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स्वाद और स्वास्थ्य

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बिना खर्च की औषधि है उपवास
-आकाश अग्रवाल


क्या आप जानते हैं?

  • आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रंथ ‘चरक संहिता’ से लेकर आज के विभिन्न चिकित्सीय शोधों ने भी उपवास के अनेक लाभ बताए हैं।
     

  • उपवास से पाचनतंत्र दुरूस्त रहता है जिससे शरीर में उपस्थित विषाक्त पदार्थों का निष्कासन आसानी से हो जाता है।
     
  • हर सप्ताह उपवास रखने से कोलेस्ट्राल की मात्रा घटने लगती है जो धमनियों के लिए लाभदायक है।

आज की दौड़ने-भागने वाली जिन्दगी, व्यस्त दिनचर्या, औरों से आगे बढ़ने में लीन मानव के शरीर को अनेक रोगों ने अपना घर बना रखा है। यद्यपि पहले की अपेक्षा चिकित्सा विज्ञान ने आज दिन दूनी-रात-चौगुनी उन्नति कर ली है किन्तु फिर भी रोगों की संख्या कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है।

सच तो यह है कि बीमारियों का मानव-शरीर पर हमला बोलने का मुख्य कारण उसका अनियमित खान-पान है। आज का बाजार फास्ट फूड से भरा हुआ है जो न तो पौष्टिक होता है और न ही स्वास्थ्यवर्धक। मानव ने क्षुधा शांत करने व स्वाद के चक्कर में साधारण एवं संतुलित भोजन करने की अपेक्षा ऐसे भोजन को प्राथमिकता दे रखी है। फलतः उसके निरन्तर सेवन से वह हर समय किसी न किसी गंभीर रोग से जकड़ा रहता है। आज के युग में रोगों से बचने एवं अपने खान-पान को नियमित एवं संतुलित रखने का सर्वोत्तम उपाय ‘उपवास’ है। आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रंथ ‘चरक संहिता’ से लेकर आज के विभिन्न चिकित्सीय शोधों ने भी उपवास के अनेक लाभ बताए हैं।

उपवास की भारतीय परंपरा-

सामान्यतः उपवास का अर्थ भोजन के त्याग से है किन्तु वास्तविक अर्थ किसी उद्देश्य आदि की पूर्ति हेतु एक निश्चित ईश्वर के प्रति आस्था प्रकट करने या रोगादि से मुक्ति पाना भी हो सकता है।

भारत एक धार्णिक देश है इसलिए यहाँ की संस्कृति में उपवास का अपना एक धार्मिक महत्व भी है। भारतीय मनीषियों ने शौर्य-बल प्राप्त करने, ईश्वर के प्रति अपनी आस्था प्रकट करने, धर्म को चरम पर पहुँचाने आदि कार्यों में उपवास का सदैव सहारा लिया है। शायद इसी कारण भारतीय मनीषी व साधु-संत लोग दीर्घायु एवं निरोगी रहते थे।

प्राचीनकाल से लेकर आज के विज्ञान युग में भी उपवास का महत्व कम नहीं हुआ है। आज भी खासकर महिलाएँ जन्माष्टमी, महाशिव रात्रि, करवाचौथ या सोमवार आदि अनेक अवसरों पर उपवास अवश्य रखती हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं उपवास रखने के कारण ज्यादा स्वस्थ रहती हैं।

उपवास की सलाह क्यों-

चरक संहिता से लेकर आज के शरीर विज्ञानी भी मानते हैं कि उपवास का चिकित्सीय महत्व भी है। उनका मानना है कि सप्ताह में कम से कम एक बार उपवास रखने से पाचन-तंत्र दुरूस्त रहता है। दरअसल भोजन को पचाने में पाचन-तंत्र को काफी मेहनत करनी पड़ती है। इस कारण उसे आराम करने का समय नहीं मिल पाता और पाचन क्रिया पड़ने लगती है। उससे भोजन पर्याप्त ढंग से नहीं पच पाता। फलतः अनेक व्याधियाँ जैसे कब्ज, अम्लपित्त, गैस बनना, मधुमेह, मोटापा आदि अन्य जन्म लेने लगती हैं। इन सबसे छुटकारा पाने के लिए शरीर विज्ञानी सप्ताह में एक बार उपवास रखने की सलाह देते हैं।

उपवास से लाभ :

उपवास रखने से प्राप्त होने वाले लाभों को दो भागों में बाँट सकते हैं जिनका तन व मन दोनों पर व्यापर प्रभाव पड़ता है।

धार्मिक दृष्टिकोण से लाभ : यदि पूर्ण विधि-विधान एवं निष्ठापूर्वक उपवास रखा जाए तो आरोग्यता तो बढ़ती ही है, आत्मबल व संकल्पशक्ति में भी वृद्धि होती है। मन में सात्विक एवं सकारात्मक विचार आते हैं। फलतः व्यक्ति अनेक मानसिक व्याधियों जैसे तनाव, अवसाद, हीनता आदि से मुक्त रहता है। सोचने-समझने की शक्ति व एकाग्रता बढ़ती है। निरुक्त नामक ग्रंथ में उपवास को ‘सत्कर्म’ एवं ‘सत्संकल्प’ की संज्ञा दी गयी है। कई विद्वानों ने इसे तपस्या का अंग एवं सुखी जीवन का रहस्य भी बताया है।

इसके अलावा उपवास के दिन व्यक्ति प्रायः गंभीरतापूर्वक नियम-धरम से चलता है। वह इस दिन हल्का-फुल्का, सादा, कम तल-भुना, फल, मिष्टान आदि भोजन के रूप में लेता है। गाली-गलौज, क्रोध व मद्यपान आदि से दूर रहता है। कम बोलता है व हर समय ईश्वर-भक्ति में लगा रहता है। इसके पीछे एक धार्मिक आस्था यह भी होती है कि यदि नियम-धरम से न चला जाए तो ईश्वर नाराज हो सकते हैं। अतः उपवास से व्यक्ति अनुशासित एवं खानपान के प्रति जागरूक अवश्य बन सकता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से लाभ : वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो उपवास रोगों के लिए महौषधि है। इससे पाचनतंत्र दुरूस्त रहता है। फलतः भोजन का पाचन ढंग से हो जाता है। शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों का निष्कासन आसानी से हो जाता है।

यही नहीं, अनुसंधानियों का यह भी कहना है कि दुर्बलता, रक्तअल्पता, भूख न लगना, साँस फूलना, आमाशय के कैंसर आदि व्याधियाँ तो दूर होती ही हैं, विभिन्न उदर रोग जैसे कब्ज, आँव, संग्रहणी, बवासीर आदि से भी मुक्ति मिलती है। हृदय की धमनियाँ लम्बे समय तक स्वस्थ रहती हैं क्योंकि हर सप्ताह उपवास रखने से कोलेस्ट्राल की मात्रा घटने लगती है जो धमनियों के लिए लाभदायक है। उपवास से मोटापा भी नियंत्रण में रहता है। वजन कम रहने से शरीर का आकार आकर्षक एवं सुडौल रहता है। चेहरे पर असमय उभरी झुर्रियों, दाग-धब्बे आदि दूर रहते हैं। चमक एवं सुन्दरता बढ़ती है। काया निरोगी रहती है।

सावधानियाँ :

एक-दो दिन का उपवास तो ठीक है किन्तु अधिक दिनों का उपवास चिकित्सक की देख-रेख में करें।

 

१९ मार्च २०१२

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