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हास्य व्यंग्य

सच का सामना में गांधी जी का बंदर
विजी श्रीवास्तव


बहुत समय से 'जो कुछ कहूँगा सच कहूँगा और सच के सिवा कुछ नहीं कहूँगा' कहने के साथ बोले गए सच में कुछ खास मजा नहीं आ रहा था। जब सभी को यह पता है कि सच हमेशा नंगा होता है तो फिर उसे उघड़े बदन ही सामने आना चाहिए न। इसलिए सच के नंगे नाच का एक टीवी शो पिछले दिनों बड़ी चर्चाओं में रहा। सत्य को लील कर हजम कर सकने वाले चूरण बाज़ार में उपलब्ध नहीं होने के कारण यह कार्यक्रम तो बंद हो गया लेकिन इसका एक एपीसोड जो प्रसारित नही हो सका, उसके कुछ अंश आपके लिए प्रस्तुत हैं। समय नष्ट न करते हुए आपको सीधे लिए चलते हैं इसके सेट पर।

इस शो में आज एक बड़ी हस्ती सच का सामना करने जा रही है। यह है-गांधी जी के तीन में से एक वानर। आइये मुलाकात करते हैं इनसे और देखते हैं कि सच का सामना ये किस तरह कर पाते हैं।

दोस्तों! गांधी जी का सत्य इस देश की सबसे बड़ी ऐतिहासिक धरोहरों में से है। इससे पूर्व केवल राजा हरीशचंद्र ही देश के सबसे बड़े सत्य कर्मी थे जिनकी प्रतिमा आज भी शमशानों में स्थापित की जाती हैं। सच के लिए सबसे उपयुक्त स्थान है, यह। बंदरों ने गांधी जी के सत्य को काफी निकट से देखा है और वक्त जरूरत को पहचान कर आँख, मुँह और कान बंद भी किए हैं। हमारी भारतीय राजनीति के भूले-बिसरे किन्तु अमिट चिन्ह हैं ये बंदर, जिनमें से एक आज हमारे बीच हैं और सच का सामना बड़े धैर्य के साथ करने जा रहे हैं।

