंपल सा कोमल
बालक प्यारा।
 
प्रीत संवारे
पेड़ के कोटर में
निर्मित नीड़।
 
नदिया बहे
बूंद बूंद पानी ले
अस्तित्त्व थामे।
 
जीवन सारा
खिले चेहरों पर
खेल तमाशा।
 

 

5- डा शैलेष उपाध्याय
 
कैसे कह दें
विश्व आज़ाद है
सलिक* है ना। 
 
नये चुनाव
राष्ट्रपति कह लें
कि राष्ट्रपत्नि।
 
वर्षा रानी ने
बना दी नदियां
गाँव खेतों को।
 
यह पेट है
सिर्फ रोटी पानी से
नहीं भरता।
 
बूंद खून का
पसीना टपके तो
फल मिलेगा।
 
कैसे कहूं जी
सब ठीक है जब
मन भूखा हो।
 
इस उम्र में
कुछ भी कहो पर
आंटी न कहो।

 

हेमंत ठाकुर
 
घबराना ना
हर रात के बाद
सवेरा होगा।
 
नकारे कौन
गुलाब नहीं होता
बिन कांटों का।

3- आरिफ
सब ही धर्म
सीमाओं में बंद हैं
मन असीम।
 
अच्छे कर्म क्या
बातों में क्या पड़ना
अच्छे बनिये।
 
मैं ने लिखा है
पहली बार सीखा है
प्यार धर्म है।
 
कैसा प्यार है
हर दिल में दिमाग़
ये है प्यार।


 
8-प्रकाश सोनी
 
झूलता पुल
चमचमाती कारें
कैसी ये दौड़।
 
गांव से दूर
शहर में आबाद
कैसा समाज।
 
कैसे समेटूं
अथाह भावना को
कम शब्दों में।

 

4- डॉली कुमार
रिश्ता टूटा
ब्याह के बाद
बाबुल छूटा।
 
रक्षाबंधन
रेशम का धागा
रोली चंदन।
 
दो मीठे बोल
यही काम आयेगा
आँखें खोल।

 
 
7- अज़ीम
 
सपने बुने
हक़ीकत खुली तो
सपने टूटे।


 
9- सुनीता नरेन्द्र सिंह
जीवन सारा
कोई खेल नहीं था
पाया तुमको।

तुमको जिया
जिया यूँ ही जिया
आवारा बन।

24 अगस्त 2007


* सलिक संयुक्त अरब इमारात में एक विशेष प्रकार का सड़क-कर है जो विशेष सड़कों से कार के गुज़रते ही स्वचालित रुप से वाहन-मालिक के खाते में से काट लिया जाता है।

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