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विज्ञान वार्ता
१०५४ सुपरनोवा से संबंधित क्रैब नेब्यूला


भौतिकी का नोबेल
और फैलता हुआ ब्रह्मांड


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डॉ. भक्त दर्शन श्रीवास्तव



रॉयल स्वीडिश एकेडेमी ऑफ साइंसेज ने भौतिकशास्त्र में इस वर्ष का नोबेल पुरूस्कार तीन वैज्ञानिकों, साउल पर्लमटर, ब्रायन श्मिट और एडम रीस, को ब्रह्मांड के फैलाव को समझने की दिशा में किये गये उनके शोध के लिए देने कि घोषणा की है।

ब्रह्मांड के शोधकर्ताओं ने फटते हुए तारों द्वारा ब्रह्मांड के फैलने की गति तेज होने के बारे में जानकारियाँ दी हैं। उनके अनुसार ब्रह्मांड का विस्तार जिस तेजी से हो रहा है, उससे एक दिन यह बर्फ में परिवर्तित हो जाऐगा। अमेरिकी मूल के तीनों वैज्ञानिक- साउल पर्लमटर, ब्रायन श्मिट और एडम रीस ब्रह्मांड के भविष्य के बारे में रों के विखंडन का अध्ययन कर ब्रह्मांड के विस्तार में तेजी आने की बात साबित की। इसके पूर्व वैज्ञानिको की धारणा यह थी कि ब्रह्मांड के फैलाव की गति में लगार कमी आ रही है।

पर्लमटर बर्कले स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में सुपरनोवा कॉस्मोलोजी प्रोजेक्ट के अध्यक्ष हैं जबकि श्मिट ऑस्ट्रेलिया के वेस्टन क्रीक स्थित ऑस्ट्रेलियन नेशनल युनिवर्सिटी में हाई-जेड सुपरनोवा सर्च टीम के अध्यक्ष और रीस मेरीलैंड के बाल्टिमोर स्थित जॉन हापकिंस युनिवर्सिटी एंड स्पेश टेलीस्कोप साइंस इंस्टीट्यूट में खगोलशास्त्र के प्रोफेसर हैं।

१९९० के दशक में पर्लमुटटर ने अलग और शिमिडट एवं रीस ने एक साथ मिलकर दो अलग-अलग अनुसंधान दलों में काम किया था। एकेडमी ने बताया कि वैज्ञानिकों ने एक विशेष प्रकार के सुपरनोवा यानी फटते तारों के विश्लेषण के जरिए ब्रह्मांड के विस्तार के बारे में जानकारियां दी हैं। वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में बताया कि 5० से अधिक सुपरनोवा से निकलने वाला प्रकाश उम्मीद से कम है जिससे पता चलता है कि ब्रह्मांड का विस्तार तेज गति के साथ हो रहा है।

अब तक खगोल वैज्ञानिकों के पास तीन प्रतिद्वंदी सिदांत हैं। प्रत्येक सिद्धांत की भविष्यवाणी को ब्रह्मांड के अवलोकित गुणों से मिलाकर देखने के बाद, वे निर्णय लेते हैं कि कौनसा सिद्वान्त लोकप्रिय है।

महा विस्फोट सिद्धांत के अनुसार १८०००० लाख वर्ष पहले एक भयानक विस्फोट में ब्रह्मांड की उत्पति हुई। इस विस्फोट में पदार्थ बाहर निकले जो गुच्छों में संघनित हो गये जिसे आकाशगंगा कहते हैं जो अभी भी बाहर की तरफ बढ़ रही है। इसका विस्तार अनंतकाल से जारी है। जैसे जैसे ब्रह्मांड पुराना हो जायेगा, इसका पदार्थ समाप्त हो जायेगा।।

दोलन ब्रह्मांड सिद्वान्त जो महाविस्फोट सिद्धांत का परिवर्तित रूप है, का मानना है कि ब्रह्मांड का विस्तार अंततः धीमा होकर रुक जायेगा और आकाशगंगा सिमटकर एक अन्य महा विस्फोट करेगा इस तरह ब्रह्मांड विस्तार और संकुचन के अंतहीन चक्र से गुजर रहा है। किन्तु प्रकृति का नियम प्रत्येक चक्र में अलग हो सकता है।

स्थायी अवस्था सिद्धांत महाविस्फोट सिद्धांत का वैकल्पिक विचार है, इस सिद्धांत का कहना है कि ब्रह्मांड किसी एक क्षण में नहीं पैदा हुआ और न ही कभी एक क्षण में मरेगा। इसके अनुसार जैसे जैसे ब्रह्मांड का विस्तार होता है, वैसे ही खाली स्थान को भरने के लिए नये पदार्थ की रचना हो जाती है। इसीलिये समय के साथ ब्रह्मांड एक जैसा ही दिखता है।

वर्तमान अध्ययन में तीनों नोबेल विजेता वैज्ञानिक विशेष तरीके से फटते हुआ तारे यानि सुपरनोवा के अध्ययन के द्वारा ब्रह्मांड के फैलाव को समझने की दिशा में किये गये प्रयोगों व गणनाओं द्वारा अंतिम निर्णय तक पहुँचे।

रॉयल स्वीडिश एकेडेमी ऑफ साइंसेज के अनुसार, अपने अध्ययन के दौरान इन वैज्ञानिकों ने पाया कि पचास से भी अधिक सुपरनोवा तारों से निकल रहा प्रकाश अपेक्षा से कम है। जिससे संकेत मिलते है कि ब्रह्मांड तेजी से फैल रहा है। करीब एक शताब्दी तक हम यह जानते थे कि ब्रह्मांड १४ अरब वर्ष पहले महा विस्फोट के अनुसार ही फैल रहा है। लेकिन इन वैज्ञानिकों के प्रयोग व उनकी गणना ने इस अवधारणा को बदल दिया है। इस नई गणना से यह पता लगा है कि ब्रह्मांड में फैलाव आश्चर्यजनक रूप से काफी तेजी से हो रहा है। शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला है कि अगर विस्तार की गति इसी गति से बढती रही तो एक दिन हमारा ब्रह्मांड बर्फ में परवर्तित हो जाएगा।

बाएँ से- पर्लमटर, श्मिट एवं रीसतीनों अनुसंधानकर्ता अपनी खोज से अचंभित हैं क्योंकि प्रयोगों के पूर्व इन्हे उम्मीद थी कि अध्ययन के दौरान ब्रह्मांड के विस्तार की गति कम होने का पता चलेगा, लेकिन उनके अनुसंधान का निष्कर्ष एक दम उल्टा निकला। नतीजे बते हैं कि ब्रह्मांड का विस्तार धीमा नहीं तेज हुआ है और ब्रह्मांड में आकाशगंगाएँ कहीं अधिक तेज गति से एक दूसरे से दूर जा रही हैं। यह गतिवर्धन डार्क एनर्जी से संचालित है, जो ब्रह्मांड का एक बड़ा रहस्य है।

७ नवंबर २०११

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