- वानर अंकल, आपके लिए पहला प्रश्न यह है कि आप तीन नहीं केवल एक ही वानर हैं, दिखाई देने वाले तीन आपकी ही स्टाइल से खिंचवाई गई ट्रिक फोटो हैं।
- सच है। हमारी तीन मुद्राओं में उतारी गई तस्वीर गांधी जी के एक अफ्रीकन दोस्त ने अपने विलायती केमरे से ली थी।
- यह जवाब सही है। (मशीनी आवाज़ आई)
- अगला प्रश्न है : आप उम्मीद करते हैं कि डार्विन के विकासवाद के अनुसार आपकी प्रजाति भी मनुष्य बनेगी तब आप राजनीति में हाथ आजमाएँगे।
- यह सही नहीं है। मुझे पता है कि राजनीतिक लोग जब एक से दूसरी डाल पर छलांग लगाते रहते हैं और अपने हितों के लिए घुड़की देने में हमसे भी ज्यादा तेज हैं तो हम मनुष्य बनकर नेतागिरी क्या करेंगे। यह काम उनको करने दीजिए जो पहले ही बन चुके हैं।
- यह जवाब सही है। (मशीनी आवाज आई)
- वानर जी, एक गंभीर प्रश्न हम आप से कर रहे हैं। आपके संबंध गुजरात से तो बड़े गहरे हैं क्योंकि गांधी जी की जन्मभूमि ही गुजरात है। हमें जानकारी मिली है कि वहाँ हुए दंगों में आपने मुँह, कान और आँख तीनों ढँक लिए थे।
- जी नहीं। यह तो सही है कि उन दिनों में गुजरात के दौरे पर ही था किन्तु ऐसे समय, जब खुद अपनी जान की ही पड़ी हो तो कोई अपने मुँह, आँख और कान मूँदकर बैठेगा या अपनी दुम दबाएगा।
- यह जवाब सही है। (मशीनी आवाज आई)
- आप इस बदले हुए जमाने में भी बिना वस्त्रों के दिखाई देते हैं। लोगों का कहना है कि आप स्वयं को अल्ट्रा मार्डन मानते हैं।
- जी नहीं। वस्त्र न पहनने का कारण यह है कि यहाँ वहाँ कूदने में हमारे कपड़े उलझे नहीं। वरना ऊँचाई पर चढ़कर हमें मार्डन लोगों के घर की खिड़कियों से जो कुछ दिखता है उसके लिये आँखों पर हथेलियाँ रखना ही अच्छा होता है।
- मशीन लगातार जवाबों को सही बतला रही है।
- वानर जी अब पूछे जाने वाले सवाल कुछ ज्यादा पर्सनल होते जाएँगे। उम्मीद है आप इसके लिए तैयार हैं। तो बताइये, बंदरों के रूप में तीन प्रतीक चिन्ह माने गए हैं, इनमें एक भी बंदरिया नहीं है। आपको इस बात का अफसोस होता है।
- हाँ। नारी जाति को समान रूप से स्थान मिले इसलिए प्रतीक चिन्ह में तैंतीस प्रतिशत स्थान यानि कम से कम एक बंदरिया को सम्मिलित किया जाना जरूरी है।
- आपको दुख है कि गांधी जी के जाने के बाद आपको समुचित सम्मान नहीं मिला।
- हाँ। हमारे प्रतीक चिन्ह को मुद्रा पर छापना तो दूर किसी राष्ट्रीय दल ने आज तक पार्टी का चुनाव चिन्ह तक नहीं बनाया। पीढ़ी दर पीढ़ी वंशवाद का अनुसरण कर रही पॉलीटिकल पार्टियाँ, गांधीवाद का ढोल तो पीटती हैं किन्तु हमारे बारे में क्यों नहीं सोचतीं, यह अपने प्रोग्राम में किसी नेता से पूछिएगा।

- एक बहुत ही महत्वपूर्ण सवाल। इसका उत्तर आप बहुत ही सोच समझ कर दीजिएगा- आप इस बात से भी दुखी हैं कि गांधी जी के रहते हुए भी आपको मिलने योग्य अधिकारों से आप वंचित रहे।
- जी नहीं। गांधी जी का सोच यदि नेम-फेम कमाना होता तो शायद हम राष्ट्र्रीय वन्य पशु होते। लेकिन बरसों से लगातार राष्ट्रीय वन्य पशुओं की जो मिट्टी पलीत हो रही है उसे देखकर तो हमारी रूह भी काँपती है राष्ट्रीय बनने के लिए।
- आप सोचते हैं कि यदि गांधी युग के बाद त्रेता युग शुरू होता तो भी आप युद्ध करने वाली वानर सेना में सम्मिलित होते।
- जी हाँ। गांधी जी ने यह कभी नहीं कहा था कि आँख-कान और मुँह हमेशा के लिए बंद रखना। वैसे भी गांधी के देश में आजकल जो चल रहा है उसे खुली नजरों से देखना बहुत जरूरी है। नहीं तो गांधीवाद और जिन्नावाद की लड़ाई में किस पर गाज गिर जाए बताया भी नहीं जा सकता।
- एक और जरूरी सवाल : लगभग ५० प्रतिशत से ज्यादा बंदरों का मुँह काला है। आपको अक्सर इस बात पर भी बुरा लगता है कि बिना किसी संगीन आरोप के, आपके मुँह पर कालिख पुती हुई है।
- बहुत देर से सच का बहादुरी के साथ सामना करने वाले वानर श्रेष्ठ ने इस प्रश्न का जवाब देने की जगह अपना माइक -मशीन वगैरह के तार नोंचे और बाहर की तरफ तेज छलांग लगा दी।

२९ मार्च २०१०

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