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अनुभूति

16. 3. 2006

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पिछले सप्ताह

हास्य व्यंग्य में
टी आर चमोली का व्यंग्य
निरख सखी फिर फागुन आया

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घर परिवार में
दीपिका जोशी बता रही हैं कि कैसे
रंगों से बदलें दुनिया

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संस्मरण में
नीरजा द्विवेदी के साथ परदेस में
अटलांटा की होली और वसंत

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रसोइघर में
इस बार घर पर बनाएं
होली के पकवान

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गौरवगाथा में
प्रेमचंद की ऐतिहासिक कहानी
राजा हरदौल

फाल्गुन का महीना था, अबीर और गुलाल से ज़मीन लाल हो रही थी। कामदेव का प्रभाव लोगों को भड़का रहा था। रबी ने खेतों में सुनहला फ़र्श बिछा रखा था और खलिहानों में सुनहले महल उठा दिए थे। इन्हीं दिनों दिल्ली का नामवर फेकैती कादिरखां ओरछे आया। बड़े–बड़े पहलवान उसका लोहा मान गए थे। ठीक होली के दिन उसने धूम–धाम से ओरछे में सूचना दी,"खुदा का शेर दिल्ली का कादिरखां ओरछे आ पहुंचा है। जिसे अपनी जान भारी हो, आ कर अपने भाग्य का निपटारा कर ले।" ओरछे के बड़े–बड़े बुंदेले सूरमा वह घमंड–भरी वाणी सुन कर गरम हो उठे। फाग और डफ की तान के बदले ढोल की वीर–ध्वनि सुनाई देने लगी।

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इस सप्ताह

कहानियों में
यू के से कादंबरी मेहरा की कहानी
हिजड़ा

मेहमान नाश्ते पर जुटे थे। स्त्रियां सजी–संवरी, रसोई से आंगन, आंगन से रसोई नाप रही थीं। बेड़मी, कचौरी, हलवा, मलाई–पान, एक–एक का नाम लेकर मनुहार करतीं, "और लीजिए ना प्लीज़, आपने तो कुछ खाया ही नहीं।"
लखनवी ख़ातिरदारी की मिसाल नहीं और फिर लड़के की शादी। हफ्ते से पूरा घर मेहमानों की चहल–पहल से भरा था। आज ही रात को रिसेप्शन होगा। घर में बहू की अगवानी, कंगना खेलने आदि की रस्में अभी बाकी हैं, कि तभी ढोलक की तालबद्ध आवाज़ से सब चौंक उठे। जो खा–पी चुके थे, बाहर बरामदे में जा बैठे। राहुल की दादी जी, उर्फ़ 'बीबी' का हुक्म हुआ, "दुल्हा–दुल्हन को बैठाकर हिजड़े से नज़र उतरवा लो।"

°

हास्य व्यंग्य में
अशोक चक्रधर के साथ देखें
सपनों का होमरूम थिएटर

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विज्ञान वार्ता में
डा गुरूदयाल प्रदीप की पड़ताल
बर्डफ्लूःक्या वाकई ख़तरा है

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आज सिरहाने
संतोष दीक्षित का उपन्यास
शहर में लछमिनिया

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चिठ्ठापत्री में
पंडित जी की दूर दृष्टि
फरवरी माह के चिठ्ठों पर
1

 सप्ताह का विचार
बसे उतम विजय प्रेम की है जो
सदैव के लिए विजेताओं का हृदय बांध
लेती है। — अशोक

 

उदय प्रकाश, सुनील साहिल, रामकृष्ण द्विवेदी, पंडित विद्या रतन और
राजेन्द्र तिवारी की
नयी रचनाएं

–° पिछले अंकों से °–

कहानियों में
एक बार फिर होली–तेजेन्द्र शमा
नकेल–डॉ फ़कीरचंद शुक्ला
गरमाहट–गुरूदीप खुराना
पिकनिक–प्रत्यक्षा
बचपन–उषा महाजन
मोहभंग–वीना विज उदित
°


हास्य व्यंग्य में
चुटकी गुलाल की–शैल अग्रवाल
कुछ कुछ होता है–अनूप कुमार शुक्ल
देवलोक से दिव्यलोक–तेजेन्द्र शर्मा
लंदन का कोट–डा नरेन्द्र कोहली
°

पर्व परिचय में
दीपक नौगाईं बता रहे हैं
शिवरात्रि–पर्व की महिमा
°

प्रौद्योगिकी में
रविशंकर श्रीवास्तव का आलेख
2005 के सर्वश्रेष्ठ
जाल–अनुप्रयोग
°

संस्मरण में
शारदा पाठक की यादों में तलत महमूद
ऐ मेरे दिल कहीं और चल
°

दृष्टिकोण में
विनोद अनुपम की पड़ताल
हिंदी सिनेमा कितना हिंदी
°

चिट्ठा–पत्री में
चिठ्ठा पंडित के नए पंचांग से
जनवरी के चिठ्ठे
°

आज सिरहाने
सुकेश साहनी का लघुकथा संकलन
बीसवीं सदीःप्रतिनिधि लघुकथाएं

 

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"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरूचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीन सक्सेना  परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन, कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन 
 सहयोग : दीपिका जोशी
फ़ौंट सहयोग :प्रबुद्ध कालिया

     

 

 
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