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कमला गोइन्का न्यास द्वारा पुरस्कारों की घोषणा

प्रेम जनमेजय

डॉ. सूर्यबाला

डॉ. नरेन्द्र कोहली

कमला गोइन्का फाउंडेशन द्वारा स्थापित 'स्नेहलता गोइन्का व्यंग्यभूषण पुरस्कार - २००८' सुप्रसिद्ध श्री प्रेम जनमेजय को हिंदी व्यंग्य विधा में उनके समग्र योगदान व उनकी पुस्तक 'डूबते सूरज का इश्क' के लिए दिया जा रहा है। महिला रचनाकारों के लिए स्थापित 'रत्नीदेवी गोइन्का वाग्देवी पुरस्कार - २००८' सुप्रसिद्ध लेखिका श्रीमती डॉ. सूर्यबाला को उनके हिंदी साहित्य में समग्र योगदान व उनकी पुस्तक 'इक्कीस कहानियाँ' के लिए दिया जा रहा है।

फाउंडेशन के प्रबंध न्यासी श्री श्यामसुंदर गोइन्का ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बतलाया कि एक विशेष समारोह में श्री प्रेम जनमेजय को एक लाख रुपए नगद व श्रीमती डॉ. सूर्यबाला को इकत्तीस हज़ार रुपए नगद के साथ ही शाल, श्रीफल, स्मृति चिन्ह व पुष्पगुच्छ प्रदान कर सम्मानित किया जाएगा। श्री. श्यामसुंदर गोइन्का ने बताया कि इस वर्ष का 'गोइन्का व्यंग्य साहित्य सारस्वत सम्मान' वरिष्ठ व्यंग्यकार श्री नरेंद्र कोहली को प्रदान किया जाएगा।


कृष्ण कुमार यादव के क्रान्ति-यज्ञ : १८५७-१९४७ की गाथा का विमोचन
युवा लेखक एवं भारतीय डाक सेवा के अधिकारी श्री कृष्ण कुमार यादव के कुशल संपादन में जारी पुस्तक ''क्रान्ति-यज्ञ : १८५७-१९४७ की गाथा'' का विमोचन 'क्रान्ति दिवस' (९ अगस्त २००८) पर कानपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री, भारत सरकार एवं श्री श्रीप्रकाश जायसवाल, गृह राज्य मंत्री, भारत सरकार के कर-कमलों द्वारा हुआ। इस अवसर पर पुस्तक का विमोचन करते हुए श्री सिंधिया ने कहा कि जाति-धर्म के भेदभाव भूल सभी लोग विशेषकर नौजवान आगे आएँ और प्रगति व विकास के लिए कार्य करें, यही 'क्रान्ति-यज्ञ' में हमारी आहुति होगी। स्वतंत्रता संग्राम का महासमर जिन सिद्धांतों को लेकर लड़ा गया था, आज वे लुप्त से हो गये हैं, ऐसे में जरूरत है कि विभिन्न क्षेत्रों में युवा ऐसे समाज व राष्ट्र की स्थापना के लिए प्रतिबद्ध हों जिसका सपना हमारे शहीदों, क्रांतिकारियों और राष्ट्र को आजादी दिलाने वाले महापुरुषों ने देखा था। श्री सिंधिया ने जोर देकर कहा कि राजनैतिक स्वतंत्रता के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक स्वतंत्रता भी हमारा ध्येय होना चाहिए।

इस अवसर पर भारत सरकार के गृह राज्य मंत्री श्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने 'क्रान्ति-यज्ञ' के संपादक श्री कृष्ण कुमार यादव को बधाई देते हुए कहा कि 'क्रान्ति-यज्ञ' एक पुस्तक मात्र नहीं बल्कि अपने आप में एक शोध-ग्रंथ है क्योंकि इसमें वर्णित ऐतिहासिक तथ्यों को पढ़कर यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि इन्हें संग्रह करने में संपादक को पूर्ण रूप से एक शोध कार्य करना पड़ा होगा। श्री जायसवाल ने कहा कि 'क्रान्ति-यज्ञ' पुस्तक १८५७-१९४७ तक की ऐतिहासिक घटनाओं को जोड़ते हुए जनमानस को बहूपयोगी एवं दुर्लभ तथ्यों से अवगत कराने में सफल होगी। श्री जायसवाल ने सेनानियों के ऋण से कभी मुक्त न होने की भावना भी प्रकट की।

