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हास्य व्यंग्य

मंगल ग्रह पर भोलाराम का जीव
दीपक दुबे


मंगल ग्रह के वासी सब सहमे हुए थे और देशों के विमान आते रहे है मगर अब भारत ने भी अपना उपग्रह भेज दिया है। मंगल ग्रह से कई बार इंडिया दौरे पर गये बोरे के मुँह जैसे एलियन ने सबको ढाढस बँधाया भाइयों डरने की बात नहीं है। मै तो कई बार पृथ्वी पर औेर खासकर इंडिया हो आया हूँ डरने की बात नहीं है। मगर डरने की बात तो थी सारे एलियन एक जीव को देख कर सहमे हुए थे। वह अजीब सी हरकतें कर रहा था। डरते डरते मंगल ग्रह के वासी ने जीव से पूछ लिया कहाँ के हो? कौन हो? वह जीव बिना डरे मंगल ग्रह की धरती को देख रहा था जब दो तीन बार बोरे के मुँह वाले एलियन ने उससे पूछा तो उसने बताया कि वह पृथ्वी से आया है और वह कलेक्ट्रेट के एक बाबू भोलाराम का जीव है।

रिटायर्ड होने के बाद पेंशन की आस मे पृथ्वी पर एक फाईल में अटका हुआ था। पत्नी बच्चों के चप्पल जूते घिस गये लेकिन पेंशन का निपटारा नहीं हुआ था। बरसों तक फाइलों में ही अटका था। इसी आस में कि प्रकरण निपटे तो मैं अपनी राह लूँ। उधर यमराज भी भयंकर गुस्से में मुझे ढूँढ रहे हैं। मगर मैं जो फाइल में अटका तो अटक ही गया एक बात बताऊँ, यदि कहीं सुरक्षित रूप से छिपना हो तो भारत मे फाइलें सबसे सुरक्षित जगह है। क्योंकि ये फाइलें सालों साल नहीं खुलतीं।
आराम से जब तक मन चाहे वहाँ पड़े रहो।
- मगर तुम यहाँ आये कैसे?
-कैसे क्या, यान आ रहा था तो मै भी चुपके से उस पर सवार हो गया। असल में मैं पथ्वी पर एक ही फाइल में रहते रहते उब गया था और मुझे फाइल सुलटने की कोई्र उम्मीद ही नहीं थी क्योंकि वहाँ का बाबू वर्ग इतना लालची है कि वह तो लहरें गिनने के भी पैसे ले लेता है। सो नाउम्मीद होकर मैंने यहाँ का रूख किया। - तो तुम वो परसाई वाले भोलाराम के जीव हो? मगर यहाँ आकर करोगे क्या? यहाँ जीवन ईवन नहीं है भइया। ना तुम्हें पानी मिलेगा यहाँ ना शराब कैसे करोगे कैसे जियोगे? भोलाराम का जीव सच में चिन्ता में पड़ गया। उसने पूछा -यहाँ से लौटती फ्लाईट कब है?

सभी बोरे के मुँह जैसे एलियन हँसने लगे। अरे भैया यहाँ से ट्रांसपोर्ट की कोई व्यवस्था नहीं हैं। भोलाराम का जीव का पेट वैसे ही भारी हो रहा था बोरों की बातें सुनकर तो उसकी सटकने लगी। उसने इधर उधर देखा और एक कोने का रूख किया।

बोरे की आकृतियों ने अपनी नाक बंद कर ली- छिः पृथ्वी पे तो स्वच्छता अभियान चला रहा है और यहाँ गंदगी करने बैठा है। निवृत्त हो जीव विचरण करने लगा। बोरे के मुख की आकृतियाँ पास आ गईं। यह बताओ यहाँ का पेंशन दफ्तर कहाँ है- भोलाराम के जीव ने पूछा।
-यह पेंशन क्या होती है?
-अरे पेंशन नही जानते? जो कर्मचारी को रिटायर होने के बाद एवं मरने पर परिवार को सरकार देती है
-यह रिटायर क्या होता है?
तुम लोग रिटायरमेंट के बारे में नहीं जानते तुम्हारे यहाँ रिटायर होने का रिवाज नही है क्या? भोलाराम ने प्रतिप्रश्न किया। फिर खुद ही बोला सरकारी कर्म्रचारी जब ६० साल का हो जाता है तो सरकार उसे रिटायर कर देती है।
- यह सरकार क्या होती है? मगर तुम लोग हो कौन मूढमति।

अब भोलाराम का जीव झल्लाकर बोला और कितने सवाल कर रहे हो, इतने सवाल तो पृथ्वी पर सीबीआई भी नहीं करती है।
- हम लोग एलियन है। मंगलग्रह हमारा है।
- ओहो तो तुम लोग हो मंगल वासी पृथ्वी पर तो तुम लोगों का बडा आतंक है। मंगला होने पर ना लडके की शादी होती है ना लडकी की, कई माँ बाप तो इसी सदमे से मर जाते हैं।
-हमें क्या मालूम बोरा बोला।

कुछ देर तक भोलाराम का जीव यों ही टहलता रहा। जब ऊब गया तो वहीं एक पेड़ के नीचे जाकर सो गया। यह बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि मंगल ग्रह पर पहली बार जाने वाले विमान में भारत से भोलाराम का जीव भी था जो अब भी मंगल ग्रह पर पेंशन दफ्तर ढूँढ रहा है।

मई  २०१५

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