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पिछले सप्ताह

हास्य व्यंग्य में
डा नरेन्द्र कोहली का
फंदा
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रचना प्रसंग में
आर पी शर्मा 'महर्षि' के धारावाहिक 'ग़ज़ल लिखते समय' का तीसरा भाग
अंदाज़े बयां
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प्रकृति और पर्यावरण में
राजेंद्र प्रसाद सिंह का आलेख
भोजपुरी में नीम, आम और जामुन
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फुलवारी में
आविष्कारों की कहानी में : वायुयान
और शिल्पकोना में 
मां के लिए सपनों का नगर

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साहित्य संगम में
मीना काकोडकर की कोंकणीं कहानी का
हिंदी रूपांतर
ओ रे चिरूंगन मेरे

रात को अकेले ही बिछौने पर लेटा और मुझे रूलाई आ गई। अंधेरे में हाथ लंबा कर के मैंने यूंही इधर उधर टटोल कर देखा, मां नहीं थी। कम से कम पिताजी तो मुझे अपनी बगल में सुला लें, इस आशा से पिताजी को पुकारने के लिए मैंने मुंह खोला। पर मुझे उनके रोने की सी आवाज़ आई। उन्हें भी मां की याद आती होगी, यह सोच कर मैं हिचक–हिचक कर रोने लगा। मांऽऽ ऐसा आक्रोश कर के मैं धम्म से पिताजी के बिछौने पर आ धमका। उन्होंने मुझे कस के गले लगाया। मैंने भी उन्हें बांहों में जकड़ा। उनके आंसू मेरे गालों पर टपकने लगे। वे मुझे सहलाते रहे। जैसे कि मेरी मां सहलाती थी।

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इस सप्ताह

कहानियों में
भारत से अभिनव शुक्ल की कहानी
रोशनी का टुकड़ा

सूरज की किरणें आकाश में अपने पंख पसार चुकी थीं। एक किरण खिड़की पर पड़े टाट के परदे को छकाती हुई कमरे के भीतर आ गई और सामने की दीवार पर एक छोटे से सूरज की भांति चमकने लगी। लाल रंग की बदरंग दीवार अपने उखड़ते हुए प्लास्टर को संभालती हुई उस किरण का स्वागत कर रही थी। बिस्तर पर पड़े–पड़े अनिमेष नें अपनी आंखें खोल कर एक बार उस किरण की ओर देखा और फिर आंखें मूंद कर उस अधूरे सपने की कड़ियों को पूरा करने की उधेड़बुन में जुट गया जिसे वह पिछले काफ़ी समय से देख रहा था। पर सपना था कि अपनी पिछली कड़ियों से जुड़ ही नहीं पा रहा था।

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मंच मचान में
अशोक चक्रधर के शब्दों में 
सौ सवा सौ साल पहले

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रचना प्रसंग में
आर पी शर्मा 'महर्षि' के धारावाहिक 'ग़ज़ल लिखते समय' का चौथा भाग
छंद विचार–1

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बड़ी सड़क की तेज़ गली में
अतुल अरोरा के साथ
अटलांटा के अलबेले रंग

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रसोईघर में
पुलावों की सूची में एक नया व्यंजन
कश्मीरी पुलाव
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!सप्ताह का विचार!
जो पुरूषार्थ नहीं करते उन्हें धन, मित्र, ऐश्वर्य, सुख, स्वास्थ्य, शांति और संतोष प्राप्त नहीं होते।
— वेदव्यास

 

अनुभूति में

मातृदिवस के अवसर पर ढेर सी
नयी कविताएं

कथा यू के सम्मान घोषित

–° पिछले अंकों से °–

कहानियों में
खाल–विनीता अग्रवाल
बहुरि अकेला –मालती जोशी
वापसी–सुरेशचंद्र शुक्ल
हीरो–सूर्यबाला
यादों की अनुभूतियां–कमला सरूप
होली–स्वदेश राणा
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हास्य व्यंग्य में
कौन किसका बाप–महेशचंद्र द्विवेदी
ट्यूशन पुराण–रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
हमारी साहित्य गोष्ठियां–विजय ठाकुर
कानूनन–प्रमोद राय
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प्रौद्योगिकी में
विजय प्रभाकर कुंबले द्वारा जानकारी
मशीनी अनुवाद

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विज्ञान वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप का नया लेख
रोबॉट्स और अंतरिक्ष की खोज

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नगरनामा में 
वाराणसी का नगर वृतांत
प्रो .य .गो .जोगलेकर की कलम से
कुल्हड़, कसोरा और पुरवा

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रचना प्रसंग में
रामप्रसाद शर्मा 'महर्षि' के धारावाहिक
'ग़ज़ल लिखते समय' का दूसरा भाग
काफ़ियों के दोष व निराकरण

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आज सिरहाने
गिरिराज किशोर का उपन्यास
पहला गिरमिटिया

 

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© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना  परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन 
 सहयोग : दीपिका जोशी
फ़ौंट सहयोग :प्रबुद्ध कालिया

 

 

 
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