'क्रान्ति-यज्ञ' के संपादक श्री कृष्ण कुमार यादव ने माना कि आजादी के दीवानों का लक्ष्य सिर्फ अंग्रेजों की पराधीनता से मुक्ति पाना नहीं था, बल्कि वे आजादी को समग्र रूप में देखना चाहते थे। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इस बात की आवश्यकता है कि राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन के तमाम छुए-अनछुए पहलुओं को व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखा जाए और औपनिवेशिक पूर्वाग्रहों को खत्म किया जाय। श्री यादव ने इतिहास को पाठ्यपुस्तकों से निकालकर लोकाचार से जोड़ने पर ज़ोर दिया। 'मानस संगम' द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक के प्रकाशक एवं राष्ट्रभाषा प्रचार समिति उ०प्र० के संयोजक डॉ० बद्रीनारायण तिवारी ने इस अवसर पर मंत्रीद्वय को स्मृति चिह्न भेंट करते हुए कहा कि हमारा प्रयास होगा कि 'क्रान्ति-यज्ञ' रूपी शोध ग्रन्थ को देश-विदेश की तमाम महत्वपूर्ण हस्तियों, पुस्तकालयों, विद्यार्थियों, शोधार्थियों एवं जन सामान्य तक पहुँचाया जाय।

कार्यक्रम के अन्त में श्री सिंधिया और श्री जायसवाल ने २८ स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और १६० उत्तराधिकारियों का अभिनंदन व सम्मान करते हुए युवा पीढ़ी को इनसे प्रेरणा लेने को कहा। कार्यक्रम में श्री अजय कपूर, विधायक, श्री संजीव दरियाबादी, विधायक, श्री महेश दीक्षित, स्वतंत्रता सेनानी व उत्तराधिकारी संगठन के अध्यक्ष डॉ० रमेश निगम, श्री मुकुल नारायण तिवारी, श्री अभिनव तिवारी, श्री भूधर नारायण मिश्र, श्री निजामुद्दीन, श्री इकबाल अहमद सहित तमाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, समाजसेवी, साहित्यकार व गणमान्य जन उपस्थित थे।

डॉ० बद्रीनारायण तिवारी, संयोजक- राष्ट्रभाषा प्रचार समिति उ०प्र०, 'मानस संगम', शिवाला, कानपुर-२०८००१

पंचम' द्वारा संगीत संध्या का आयोजन-

पारस्परिक प्रेम और घर-परिवार की ख़ुशियों को समर्पित 'तीज उत्सव' के उपलक्ष्य में मुम्बई महानगर की प्रमुख संस्था 'पंचम' ने महालक्ष्मी रेसकोर्स स्थित नेशनल स्पोर्ट क्लब आफ इंडिया के सभागार में 'आया सावन झूम के' संगीत संध्या का आयोजन किया। प्रमुख अतिथि विश्व सुंदरी युक्तामुखी और सांसद जयंतीबेन मेहता का स्वागत यूं तो सुर्ख़ लिबास में सुसज्जित संस्था की उपाध्यक्ष नीरा जैन ने पुष्पगुच्छ से किया। इस आयोजन में मणिपुरी गायिका लाइश्राम मेमा ने राजस्थानी लोकगीत " म्हारी घूमर छे नखराली " तथा " मोरियो आछ्यो बोल्यो रे ढलती रात मां " सुनाकर मुम्बई के मंच पर राजस्थान कॊ साकार कर दिया । एनडी टीवी इमैजिन के रियल्टी शो 'जुनून' की फ़ोक सिंगर कल्पना और मालिनी ने जब मिर्ज़ापुरी कजरी की तान छेडी तो पूरा सभागार मस्ती में झूमने लगा- "मीरजापुर कीन्हा गुलज़ार, कचौड़ी गली सून कीन्हीं बलमा"

गायिका इला अरुण की इन दोनों शिष्याओं ने " मोरनी बागा मां बोले आधी रात मां " गीत सुनाकर भी अद्भुत समां बाँधा। इस यादगार आयोजन की एक ख़ास बात यह भी थी उस दिन महिलाएँ स्वर्ण आभूषणों के बजाय फूलों के आभूषण पहनकर आईं थी। कार्यक्रम के उद्घोषक देवमणि पांडेय ने अपनी चुलबुली रचनाओं से सबका मन मोह लिया।
प्रस्तुति : श्रद्धा उपाध्याय, मुम्बई

२५ अगस्त २००८

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